कोरोना वायरस से निपटने के लिए देश में लागू 21 दिनों के लॉकडाउन की समयसीमा 14 अप्रैल को खत्म हो रही है. हालांकि कई राज्यों ने लॉकडाउन को 30 अप्रैल तक बढ़ाने का ऐलान कर दिया है. मगर केंद्र सरकार की तरफ से अभी तक लॉकडाउन के भविष्य को लेकर कोई ऐलान नहीं किया गया है. ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि क्या 14 अप्रैल के बाद देशभर में लॉकडाउन बढ़ना चाहिए या नहीं?
इस सवाल का जवाब इसलिए आसान नहीं है क्योंकि एक तरफ देश की बड़ी आबादी के सामने कोरोना वायरस का खतरा है, जबकि दूसरी तरफ लॉकडाउन की वजह से देश को आर्थिक मोर्चे पर नुकसान हो रहा है.
चलिए, इस मुश्किल स्थिति को समझने के लिए कुछ आंकड़ों पर नजर दौड़ाते हैं:
बड़ी आबादी के सामने कोरोना का खतरा
लॉकडाउन 24 मार्च को रात 12 बजे से लागू हुआ था. इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के 25 मार्च की सुबह जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में तब तक COVID-19 के कुल 562 कन्फर्म केस सामने आए थे और इससे 9 लोगों की मौत हुई थी. मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक ही 13 अप्रैल की सुबह तक देश में COVID-19 के कुल 9152 कन्फर्म केस सामने आ चुके हैं, जबकि इसकी वजह से 308 लोगों की जान जा चुकी है.
पिछले एक हफ्ते में कोरोना प्रभावित जिलों की संख्या 284 से बढ़कर 354 तक पहुंच गई है. इन 354 जिलों में देश की करीब 65 फीसदी आबादी रहती है.
कोरोना प्रभावित इन जिलों में 72 जिले ऐसे हैं, जहां इसके 20 से ज्यादा कन्फर्म केस सामने आए हैं, जबकि पिछले हफ्ते ऐसे जिलों की संख्या 46 थी. 12 जिलों में COVID-19 के 100 से ज्यादा कन्फर्म केस सामने आ चुके हैं, पहले ऐसे जिलों की संख्या 7 थी.
लॉकडाउन बढ़ा तो इकनॉमी का क्या होगा?
COVID-19 से जुड़े आंकड़ों को देखकर साफ है कि केंद्र सरकार अगर लॉकडाउन के जरिए कोरोना वायरस से निपटने की रणनीति पर ही रही तो उसके लिए इसमें ज्यादा ढील देना आसान नहीं होगा.
हालांकि इस बीच कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार कोरोना प्रभावित इलाकों को केसों की संख्या के आधार पर 3 जोन (रेड, ऑरेंज और ग्रीन) में बांट सकती है.
इसके तहत
- सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके, जिन्हें हॉटस्पॉट घोषित किया गया है, उनको रेड जोन बनाया जा सकता है. इन इलाकों में सख्त लॉकडाउन लागू रह सकता है.
- कम प्रभावित इलाके और जहां केसों में लगातार बढ़ोतरी देखने को नहीं मिल रही, उनको ऑरेंज जोन घोषित किया जा सकता है. ऐसे इलाकों में कुछ हद तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट और जरूरी गतिविधियों को छूट दी जा सकती है.
- वहीं ग्रीन जोन वो इलाके हो सकते हैं, जहां अब तक कोरोना वायरस का एक भी मामला सामने नहीं आया है. इन इलाकों में भी कुछ हद तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट और जरूरी गतिविधियों के साथ-साथ कुछ MSME उद्योगों को भी अनुमति दी जा सकती है.
अगर ऐसा हुआ भी और ग्रीन जोन में कुछ उद्योगों को अनुमति मिली तो भी आर्थिक मोर्चे पर देश की स्थिति को ज्यादा फायदा नहीं होगा क्योंकि भारत के जो 354 जिले कोरोना प्रभावित हैं, वहां से देश की जीडीपी का 79 फीसदी हिस्सा आता है. इस तरह लॉकडाउन को बढ़ाकर आर्थिक मोर्चे पर लड़ना सरकार के लिए आसान नहीं होगा.
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