भारत में कोरोना वायरस संक्रमण असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लगभग 40 करोड़ लोगों को और गरीबी में धकेल देगा. आईएलओ की एक रिपोर्ट के मताबिक लॉकडाउन और औद्योगिक गतिविधियों को बंद करने के सरकार के फैसले बड़ी तादाद में असंगठित क्षेत्र के लोगों के रोजगार पर असर डालेंगे.
40 करोड़ कामगारों के लिए मुश्किल घड़ी
भारत में कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से 21 दिनों का लॉकडाउन है. आईएलओ ने कहा है कि भारत उन देशों शामिल है, जिसके पास हालात का बेहतर ढंग से सामना करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं. आईएलओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 90 फीसदी कामगार असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं. कोरोनावायरस संक्रमण पर काबू नहीं पाया गया तो लगभग 40 करोड़ कामगारों के गरीबी में फंसने का खतरा है.
आईएलओ ने यह भी कहा है कि दुनिया भर में इस संकट से कामगारों के काम के घंटों और कमाई पर असर पड़ेगा. इस रिपोर्ट में कोरोनावायरस के संक्रमण से दुनिया भर के उन सेक्टरों और इलाकों का जिक्र है, जिन पर सबसे ज्यादा असर होगा.
रिपोर्ट के मुताबिक 2020 की दूसरी तिमाही में कामगारों के काम के लिए 6.7 फीसदी घंटे कम हो जाएंगे. यानी उनके पास कम काम होगा. यह 1.95 करोड़ फुलटाइम वर्कर्स की ओर से किए जाने वाले काम के बराबर होगा.
मैन्यूफैक्चरिंग सबसे ज्यादा प्रभावित सेक्टरों में
जिन सेक्टरों पर सबसे ज्यादा असर होगा वे फूड सर्विस, मैन्यूफैक्चरिंग, रिटेल, बिजनेस और इससे जुड़े एडमिनिस्ट्रेटिव गतिविधियों से जुड़े होंगे. इस वक्त ग्लोबल वर्क फोर्स यानी दुनिया भर में पांच में से चार लोग ( 81 फीसदी) आंशिक या पूर्ण लॉकडाउन से प्रभावित हैं.
आईएलओ के डायरेक्टर जनरल गाई रायडर ने कहा कि कामगार और कारोबार दोनों इस वक्त भयावह वक्त का सामना कर रहे हैं. इसलिए संकट को खत्म करने के लिए तेजी से कदम उठाने होंगे. सही दिशा में उठाया गया कदम निर्णायक साबित होगा.
आईएलओ की नई स्टडी के मुताबिक दुनिया भर में 1.25 अरब कामगार उन सेक्टरों में काम करते हैं जिनमें भारी छंटनी, कम काम और मजदूरी घटने का अंदेशा है.
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