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गला काट प्रतियोगिता: जमाने के साथ बदल रहे हैं शादी के विज्ञापन

मैट्रिमोनियल विज्ञापन भी हम ट्रेंडी हो चुके हैं, गला काट प्रतियोगिता है मजबूरी

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भारत
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पीक्यूएम, पीक्यूएसएम, केकेबी, पीक्यूजी, एक/एनएम, पीजीटी, एलपीए, बीएचपी, डीएमई, एसएम4

अगर आपको ये लग रहा है कि ये किसी टीन-एज की चैट से चुराए गए शब्द हैं तो आपको बता दें ऐसा कुछ भी नहीं है. न ही ये किसी सरकारी रिपोर्ट का हिस्सा हैं. ये शॉर्टफॉर्म्स, अखबार के पन्ने के उस छोटे से सेक्शन का हिस्सा हैं जिन्हें आदतन आप हमेशा अनदेखा छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं.

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पर एक वक्त ऐसा भी आता है जब हम इस पन्ने की हर छोटी-छोटी जानकारी को अंडरलाइन करना शुरू कर देते हैं.


25 साल की उम्र पार करने के बाद हमारे मां-बाप और करीबी रिश्तेदार हर रोज इन पन्नों को ऊपर से नीचे तक दीमक की तरह चाटना शुरू कर देते हैं. अब तक तो आप समझ ही गए होंगे कि हम किस पन्ने की बात कर रहे हैं. जी हां, मैट्रिमोनियल पेज. शादी-विवाह के विज्ञापनों से भरा अखबार का वो पन्ना जो एक उम्र के बाद घर में पढ़ा और देखा जाने वाला सबसे अहम पन्ना बन जाता है.

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शादी के विज्ञापन अब सिर्फ अखबारों तक ही सीमित नहीं रह गए हैं. मैट्रिमोनियल वेबसाइट्स ने भारत में इस संदर्भ में कई विकल्प पेश किए हैं. इन वेबसाइट्स की मदद से न केवल संभावित पार्टनर मिलने की संभावना में इजाफा हुआ है बल्क‍ि इन वेबसाइट्स ने वीडियो और तस्वीरों के माध्यम से मैच-मेकिंग को एक ज्यादा बेहतर अनुभव बना दिया है. न केवल बेहतर अनुभव बल्क‍ि एक ऐसा अनुभव जिसमें संभावनाएं भी पर्याप्त हैं. इसके अलावा इन वेबसाइट्स ने यूथ-आइकन माने जाने वाले लेखक चेतन भगत, कॉमेडियन कनन गिल और एआईबी के सदस्यों को अपना ब्रांड अंबेसडर बनाया है, जो निश्च‍ित रूप से आज के युवाओं को प्रभावित करने में कामयाब हैं.

इस गला काट प्रतियोगिता ने अखबारों को मजबूर कर दिया है कि वे अपने नियमित मैट्रिमोनियल पेज को लेकर कुछ नए प्रयोग करें ताकि वो इस गेम में बने रहें. अगर आप भी इन बदलावों को देखना चाहते हैं तो इस रविवार अखबार लेकर बैठ जाइए और आपको कई ऐसी नई चीजें मिलेंगी जो आपने इससे पहले कभी नहीं देखी होंगी. ध्यान देने पर शायद आपको ये कुछ बदलाव दिख जाएं.

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लंबे-लंबे शब्दों की जगह शॉर्ट फॉर्म का इस्तेमाल


अखबार के मैट्रिमोनियल पेज पर आपको इस तरह के कई कोड मिल जाएंगे. पहली बार में शायद आपको ये समझ न आएं लेकिन दोबारा पढ़ने पर आप इन शब्दों का मतलब तुरंत समझ जाएगा. मैट्रिमोनियल शब्दों को इस तरह कम करने के दो फायदे हैं. एक तो ये की ऐसा करने से रीयल-एस्टेट की खबरों की जगह बढ़ जाती है और दूसरे ये की ये आज के समय के अनुसार नजर आता है.

मैट्रिमोनियल पेज पर आजकल धड़ल्ले से क्र‍िप्टोग्राफी का इस्तेमाल किया जाने लगा है. उसके अलावा पन्ने पर ही एक बॉक्स बना दिया जाता है जहां आप इन सारे कोड वर्ड्स का मतलब जान सकते हैं.

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यहां कुछ उन्हीं कोड वर्ड्स का मतलब दिया जा रहा है:

पीक्यूएम- प्रोफेशनली क्वालिफाइड

मैच एम/एनएम- मांगलिक/नॉन-मांगलिक

एसआरआईवी- श्रीवास्तव पीक्यूजी- प्रोफेशनली क्वालिफाइड जेंटलमैन

बीएचपी- बायो-डाटा, हॉरोस्कोप, फोटो

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लड़की के पिता के प्रोफेशन से ज्यादा अहम लड़की खुद क्या करती है


निश्चित रूप से ये एक बेहतर और स्वागत योग्य बदलाव है. महिलाओं को प्राथमिकता. हालांकि भारत में अभी इस ओर सिर्फ एक शुरुआत भर ही हुई है लेकिन इसे भी कम नहीं आंका जाना चाहिए. मुख्यधारा में अब महिलाओं का सिर्फ घेरलू काम में दक्ष होना ही जरूरी नहीं रह गया है उनकी प्रोफेशनल लाइफ को भी समान रूप से मान्यता मिल रही है. जोकि एक बहुत अच्छा बदलाव है.

एक और बदलाव आप इन पन्नों पर देख सकते हैं. अब ऐसे भी लड़कों के विज्ञापन देखने को मिलने लगे हैं जो सोशल मीडिया एक्सपर्ट हैं, ग्राफिक डिजाइनर हैं, कॉलेज में प्रोफेसर हैं या फिर एमबीए कर चुके हैं. इस संदर्भ में भी विकल्प और संभावनाएं बढ़ी हैं.

हिंदू धर्म ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर ये तय किया जाता है कि कोई शख्स मांगलिक है या नहीं. न तो मांगलिक शख्स की शादी गैर-मांगलिक से हो सकती हैं और न ही किसी गैर-मांगलिक की मांगलिक से. मांगलिक लोगों के लिए अखबार के मैट्रोमोनियल पेज पर एक अलग ही जगह निर्धारित होती है.

ये कहने में कोई हर्ज नहीं है कि अखबार ने खुद को आज के समय के हिसाब से काफी बदलने की कोशिश की है और उनके द्वारा किए गए य बदलाव नजर भी आते हैं. आप चाहें तो खुद भी इस रविवार अखबार के उस पन्ने को लेकर बैठ सकते हैं.

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मांगलिक होना अब भी एक मुद्दा है

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तमाम बदलावों के बावजूद कुछ रूढ़िवादी चीजें अब भी जस की तस बनी हुई हैं. किसी शख्स का मांगलिक होना उन्हीं में से एक है. पर हम एक ऐसे देश में रहते हैं जहां इस तरह की कई असुविधाजनक विवाद हैं, जो समय के साथ ही आज भी वहीं रुक से गए हैं. बहुत सी चीजें आगे बढ़ गई है, हम आगे बढ़ गए हैं पर ये कुछ चीजें अब भी वहीं रुकी हुई हैं और इसके चलते एक खालीपन सा आ गया है.

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