भारत हमेशा से ही फैलने वाली बीमारी के लिए घर रहा है और कोरोना वायरस (Coronavirus) संकट भी इसका अपवाद नहीं है. अब भारत में अमेरिका के बाद कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा 60 लाख से ज्यादा मामले आ चुके हैं. इन लोगों में से 85,000 केस और उनके संपर्क में आए 6 लाख लोगों की स्टडी एक साइंस जर्नल में पब्लिश हुई है. इसमें कई सारी नई बातें निकलकर आई हैं जो आपको जाननी चाहिए.
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ये स्टडी दो दक्षिण भारतीय राज्य आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु पर केंद्रित हैं. इन दोनों राज्यों में करीब 12.8 करोड़ जनसंख्या है. ये दोनों राज्य भारत में 5 सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण वाले राज्यों में शामिल हैं. साथ ही इन राज्यों के पास हेल्थ केयर सिस्टम भी अच्छा है.
स्टडी की बड़ी बातें-
भारत में कोरोना संक्रमण से मौत होने के पहले लोगों ने हॉस्पिटल में औसतन 5 दिन गुजारे. वहीं अमेरिका में मौत होने से पहले मरीज औसतन 2 हफ्तों तक एडमिट रहे. ऐसा इसलिए हो सकता है क्यों कि भारत में कम संसाधनों पर ज्यादा लोग निर्भर हैं और जब कोई व्यक्ति गंभीर हालत में नहीं होता तब तक उसे हॉस्पिटल में एडमिट नहीं किया जाता.
कॉन्टैक्ट हिस्ट्री के अध्ययन से पता चला है कि हर उम्र के बच्चे कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं और वो दूसरों को भी संक्रमित कर सकते हैं.
स्टडी से ये भी पता चला है कि सिर्फ कुछ ही लोग हैं जिनकी वजह से कई लोगों तक कोरोना वायरस संक्रमण फैल रहा है. रिसर्च में पता चला कि 71% लोग किसी और को वायरस ट्रांसमीट करते हुए नहीं पाए गए हैं. सिर्फ 5% लोगों ने ही 80% लोगों तक इन्फेक्शन पहुंचाया है. हालांकि ये सुपर स्प्रेडर वाले सिद्धांत से अलग है.
कोरोना वायरस संक्रमण अब ज्यादातर कम संसाधनों वाले देशों में तेजी से फैल रहा है.
कई वैज्ञानिकों को इस बात ने चौंकाया कि भारत या फिर इसके जैसे कम आय वाले देश में जनसंख्या के अनुपात के मुकाबले स्पेन, फ्रांस या अमेरिका से कम केस देखने को मिले हैं.
पहला संक्रमित होने वाला व्यक्ति ज्यादातर केस में पुरुष होता है और अपने कॉन्टैक्ट से उम्र में बड़ा होता है. ऐसा इसलिए हो सकता है क्यों कि पुरुष ही अधिकतर बाहर निकलते हैं.
अध्ययन में ये भी पता चला है कि संक्रमित व्यक्ति के अपनी उम्र के लोगों को इन्फेक्शन ट्रांसमीट करने की संभावना ज्यादा होती है.
जो दावा किया जाता रहा है कि बच्चों का संक्रमण फैलाने में कोई हाथ नहीं है ये बात पूरी तरह से सही नहीं है. इस मामले में ज्यादा बच्चों का डाटा तो उपलब्ध नहीं है लेकिन जो भी बच्चे लोगों के संक्रमण में आए हैं उन्होंने कोरोना ट्रांसमीट जरूर किया है.
कोरोना वायरस से जिन लोगों की मौत हुई है, रिसर्च में पता चला है कि ऐसे 2% लोग हैं. ये रेट उम्र बढ़ने के साथ तेजी से बढ़ता है. लेकिन दूसरे देशों से इतर भारत में 65 की उम्र के बाद मौत का प्रतिशत कम होता है.
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