एयर इंडिया के पायलट और उसके क्रू के सदस्य कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान वंदे भारत मिशन की अगुवाई कर रहे हैं. वे 3020 उड़ानों के जरिए विभिन्न देशों में फंसे 4 लाख से अधिक भारतीयों को वतन वापस ला चुके हैं. वंदे भारत उड़ानों के लगभग 60 पायलट्स कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए हैं.
लेकिन जान की बाजी लगाकर काम करने वाले इन पायलट्स को इनाम में क्या मिला? इस साल अप्रैल से वेतनों में 60 से 70% की जबरदस्त कटौती.
क्विंट ने नाम न छापने की शर्त के साथ एयर इंडिया के कई पायलट्स से बातचीत की. वे रिकॉर्ड पर बातचीत करने में हिचकिचा रहे थे क्योंकि उन्हें डर था कि ऐसा करने पर उन्हें एयर इंडिया मैनेजमेंट का गुस्सा झेलना पड़ेगा.
सबसे ज्यादा दुखद यह था कि यह जबरदस्त कटौती सिर्फ फ्रंटलाइन पर काम करने वालों (पायलट्स और क्रू) के लिए है. एयर इंडिया के अधिकारियों ने, जो अपनी मेजों से हिलते तक नहीं, बहुत चतुराई से इस व्यवस्था की आंखों में धूल झोंकी है. उनके वेतन में सिर्फ 7% की कटौती हुई है.एयर इंडिया के एक पायलट
एविएशन मंत्री से मिलने की उम्मीद
1 अगस्त को भारतीय कमर्शियल पायलट एसोसिएशन और भारतीय पायलट्स गिल्ड ने सिविल एविएशन मंत्री हरदीप सिंह पुरी को एक पत्र लिखा जिसमें उनसे अनुरोध किया गया था कि वे इस मुद्दे पर मंत्री जी से बात करना चाहते हैं.
पायलट्स ने बताया कि उस पत्र में हमने लिखा था,
“हमें पूरी उम्मीद है कि सरकार फ्रंटलाइन वर्कर्स और उनके परिवारों को निराश नहीं करेगी, क्योंकि जब महामारी के दौर में दुनिया के किसी भी देश में विमान सेवाएं उपलब्ध नहीं थीं, तब हम अपने देश के साथ खड़े हैं. “
लेकिन पायलट्स अब तक मंत्री जी से मिल नहीं पाए हैं.
‘पिता के अंतिम संस्कार में शामिल भी नहीं हो पाया’
लॉकडाउन से पहले जनवरी 2020 में एयर इंडिया की उड़ानों को चीन के वुहान भेजा गया था ताकि 647 भारतीयों को वहां से वापस लाया जा सके. जाहिर सी बात है, वुहान महामारी का केंद्र था.
उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एयर इंडिया के पायलट्स को तारीफ भरा पत्र लिखा था. इसमें कहा गया था कि “बचाव दल द्वारा प्रदर्शित धैर्य, दृढ़ संकल्प और करुणा साबित करती है कि चरित्र की असली परीक्षा प्रतिकूल परिस्थितियों में ही होती है”. एक पायलट बताते हैं.
ऐसे कितने ही पायलट्स हैं जिन्होंने कर्तव्य पालन में अपनी व्यक्तिगत और परिवारिक इमरजेंसी की भी परवाह नहीं की और वंदे भारत मिशन में लगे रहे.
एयर इंडिया का एक पायलट अपने पिता के अंतिम संस्कार में भी हिस्सा नहीं ले पाया था क्योंकि वह कोरोना संक्रमित हो गया था.
