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रेमडेसिविर के दोगुने प्रोडक्शन को मंजूरी, आखिर क्यों बढ़ रही मांग?

अब उत्पादन 39 लाख प्रति महीने की क्षमता से बढ़ाकर 78 लाख किया

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देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच जीवन रक्षक दवा रेमडेसिविर की कमी और इसकी कालाबाजारी सामने आ रही है. इसी बीच केंद्र सरकार ने 14 अप्रैल को रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए इसके दोगुने प्रोडक्शन को मंजूरी दे दी है.

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केंद्र सरकार ने रेमडेसिविर दवा का उत्पादन बढ़ाने का फैसला लिया है. अब 39 लाख प्रति महीने की क्षमता को बढ़ाकर 78 लाख किया जाएगा.

रेमडेसिविर दवा को लेकर फार्मा कंपनियों के साथ हुई बैठक

रेमडेसिविर दवा के मुद्दे पर केंद्रीय रासायनिक और उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने रेमडेसिविर दवा का निर्माण करने वाली फॉर्मा कंपनियों के साथ 12 और 13 मार्च को बैठक की थी. इस मीटिंग में रेमडेसिविर का प्रोडक्शन, सप्लाई और कीमतों पर विचार किया गया था.

केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि, “रेमडेसिविर दवा के निर्माताओं ने स्वैच्छा से इसकी कीमत 3500 रुपए से कम करने को कहा है. नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी लगातार रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता की निगरानी कर रही है.”

रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने वालों पर होगी कार्रवाई

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि, “ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने रेमडेसिविर की ब्लैक मार्केटिंग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. जो लोगों का शोषण कर रहे हैं और बेवजह रेमडेसिविर की किल्लत बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.”

डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि “कोविड-19 केसों में कमी के बाद रेमडेसिविर इंजेक्शन का प्रोडक्शन कम कर दिया गया था. हालांकि अब ड्रग्स कंट्रोलर और मंत्रालय ने इसका उत्पादन बढ़ाने का निर्देश दिया है.”

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रेमडेसिविर की कमी क्यों?

रेमडेसिविर कोरोना के इलाज में एक प्रमुख एंटी-वायरल दवा मानी जाती है. भारत में कोरोना की दूसरी लहर से पहले इसकी डिमांड और प्रोडक्शन कम थी, लेकिन पिछले कुछ महीनों में कोविड के केसों में अचानक उछाल आने से रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग में तेजी से इजाफा हुआ और सप्लाई, डिमांड की तुलना में नहीं हो पाई. जिसकी वजह से देश में रेमेडिसविर दवा की कमी होने लगी.

किन राज्यों से आ रहीं शिकायतें?

महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, यूपी और गुजरात समेत देश के कुछ राज्यों में रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत है. इन राज्यों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और मांग बढ़ने के साथ-साथ रेमडेसिविर इंजेक्शन के स्टॉक में कमी आने लगी है.

रेमडेसिविर दवा की कमी को लेकर राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार को अवगत कराया है. इसके बाद केंद्र सरकार ने रेमडेसिविर इंजेक्शन के निर्यात पर रोक लगाने के साथ-साथ, फॉर्मा कंपनियों को इसका उत्पादन बढ़ाने को कहा है.

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केस बढ़ने पर क्यों हो रही कालाबाजारी?

भारत में कोरोना की दूसरी लहर से कोविड संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं. चूंकि रेमडेसिविर दवा का इस्तेमाल गंभीर रूप से कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए किया जाता है. इस वजह से रेमडेसिविर की मांग में तेजी आई है और यही तेजी इस दवा की कालाबाजारी का कारण बनी है.

रेमडेसिविर की मांग में अचानक वृद्धि होने से महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में इस दवा की ब्लैक मार्केटिंग की खबरें सामने आई हैं. इन राज्यों के कई शहरों में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के आरोप में कई लोगों और मेडिकल कर्मियों को गिरफ्तार किया गया है.

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कोरोना मरीजों के लिए कितनी कारगर?

भारत में कोविड-19 के इलाज के लिए रेमडेसिविर दवा को मंजूरी दी गई है. कोरोना संक्रमित मरीजों पर रेमेडिसविर के इस्तेमाल से बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं. हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ऐसा कोई सबूत नहीं है कि रेमडेसिविर दवा के इस्तेमाल से जीवित रहने और अन्य परिणामों में सुधार होता है. लेकिन मौत की संभावना को कम करने के लिए गंभीर मरीजों को ये इंजेक्शन दिया जाता है.

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