द क्विंट के हाथ वो लेटर लगा है, जो स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेट्री लव अग्रवाल की ओर से सभी केंद्रीय और निजी अस्पतालों और मेडिकल संस्थानों के लिए 20 मार्च को लिखा था. आने वाले दिनों में कोरोनावायरस से निपटने के लिए इस पत्र में अस्पतालों की ओर से उठायी जाने वाली योजनाएं हैं.
अग्रवाल ने कहा है कि सभी अस्पतालों को चाहिए कि वह “किसी भी आपातकालीन परिस्थिति का सामना करने के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाएं और स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित करें”. उन्होंने आगे जोड़ा कि सभी अस्पतालों को जल्द से जल्द तैयारी का अभ्यास करना चाहिए.
उन्होंने जोर दिया कि ओपीडी इस तरह से होने चाहिए कि जिन मरीजों में फ्लू जैसे लक्षण हैं उन्हें दूसरे मरीजों से अलग देखा जाए और कहीं दूर रखा जाए ताकि भीड़ की स्थिति न बने.
अग्रवाल ने आगे कहा, “किसी अस्पताल से कोविड-19 के संदिग्ध को लौटना नहीं चाहिए और ऐसे किसी भी मरीज के दाखिले की जानकारी नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) और इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (आईडीएसपी) को दी जानी चाहिए.”
“निजी अस्पताल तभी जांच करेंगे जब मरीज में सभी तीन लक्षण दिखे”
एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स के डायरेक्टर जनरल और कोरोनावायरस से लड़ने वाले टास्क फोर्स के संयोजक डॉ गिरधर ज्ञानी से कोविड-19 के मरीजों से निपटने के लिए निजी अस्पतालों की तैयारी के बारे में हमने बात की.
क्या निजी अस्पताल कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए तैयार हैं?
निजी अस्पतालों ने गैर-जरूरी ऑपरेशनों को रोक दिया है. इसलिए आपातकालीन स्थिति के लिए हमारे पास बड़ी संख्या में बेड हैं.
वे कौन से मानक हैं जो निजी अस्पताल अपना रहे हैं?
हम कर्नाटक के बेंगलुरू में प्रयोग कर रहे हैं जहां 2000 बेड को निजी हाथों के सहयोग से सरकार अस्पताल में बदल दिया गया है. और, ये 2000 बेड खास तौर से केवल कोविड-19 मरीजों के लिए रखे गये हैं.
और हम एक प्रस्ताव देंगे कि हर जिले में हमारे पास कम से कम शुरू से ही 500 बेड हों और बड़े जिलों या बेंगलुरू, दिल्ली आदि शहरों में हमारे पास 2000 बेड रहे.
क्या निजी अस्पतालों के पास संसाधन हैं?
सरकारी अस्पताल में बदले जाने के बाद ये बेड उपलब्ध हों या निजी अस्पताल पूरी तरह से कोविड-19 अस्पताल बन जाए. यह खाली रहना चाहिए जिसमें मरीजों के साथ प्रशिक्षित कर्मचारी और नर्सें रहें और इसके साथ सभी आवश्यक चिकित्सा सामग्री भी हो.
आप देखिए, ऐसा नहीं है कि अचानक एक मरीज आएगा और हम तैयार मिलेंगे. अस्पताल उसके लिए तैयार नहीं मिलेगा. हमें मास्क और एप्रन की जरूरत होगी और उपयुक्त दवाओं की भी. और ऐसा तभी हो सकता है जब एक या दो अस्पताल हर जिले में इसी काम के लिए हों और हम उसे तैयार अवस्था में रखें क्योंकि जब आपात स्थिति पैदा होगी तो बड़ी संख्या में मरीज आएंगे. एक नहीं, बल्कि सैकड़ों.
कोरोना मरीजों के लिए निजी अस्पतालों की तैयारी पर डॉ गिधर ज्ञानी केसाथ टेलीफोन पर इंटरव्यू का ऑडियो.
कोविड-19 मरीजों के लिए कितने अस्पताल तैयार किए जाएंगे?
हमने सरकार से पूछा है कि कितने अस्पतालों की आवश्यकता होगी और हम दोया तीन अस्पतालों को कोविड-19 अस्पताल के तौर पर उन्हें उपलब्ध कराएंगे.
हमारे पास टेस्ट करने वाले निजी अस्पतालों की संख्या इतनी कम क्यों है?
अभी लोग सरकारी अस्पतालों में जा रहे हैं. और, अब तक संख्या उतनी बड़ी नहीं है. एक मरीज ठंड में कांप रहा है और उसे बीते 10 दिनों से खांसी है तो हमउसकी जांच नहीं करेंगे. तब तक नहीं करेंगे जब तक कि उसे सही लक्षण, जैसे कि सांसकी बीमारी, तेज बुखार 100 या 102 डिग्री नहीं होता. अगर ये लक्षण सामान्य हैं(खांसी, सांस की तकलीफ और बुखार) तभी हम उनकी जांच करेंगे.
जैसा कि आप जानते हैं कि अगर एक व्यक्ति में कई दिनों से लक्षण नहींहै तो कोई कैसे जान पाएगा कि वह संक्रमित है या नहीं?
मैं जानता हूं. यही जोखिम है. मैं जानता हूं कि 4-5 दिनों के बाद येमामले खुले तौर पर सामने आते हैं. और हम कामना करते हैं कि ऐसा न हो.
क्या कम्युनिटी ट्रांसमिशन या सामुदायिक संक्रमण शुरू हो गया है?
कम्युनिटी ट्रांसमिशन हुआ है लेकि बहुत छोटे स्तर पर. यही कारण है किसरकार ने लॉक डाउन की पहल की है.
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