डीयू से एंथ्रोपॉलोजी में एमफिल करने के बाद शीतल अग्रवाल अब चाचा नेहरु बाल चिकित्सालय में क्लाउन गर्ल के नाम से मशहूर हो रही हैं. शीतल और उनकी टीम (क्लाउनसलर्स) हर शनिवार सुबह अस्पताल पहुंचकर उदास और बीमार बच्चों के चेहरों पर हंसी लाने के काम में जुट जाती हैं.
ये लोग एक चेन बनाकर गाना गाते और डांस करते हुए पूरे अस्पताल में जाते हैं और बीमार बच्चों को हंसाते और गुदगुदाते हैं
शीतल बताती हैं कि उन्हें इस काम से काफी खुशी मिलती है. अपने एक्सपीरियंस शेयर करते हुए उन्होंने बताया कि
कुछ समय पहले एक बच्ची बीमारी की वजह से न खाना खा रही थी और न ही किसी से बात कर रही थी लेकिन 15 दिन बाद जब हम उससे मिले तो हमारी कोशिशों की वजह से वो हंसने लगी और जल्दी ठीक हो गई.
ये तस्वीर गर्वित की है, जिसे फिट्स आते हैं. अस्पताल में इलाज के लिए आए गर्वित ने जब इन क्लाउनसर्ल्स को देखा तो उसके चेहरे पर खुशी साफ देखी जा सकती है.
जोकर बनकर अस्पताल में इस तरह से बच्चों को हंसाने का चलन पश्चिमी देशों में पहले से है. चाचा नेहरु बाल चिकित्सालय के डायरेक्टर अनूप मोहता का कहना है कि
बच्चों के इलाज में इस तरह की थेरेपी काफी फायदेमंद होती है. ज्यादातर बच्चे अपने बीमारी या दर्द को भूल जाते हैं जिससे वो जल्दी ठीक हो पाते हैं
क्लाउनसलर्स के इस ग्रुप में कई वॉलंटियर हैं जो अपने जॉब्स छोड़कर या उससे समय निकालकर हर शनिवार को यहां आते हैं
ये तस्वीर नंदन की है. जिसे दवाइयों का रिएक्शन हो गया था. अपने पिता के साथ नंदन एक किनारे पर चुप चाप बैठा था लेकिन क्लाउनसलर्स ने उसके चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेर दी.
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