वैंकेया नायडू द्वारा सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करने के फैसले के खिलाफ कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा और अमि याग्निक ने नायडू के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. कांग्रेस लीडर और सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने जस्टिस चेलमेश्वर के सामने इस मामले में तुरंत सुनवाई के लिए याचिका पेश की.
सिब्बल की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि मास्टर ऑफ रोस्टर के संबंध में संविधान पीठ ने फैसला दिया है, ऐसे में याचिका चीफ जस्टिस के सामने ही रखी जाए.
लेकिन इस पर सिब्बल ने कहा, चूंकि महाभियोग नोटिस चीफ जस्टिस के खिलाफ ही था. ऐसे में कोई भी वरिष्ठतम न्यायाधीश याचिका को सूचीबद्ध करने का निर्देश दे सकता है.
CJI के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव
कांग्रेस की अगुवाई में विपक्षी दलों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा को पद से हटाने के लिए राज्यसभा सभापति को महाभियोग प्रस्ताव दिया था. लेकिन वेंकैया नायडू ने गुण-दोष के आधार पर इसे खारिज कर दिया था. कांग्रेस का कहना है कि उप राष्ट्रपति को ऐसा करने का अधिकार नहीं है.
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नायडू ने कहा था, जल्दबाजी में नहीं लिया फैसला
कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि नायडू ने ये फैसला जल्दबाजी में किया है. हालांकि वेंकैया ने कहा था कि चीफ जस्टिस के खिलाफ विपक्ष के महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को खारिज करने का उनका फैसला समय से और बगैर किसी जल्दबाजी के लिया गया. एक महीने से ज्यादा सोच-विचार के बाद यह फैसला किया गया है.
महाभियोग प्रस्ताव खारिज करने के बाद उन्होंने कहा कि संविधान और न्यायाधीश जांच कानून 1968 के प्रावधानों का सख्ती से पालन करते हुए उन्होंने फैसला किया. सुप्रीम कोर्ट के 10 वकीलों के एक समूह से नायडू ने कहा, ‘‘मैंने अपना काम किया है और मैं इससे संतुष्ट हूं.‘’
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