कोरोना वायरस के संकट के बीच लॉकडाउन के चौथे चरण का ऐलान हो चुका है. लेकिन प्रवासी मजदूरों का पलायन लगातार जारी है. उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश में 17 मई को हुई घटनाओं से साफ है कि मजदूरों का सब्र का बांध टूट रहा है. मजदूरों को सुविधाएं न मिलने और घर नहीं पहुंच पाने के कारण अब उनका गुस्सा सरकार और प्रशासन पर फूट रहा है. उत्तर प्रदेश की सीमाओं को सील करने के बाद मजदूरों में काफी आक्रोश दिख रहा है. वहीं, गुजरात में ट्रेन रद्द होने के बाद लोग बेकाबू होते दिख रहे.
यूपी-एमपी बॉर्डर पर हालात बदतर
यूपी सरकार ने 16 मई को अधिकारियों को निर्देश दिया था कि, राज्य की सीमा को सील कर दिया जाए. आदेश में ये भी कहा गया था कि पैदल प्रवासी मजदूरों और अवैध वाहनों को राज्य की सीमा में प्रवेश नहीं करने दिया जाए. इस आदेश के बाद यूपी के सीमाओं को सील कर दिया गया. लेकिन 17 मई को मध्य प्रदेश और उत्तरप्रदेश के बॉर्डर पर हालात बेकाबू होते दिखे. यहां रीवा के चाकघाट क्षेत्र में सीमा पर लगाए पुलिस बैरिकेड को प्रवासी मजदूरों ने तोड़ दिया और यूपी की सीमा में प्रवेश कर गए. यहां भारी संख्या में मजदूर मौजूद थे, उनके आक्रोश को पुलिस भी नहीं रोक पाई.
गुजरात में ट्रेन रद्द होने के बाद फूटा मजदूरों का गुस्सा
गुजरात में भारी संख्या में प्रवासी मजदूर मौजूद हैं. लेकिन कोरोना लॉकडाउन की वजह से रोजगार बंद हो गए हैं. ऐसे में मजदूरों जल्द से जल्द अपने गांव जाना चाहते हैं. हालांकि, सरकार मजदूरों को घर भेजने के लिए स्पेशल ट्रेनों को चला रही है. लेकिन इसके लिए रजिशट्रेशन करना जरूरी है. लेकिन रविवार को कुछ मजदूर ऐसे ही स्टेशन पहुंच गए.
मजदूरों की भीड़ के बाद गुजरात से बिहार और यूपी जानेवाली दो श्रमिक स्पेशल ट्रेन को रद्द कर दिया गया. इससे नराज मजदूरों ने राजकोट के शपार इंडस्ट्रियल क्षेत्र में वाहनों में तोड़फोड़ करनी शुरू कर दी.
वहीं, पुलिस ने कहा है कि, जो भी इस घटना के जिम्मेदार होंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी.
मजदूरों ने मथुरा-आगरा हाईवे को किया जाम
यूपी के मथुरा में 17 मई की सुबह को प्रवासी मजदूरों का गुस्सा सरकार और प्रशासन पर फूट पड़ा और उन्होंने आग लगाकर मथुरा-आगरा हाईवे को जाम कर दिया. नाराज मजदूरों का कहना था कि, वे भूखे-प्यासे हैं और उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है. हमें पैदल भी नहीं जाने दिया जा रहा और न ही वहान की व्यवस्था की जा रही है. हालांकि, हंगामे के बाद ट्रक के जरिए लोगों को दूसरे जिले भेजने के लिए प्रशासन ने व्यवस्था की.
यूपी बॉडर्र सील करने के बाद कई स्थानों पर प्रवासी मजदूरों की भीड़ देखी गई. दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉडर्र पर भी मजदूर इकट्ठा हो गए और हंगामा कर रहे थे. हालांकि बाद में उन्हें बसों से शेल्टर होम ले जाया गया. वहीं, दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर भी मजदूरों ने हंगामा किया.
बहरहाल, मजदूरों का अब गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है. वे अब किसी भी तरह अपने गांव-घर पहुंचना चाहते हैं. लॉकडाउन का चौथा चरण 18 मई से शुरू होनेवाला है और ऐसे में अगर मजदूरों को पूरी सुविधाएं नहीं मिली और उन्हें घर नहीं जाने दिया गया तो कई शहरों में अभी और उनका गुस्सा देखने को मिल सकता है.
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