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आखिर कहां रह गई है कमी? सीमेंट के बाद प्याज के ट्रक में मिले मजदूर

सरकार व्यवस्था का दावा कर रही फिर भी मजदूरों को घर वापस आने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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भारत
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अलग-अलग शहरों में रह रहे मजदूरों के लिए एक के बाद एक दावे और वादे सरकार और प्रशासन की तरफ से किए जा रहे हैं. ट्रेन चलाई गई हैं, बसें मजदूरों को अपने-अपने गृह राज्यों में ले जा रही हैं लेकिन आखिर कमी कहां रह जा रही है कि मजदूरों को घर वापस आने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. 2 मई को मध्य प्रदेश के इंदौर से एक वीडियो सामने आया था जिसमें 18 मजदूरों ने तो सीमेंट-गिट्टी को मिलाने वाले मिक्सर को ही अपने ट्रांसपोर्ट का साधन बना डाला.

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अब फिर इंदौर से ही एक खबर सामने आई है जिसमें कुछ मजदूर प्याज के ट्रक में बैठकर उत्तर प्रदेश जा रहे थे. इस ट्रक में 17 महिला-पुरुष और 6 बच्चे भी थे. इंदौर प्रशासन का कहना है कि अब इन मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है. ये सभी लोग कानपुर, इटावा और छतरपुर के निवासी हैं.

बता दें लॉकडाउन के बाद मजबूरी में साधन न होने की दशा में हजारों मजदूरों ने घर की ओर पैदल चलना शुरू कर दिया. मामले में किरकिरी होने के बाद सरकार ने ट्रेन और कई जगहों पर बसों की सुविधा उपलब्ध करवाई थी, लेकिन अब यह इंतजाम भी नाकाफी साबित हो रहे हैं.

40 दिन से फंसे लोग अब जल्दी ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था करवाने की मांग कर रहे हैं. सूरत और वडोदरा में तो हिंसक प्रदर्शन भी हो चुके हैं.

भिवंडी के उदाहरण से हालात समझिए

हालात ऐसे क्यों हैं जरा एक उदाहरण से समझिए महाराष्ट्र के भिवंडी से उत्तरप्रदेश के गोरखपुर के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई गई थी. लेकिन इसमें करीब 90 सीटें खाली रह गईं. किसी तरह अपने घर लौटने की आस में स्टेशन पहुंचे 100 से ज्यादा मजदूरों को वापस लौटना पड़ा. इन मजदूरों के पास टिकट खरीदने के पैसे नहीं थे.

बता दें श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में मजदूरों को स्लीपर क्लास टिकट और बीस रुपये खाने के अतिरिक्त देने हैं. घटना पर रेलवे का कहना है कि उन्हें खाने और पानी का इंतजाम करने के लिए कहा गया है, टिकट और मेडिकल की जवाबदेही संबंधित राज्य सरकारों की है. राज्य सरकारें इस मुद्दे पर कुछ ठोस जवाब नहीं दे रही हैं.

यानी ऐसी आपदा की स्थिति में भी राज्य-केंद्र सरकारों के नियम-कानून के बीच कुछ मजदूर उलझ जा रहे हैं. शायद इसिलिए उन्हें सीमेंट मिक्सर के ट्रक, प्याज के ट्रक जैसे अमानवीय साधनों का सहारा लेना पड़ रहा है.

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