कोरोना की दूसरी लहर (Second Corona Wave) के दौरान यूपी और बिहार में गंगा में तैरती लाशों ने सबको झकझोर रख दिया था. राज्यों के साथ-साथ केंद्र ने भी गंगा में शव फेंके जाने की घटनाओं पर लीपापोती की खूब कोशिश की. कहा गया कि इक्का-दुक्का जगहों पर ही गंगा में शव फेंके गए हैं. अब नैशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG) के चीफ राजीव रंजन मिश्रा और इससे ही जुड़े रहे पुस्कल उपाध्याय के द्वारा संयुक्त रूप स लिखी गई किताब में कहा गया है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गंगा को मृतकों का आसान डंपिंग ग्राउंड बना दिया गया था.
'गंगा: रिइमेजिंग, रिजुवनेटिंग, रिकनेक्टिंग' नाम की इस किताब को गुरुवार 23 दिसंबर को लॉन्च किया गया. किताब को पीएम की इकनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने लॉन्च किया.
राजीव रंजन मिश्रा 1987 बैच के तेलंगाना कैडर के आईएएस अधिकारी हैं, वो नेशनल क्लीन गंगा मिशन से पिछले 5 साल से जुड़े हैं. 31 दिसंबर, 2021 को मिश्रा अपने पद से रिटायर हो रहे हैं.
मिश्रा और उपाध्याय द्वारा लिखी गई इस किताब में एक सेक्शन में गंगा में तैरती लाशों का जिक्र है. इसमें कोरोना महामारी के गंगा पर असर के बरे में बताया गया है. इसमें कहा गया है कि ऐसा लग रहा था कि नदी को बचाने के लिए 5 की गई मेहनत कुछ दिनों में ही बेकार हो जाएगी.
किताब में कहा गया है, ''कोरोना महामारी के दौरान शवों की संख्या कई गुना बढ़ गई थी, इस वजह से यूपी-बहार में जिला प्रशासनों, श्मशानों की कार्यक्षमता काफी प्रभावित हुई थी. इसलिए गंगा को एक आसान डंपिंग ग्राउंड मानकर शवों को फेंकने के लिए इस्तेमाल किया गया.
उन्होंने इस किताब में आगे कहा कि मीडिया ने गंगा में फेंके गए शवों की संख्या 1000 बताई, जो कि सही नहीं थी. यूपी सरकार के अधिकारियों ने केंद्र को बताया था कि ऐसे शव केवल 300 थे. साथ ही शव फेंके जाने के मामले यूपी के केवल 2 जिलों कन्नौज और बलिया में सामने आए थे. बिहार में मिले शव भी यूपी से आए थे.'
आपको बता दें कि 11 मई को जब कोरोना की दूसरी लहर पीक पर पहुंच रही थी, उस वक्त एनएमसीजी ने सभी 59 डिस्ट्रिकट गंगा कमिटियों को तैर रहे शवों के बारे में आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए थे.
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