जब वंदे भारत मिशन के तहत मैंने उड़ान भरी, तब कभी सोचा भी नहीं था कि मैं फिर कभी अपने पिता का चेहरा नहीं देख पाऊंगा. फ्लाइट के दौरान मैं कोविड से संक्रमित हुआ और एक सरकारी क्वारंटाइन केंद्र में आइसोलेशन में ही मैंने उनकी मौत के दुख को अकेले बर्दाश्त किया.एयर इंडिया के एक पायलट
कुछ अन्य बड़ी एयरलाइन्स के पायलट्स और एयर इंडिया के पायलट्स को फिक्स्ड फ्लाइट पे के तौर पर वेतन का एक हिस्सा मिलता है. यह इस आधार पर कैलकुलेट किया जाता है कि उन्होंने कितने घंटे/दिन उड़ान भरी है. कोविड-19 के नियमों के चलते एयर इंडिया के अधिकतर पायलट्स को क्वारंटाइन में रहना पड़ता है, हर यात्रा के बाद करीब 15 दिन. उनमें से बहुत से पायलट्स को क्वारंटाइन के बाद भी ‘फिट टू फ्लाई’ घोषित नहीं किया जाता. जितने दिन वे ग्राउंड पर रहते हैं, उन्हें फिक्स्ड फ्लाइट पे नहीं दिया जाता.
एक पायलट ने द क्विंट को बताया कि वह पूरे महीने ग्राउंड पर रहा तो उसे पूरे महीने की फिक्स्ड फ्लाइट पे से हाथ धोना पड़ा.
मुझे उस अवधि का वेतन नहीं मिला, जब मैं कोविड से रिकवर हो रहा था और ग्राउंड पर था, चूंकि मैं कंपनी की सेवा के लिए उपलब्ध नहीं था.एयर इंडिया के एक पायलट
उस पायलट को पूरे महीने की फिक्स्ड फ्लाइट पे तो मिली नहीं, तनख्वाह भी 60% कटौती के साथ मिली. ड्यूटी के दौरान कोविड-19 पॉजिटिव होने पर कोई वित्तीय और भावनात्मक मदद तो दी नहीं गई, वेतन भी काट लिया गया.
‘RWA से अपनी पहचान छिपाने के लिए कार में ही अपनी पायलट यूनिफॉर्म बदलता हूं’
एक और पायलट ने अपनी आपबीती सुनाई. वह जब भी वंदे भारत उड़ान के लिए जाते हैं, हर बार इस डर का सामना करते हैं कि कहीं उनकी 80 साल की मां संक्रमित न हो जाएं.
मैं अपने परिवार का अकेला कमाऊ सदस्य हूं. हमारे इलाके की रेज़िडेंट वेल्फेयर एसोसिएशन लगातार हमें परेशान कर रहती है. उनके डर से मैं अपनी यूनिफॉर्म शर्ट को कंपनी के ट्रांसपोर्ट में एयरपोर्ट जाते-आते बदलता हूं. पड़ोसियों को मैं खतरा लगता हूं और वे मुझसे और मेरे परिवार के साथ ऐसे व्यवहार करते हैं, जैसे हमने कोई अपराध किया है. जैसे हमें यहां से निकालकर जेल में बंद कर देना चाहिए. ये डर हमेशा बना रहता है कि कही मुझे कोविड न हो जाए. अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरी मां की देखभाल कौन करेगा? इससे भी बुरा यह कि कहीं मुझसे संक्रमित होकर मेरी मां की मौत न हो जाए?एयर इंडिया के एक पायलट
कई पायलट्स के कारण उनके पूरे परिवार संक्रमित हो गए और अब भी रिकवर हो रहे हैं.
मैं वीबीएम (वंदे भारत मिशन) से वापस लौटा और मेरा कोविड टेस्ट नेगेटिव आया. घर पहुंचने के बाद लक्षण नजर आने लगे. मुझे तेज बुखार हो गया. जब मैं दोबारा टेस्ट के लिए गया, तब तक मैं अपनी अस्थमा की शिकार बीवी और दोनों छोटे बच्चों को संक्रमित कर चुका था. मैं सांस लेने के लिए सप्लिमेंटरी ऑक्सीजन ले रहा हूं. पर मैंने इस बीमारी से लड़ता रहूंगा.एयर इंडिया के एक पायलट
एयर इंडिया के पायलट्स को अप्रैल का वेतन जुलाई में मिला, वह भी 60 से 70% की कटौती के साथ. ‘लॉकडाउन के दौरान हमें अपना वेतन नहीं मिला, पर हम लगे रहे. हमें लगा कि कोविड-19 के खिलाफ युद्ध में हम फ्रंटलाइन वर्कर्स हैं. एक बार यह तत्काल संकट टल गया तो हमारी सुध ली जाएगी. लेकिन अब मुझे लगता है कि हमारी एयरलाइन का टॉप मैनेजमेंट इतना स्वार्थी है कि उसने हमें बेहाल छोड़ दिया है और सिर्फ अपनी चिंता कर रहा है.’ पायलट ने बताया.
