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कोरोनावायरस लॉकडाउन की मार, बंद हो गए कई अखबार  

PDF, ई-पेपर : किस तरह अखबार कॉपी किए जा रहे हैं

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भारत
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कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन ने देशभर में अखबारों के वितरण की व्यवस्था को धराशायी कर दिया है. कई जगहों में दैनिक अखबारों का प्रकाशन रोक दिया गया है.

दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता के कई वेंडरों ने क्विंट को बताया कि लॉकडाउन की वजह से कम से कम 80-85 प्रतिशत अखबारों का वितरण प्रभावित हुआ है.  
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अखबारों का वितरण जहां ज्यादा प्रभावित हुआ है उनमें से महाराष्ट्र भी है, जहां देश में सबसे ज्यादा कोरोनावायरस पॉजिटिव पाए गए हैं.

‘मुंबई में तकरीबन सभी अखबारों का प्रकाशन बंद’

क्विंट से बात करते हुए हिन्दुस्तान टाइम्स के एडिटर-इन-चीफ सुकुमार रंगनाथन ने कहा कि मुंबई के करीब सभी अखबारों ने प्रकाशन रोक दिया है.

“मुंबई में सभी अखबारों ने प्रकाशन बंद कर दिया है. बड़ा मुद्दा आपूर्ति का नहीं है, यह न्यूजरूम भी नहीं है बल्कि वितरण व्यवस्था है. मुंबई में एक यूनियन है जिनसे सभी वितरक जुड़े हैं. वे लोग 31 मार्च को फैसला करेंगे और तब तक कोई अखबार प्रकाशित नहीं होगा.”

‘शीर्ष मराठी दैनिक के वरिष्ठ संपादक ने भी इसकी पुष्टि की’

अपना नाम जाहिर नहीं करते हुए संपादक ने कहा कि “महाराष्ट्र में लगभग 25 क्षेत्रीय भाषाओं में अखबार हैं. इनमें से कई अखबार प्रदेश की जनता के लिए एक मात्र सूचना का स्रोत हैं. कल्पना करें कि लाखों घरों में ये सूचनाएं अब नहीं पहुंच रही हैं.“

दिल्ली-एनसीआर में आधा हुआ अखबारों का प्रकाशन-वितरण

इंडियन एक्सप्रेस और हिन्दू के वरिष्ठ संपादकीय कर्मचारियों ने क्विंट को बताया कि दिल्ली-एनसीआर में अखबार अब भी छप रहे हैं लेकिन वितरण आधे से भी कम हो गया है.

इंडियन एक्सप्रेस के कर्मचारी ने कहा, “हमें सही संख्या के लिए कुछ और दिन इंतजार करना होगा. बहरहाल मैं आपको बता सकता हूं कि हम कम पृष्ठ और प्रतियां छाप रहे हैं. हफ्ते की शुरुआत से ही संख्या घटती चली गयी है.”

वितरण श्रृंखला क्यों हुई प्रभावित

रंगनाथन के अनुसार आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित करने वाली तीन चीजें हैं-

  • पहला- यह निराधार अफवाह है कि अखबार संक्रमित होते हैं. कई वैज्ञानिक हैं जो कहते हैं कि ऐसा नहीं हो सकता.
  • दूसरा- अखबारों को हाथों-हाथ बांटना मुश्किल हो गया है क्योंकि अपार्टमेंट और सोसायटियों ने बाहरी वेंडरों को डिलीवरी के लिए अनुमति देने से मना कर दिया है.
  • तीसरा- हमारे अखबारों का वितरण कर रहे वेंडर पुलिस के हाथों परेशान नहीं होने चाहिए. इसलिए हम वेंडरों और अधिकारियों के साथ नजदीकी संपर्क बनाए हुए हैं ताकि कर्फ्यू पास हासिल किए जा सकें, क्योंकि अखबार भी अनिवार्य आवश्यकता हैं.

कमाई पर बुरा असर डाल रहा है वितरण

चेन्नई में स्थिति कुछ अलग नहीं है. शहर में शीर्ष अखबार हिन्दू ने कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान अपने पृष्ठों की संख्या 21 से घटाकर 14 कर दी है. वितरण व्यवस्था के टूटने से विज्ञापनों पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है. कई नियमित विज्ञापनदाताओं पहले से ही पीछे हटने लगे हैं.

