कॉलेजियम ने अपनी सिफारिश में बदलाव करते हुए अब गुजरात हाईकोर्ट के जज अकील कुरैशी को त्रिपुरा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बनाए जाने की सिफारिश की है. बता दें कॉलेजियम ने पहले कुरैशी को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाए जाने की सिफारिश की थी.
लेकिन सरकार ने सिफारिश पर मुहर नहीं लगाई और कई दिन तक इसे लंबित रखा. हाल ही में सरकार ने सिफारिश को कॉलेजियम के पास फिर से विचार करने के लिए भेजा था.
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर आए नए ऑर्डर में लिखा है,
कॉलेजियम ने 10 मई, 2019 को गुजरात हाईकोर्ट के जज अकील कुरैशी को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाए जाने का सुझाव दिया था. इस सुझाव को सरकार ने 23 अगस्त और 27 अगस्त को हुए कम्यूनिकेशन के जरिए चीफ जस्टिस को वापस भेज दिया था. जस्टिस डिपार्टमेंट से जो मटेरियल और कम्यूनिकेशन हुआ था, उसे कोलेजियम के सामने रखा गया. 23 और 27 अगस्त को हुए कम्यूनिकेशन और मटेरियल को ध्यान में रखते हुए कोलेजियम, जस्टिस अकील कुरैशी को त्रिपुरा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर नियुक्त करने की सिफारिश के बदलाव के साथ 10 मई, 2019 के अपने पुराने फैसले पर कायम है.कॉलेजियम का नया ऑर्डर
सरकार ने की देरी
कॉलेजियम ने जिन सुझावों को सरकार के पास भेजा था, उनमें कुरैशी को छोड़कर सभी को नियुक्ति दी जा चुकी है. जस्टिस कुरैशी की नियुक्ति में हो रही देरी पर गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
एसोसिएशन की तरफ से सीनियर एडवोकेट फली नरीमन ने पैरवी की थी. सुनवाई में फली नरीमन ने बिना कारण बताए देरी करने पर सरकार की आलोचना की थी.
उन्होंने कहा कि जजों की नियुक्ति की सिफारिश ‘सेकंड लॉ केस’ में दिए गए प्रावधानों की आधार पर की गई है. सरकार ने इसमें देरी कर कानून का उल्लंघन किया है. बता दें सेंकड लॉ केस में कहा गया है कि कॉलेजियम की सिफारिश के 6 हफ्तों के भीतर जजों की नियुक्ति हो जानी चाहिए.
16 सितंबर को मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने बताया कि सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिश को हाल ही में पुनर्विचार के लिए वापस भेजा है. साथ ही कॉलेजियम ने कुरैशी की नियुक्ति पर पुनर्विचार की सरकारी मांग मान ली है. जल्द ही फैसले को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिया जाएगा.
पढ़ें ये भी: अपने ‘घर’ जाने की आजादी के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे गुलाम नबी
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)