कोरोना वायरस जैसी खतरनाक महामारी को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन है. पिछले एक महीने से पूरा देश अपने घरों में बंद है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर लॉकडाउन का कितना फायदा हमें मिल रहा है. देश में लॉकडाउन के दौरान कोरोना के कहर में कमी आई है या फिर नहीं. अगर सरकार के रोजाना जारी होने वाले आंकड़ों की मानें तो काफी सुधार देखने को मिला है. लेकिन राज्यों के आंकड़े देखें तो कहीं हालात सुधरे हैं, वहीं कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां कोरोना के मामलों में अचानक उछाल देखने को मिला है.
पहले आपको देशभर का हाल बताते हैं कि पिछले एक हफ्ते में कोरोना के मामलों और इससे होने वाली मौतों में क्या अंतर आया है. स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़े के मुताबिक अब तक 4 हजार 813 लोग ठीक हो चुके हैं. इससे भारत का कुल रिकवरी रेट 19.89 प्रतिशत तक चला गया है.
पिछले एक हफ्ते का हाल
डबलिंग रेट में कितना सुधार
अब बात करते हैं भारत के डबलिंग रेट में हुए सुधार की. स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि 19 अप्रैल तक पिछले सात दिनों में इंडिया का डबलिंग रेट 3.4 से सुधरकर 7.5 हो चुका है. डबलिंग रेट यानी कितने दिन में केस दोगुने हो रहे हैं. जहां पहले केस सिर्फ 3.4 दिनों में ही दोगुने हो रहे थे, वहीं इन्हें दोगुना होने में अब 7.5 दिन लग रहे हैं.
वहीं कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां 30 दिन से भी ज्यादा डबलिंग रेट है. इसमें ओडिशा और केरल शामिल हैं. इसके अलावा गोवा अकेला ऐसा राज्य बन चुका है जहां एक भी कोरोना केस पॉजिटिव नहीं है.
करीब 1 महीने से इन जिलों में नहीं आया कोई केस
राज्यों की बात तो हमने कर ली, लेकिन कुछ जिले ऐसे हैं, जहां पिछले 28 दिनों से एक भी केस दर्ज नहीं किया गया है. जिनमें कर्नाटक का चित्रदूर, छत्तीसगढ़ का बिलासपुर, मणिपुर का इंफाल वेस्ट, मिजोरम का आइजुअल वेस्ट, तेलंगाना का भद्रादिरी कोट्टागुड़म, उत्तर प्रदेश का पीलीभीत, पंजाब का एसबीएस नगर, गोवा का साउथ गोवा, पुडुचेरी का माहे, कर्नाटक का कोडागु और उत्तराखंड का पौड़ी गढ़वाल जिला शामिल है. ऐसे जिलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
आपने जाना कि देशभर में कोरोना के रिकवरी रेट में कुछ सुधार हो रहा है, वहीं राज्यों और जिलों के डबलिंग रेट भी अच्छे संकेत दे रहे हैं. लेकिन अब आपको कुछ ऐसे राज्यों के बारे में बताते हैं, जहां कोरोना का ग्राफ अचानक बढ़ गया. वहीं केरल जैसे भी राज्य हैं, जो इस दौर में तारीफ के काबिल हैं. क्योंकि यहां कोरोना ने दस्तक तो दी, लेकिन उसका ग्राफ ऊपर नहीं चढ़ा.
इन राज्यों में कई गुना बढ़ रहे केस
सबसे पहले बात करते हैं गुजरात की, जहां देखते ही देखते कोरोना के केस बढ़ते ही चले गए. यहां 23 अप्रैल तक 2600 से ज्यादा पॉजिटिव मामले आ चुके थे. वहीं 112 लोगों की मौत हो चुकी थी.
अगर करीब एक महीने पहले के आंकड़े को देखें तो 23 मार्च को राज्य में सिर्फ 29 मामले सामने आए थे. वहीं एक 67 साल के शख्स की मौत हुई थी. यानी एक महीने में 90 गुना से भी ज्यादा बढ़ोतरी हुई है.
गुजरात के अलावा महाराष्ट्र और दिल्ली में भी केस लगातार बढ़ते गए. जहां महाराष्ट्र में 23 मार्च को कुल 97 मामले थे, वहीं ठीक एक महीन बाद 23 अप्रैल को ये 66 गुना बढ़कर 6 हजार 427 हो गए. दिल्ली में 23 मार्च को कुल 30 केस थे, एक महीने बाद 23 अप्रैल को यहां 2376 मामले दर्ज किए गए. वहीं बिहार की स्थिति बीच में सुधरती दिख रही थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों से यहां लगातार कई मामले सामने आ रहे हैं. बिहार में 23 मार्च को सिर्फ 2 मामले सामने आए थे, वहीं 23 अप्रैल को कुल 170 मामले आ चुके हैं.
इन सभी राज्यों के अलावा अगर केरल के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह ऐसा राज्य है जो कोरोना पर लगाम कसने में कामयाब रहा है. देश का सबसे पहला मामला केरल में ही आया था. केरल में 23 मार्च तक 95 के आ चुके थे, लेकिन एक महीने के बाद 23 अप्रैल का आंकड़ा देखें तो यहां महज 447 ही मामले हैं. यानी यहां महज 4 गुना केस बढ़े.
देशभर के आंकड़ों से ये राहत जरूर मिलती है कि भारत कहीं न कहीं कोरोना के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने में कामयाब रहा है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि देश कोरोना से पूरी तरह सुरक्षित है और कोरोना खत्म होता नजर आ रहा है. क्योंकि अभी लॉकडाउन ने कोरोना पर लगाम लगाई है, जैसे ही इस लगाम को छोड़ा जाता है तो कोरोना के मामले बेकाबू भी हो सकते हैं. अब 3 मई को एक बार फिर लॉकडाउन बढ़ाया जाएगा या फिर इसमें ढील दी जाएगी, ये देखना अभी बाकी है.
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