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“निश्चित रूप से हम नियमित रूप से पहले की तरह अखबार नहीं प्रिंट कर रहे हैं क्योंकि वे घरों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. इसका मतलब यह है कि विज्ञापन तय संख्या तक घरों में नहीं पहुंच रहे हैं. इसलिए बड़ी संख्या में विज्ञापदाताओं ने अपने कदम पीछे खींचने शुरू कर दिए हैं. लेकिन, हम अखबार छापना बंद नहीं कर सकते क्योंकि यह आवश्यक सेवा है- हमें जनता तक सूचनाएं पहुंचानी होती हैं. लेकिन असर एक-दो महीने में देखने को मिलेगा.”
हिन्दू अखबार के मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव

वितरण व्यवस्था पर असर का बुरा प्रभाव प्रभात खबर जैसे शीर्ष क्षेत्रीय अखबारों पर भी हो रहा है जो बिहार-झारखण्ड क्षेत्र में सबसे ज्यादा बिकने वाला दैनिक है.

अखबार के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी ने क्विंट को बताया, “इसमें संदेह नहीं है कि दैनिक अखबारों का वितरण घट गया है, विज्ञापन भी लौटने लगे हैं.”

‘आशंकाओं के कारण लोग हमें कॉलोनी के भीतर जाने नहीं दे रहे’ : वेंडर

दूसरी ओर अखबारों के वेंडर भ्रम में हैं. एक, वे गलत सूचनाओं के बीच अखबार उठाने को बेचैन हैं, दूसरा वे देखते हैं कि आवासीय क्षेत्रों में इजाजत नहीं मिलने के कारण वितरण का कोई केंद्र नहीं रह गया है.

जम्मू में एक अखबार विक्रेता ने एएनआई को बताया,

“कई लोगों ने अखबार खरीदना बंद कर दिया है, कम वेंडर हमारे पास आ रहे हैं. हम 70 से 80 हजार अखबार हर दिना बेचा करते थे जो घटकर 15 हजार पर आ गया है.”

कोलकाता में अखबार वितरक अमित गोस्वामी ने एएनआई को बताया-

“हमारी बिक्री 80 फीसदी तक गिर गयी है. हमारे ज्यादातर ग्राहकों ने यह कहते हुए कि इससे वायरस घरों में पहुंच सकता है, अखबार खरीदना बंद कर दिया है. ज्यादातर हाउसिंग सोसाएटी में भी हमें जाने की अनुमति नहीं है.”

नोएडा के कुछ सेक्टरों में अखबार बांटने वाले कैलाश शर्मा कहते हैं कि उनके वितरक ने उन्हें मास्क, ग्लोव्स और सैनिटाइजर दिए. फिर भी उन्हें कॉलोनियों के अंदर जाने की इजाजत नहीं है.

उन्होंने कहा, “मैं नोएडा के सेक्टर 26, 27 और 29 में अखबार बांटता हूं. लेकिन 99 फीसदी जगहों पर मुझे अंदर जाने की अनुमति नहीं है, इसलिए मैंने सुबह में बाहर निकलना और वितरक से अखबार उठाना बंद कर दिया है.”

PDF, ई-पेपर : किस तरह अखबार कॉपी किए जा रहे हैं

हिन्दू की राष्ट्रीय संपादक सुहासिनी हैदर ने गुरुवार 26 मार्च को घोषणा की कि अखबार का ई-वर्जन अब ‘रियायती’ होगा. बिजनेस स्टैंडर्ड जिसे भी खरीद कर ऑनलाइन पढ़ा जाता है, ने लोगों तक सूचनाएं पहुंचाना सुनिश्चित करने के लिए सभी शुल्क हटा लिए हैं. इंडियन एक्सप्रेस ने भी अपने उन ग्राहकों को अखबार का पीडीएफ जारी करना शुरू कर दिया है जो अखबार हासिल कर पाने में असमर्थ हैं.

रंगनथान ने कहा, “इस वक्त मैं यह नहीं देख रहा हूं कि मेरा पेज व्यू कितना है, मैं सोचता हूं कि हम आवश्यक सेवा हैं और हम जनता को सूचित करने की कोशिश कर रहे हैं. हम उन्हें उपयोगी खबर दें.”

उन्होंने आगे बताया कि हिन्दुस्तान टाइम्स के सभी ई-पेपर संस्करण वॉट्सऐप और टेलीग्राम पर हर दिन वितरित हो रहे हैं.

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