पायलट्स के वेतन का 80% हिस्सा, उनका फ्लाइट भत्ता या ‘फिक्स्ड फ्लाइट पे’ होता है, और बाकी का 20% बेसिक सैलरी और एचआरए. जबकि एयर इंडिया के प्रशासकों या नॉन फ्लाइंग स्टाफ का सैलरी स्ट्रक्चर इससे उलट होता है. बेसिक सैलरी और एचआरए पर कटौती सबकी एक सी है यानी 7%.
मिसाल के तौर पर एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और एक कैप्टन की सैलरी 2.5 लाख रुपए के करीब है. 7% की कटौती के साथ एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर को 2.30 लाख रुपए से कुछ अधिक मिलेंगे लेकिन कैप्टन को 60% की कटौती के साथ 1 लाख रुपए.
हमें तब बुरा नहीं लगता जब एयर इंडिया सभी फ्लाइंग और नॉन फ्लाइंग स्टाफ के वेतन मे 40 से 60% की कटौती करता. वेतन कटौती का पूरा मकसद यह है कि लागत कम की जाए, न कि भेदभाव किया जाए.एयर इंडिया के एक पायलट
इस पायलट ने बताया कि इस साल मार्च तक सभी पायलट्स को ‘फिक्स्ड फ्लाइट पे’ मिल रही थी, चाहे उसने कितने भी घंटे की उड़ान भरी हो. लेकिन अप्रैल में पायलट्स को बताया गया कि उन्हें उतने घंटों के लिए फिक्स्ड अमाउंट मिलेगा, जितने घंटे वे उड़ान भरेंगे.
एयर इंडिया प्रशासन ने एकतरफा फैसला सुनाया कि एक पायलट को एक घंटा उड़ान भरने के लिए इतना फिक्स्ड अमाउंट मिलेगा. यह कॉन्ट्रैक्ट का सीधा सीधा उल्लंघन है.
‘छोटे से बच्चे को कैसे समझाऊं कि सोशल डिस्टेंसिंग क्या होती है?’
कुछ पायलट्स को अपने काम के दौरान इमोशनल तकलीफ से भी गुजरना पड़ा.
हर फ्लाइट के बाद एक पिता के तौर पर मेरा दिल दुखता है. मैं खुद को अपने छोटे से बच्चे से दूर कर लेता हूं. पर एक नन्हे बच्चे को सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में कैसे समझाया जा सकता है?एयर इंडिया के एक पायलट
कमर्शियल पायलट बनने के लिए जो प्रशिक्षण लेना होता है, उसकी फीस बहुत अधिक है, करीब एक करोड़ रुपए. बहुत से पायलट्स एजुकेशन लोन लेते हैं और इस लोन को चुकाने में उन्हें कई साल लग जाते हैं. बहुत से पायलट्स ने बताया कि वेतन कटौती के बाद उनके लिए इन लोन्स को चुकाना मुश्किल हो रहा है.
एयर इंडिया के पायलट्स को उम्मीद है कि सिविल एविएशन मंत्री उनसे मिलेंगे तो उनकी मुश्किलें कुछ आसान होंगी.
द क्विंट ने सिविल एविएशन मंत्रालय को एयर इंडिया के पायलट्स की वेतन कटौती पर अपडेट के लिए लिखा है. जब हमें कोई जवाब मिलेगा, तो हम इस स्टोरी को अपडेट कर देंगे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)