अमूल का दूध, दही, घी सब कुछ थोड़ा सस्ता हो गया है. लेकिन ये खुशखबरी सिर्फ गुजरात के लोगों के लिए है.
अमूल चलाने वाली गुजरात मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) ने मांग बढ़ाने के लिए शनिवार से दाम घटाने का फैसला किया है. असल में प्रोडक्शन ज्यादा होने और डिमांड कम होने की वजह से जीसीएमएमएफ की कई मेंबर यूनियनों ने दूध खरीद और खरीद के दाम भी कम कर दिए हैं.
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घी, दूध और बटर मिल्क सस्ते
अमूल बटर मिल्क का आधा लीटर के पैकेट का दाम एक रुपए कम हो गया है. अब यह 11 रुपये के बजाय 10 रुपये में मिलेगा.
- फुल क्रीम मिल्क 'अमूल गोल्ड' का 5 लीटर का पैकेट 15 रुपये तक सस्ता हो गया है. इसके दाम 260 रुपये से घटकर 245 रुपए हो गए हैं. यानी 3 रुपए लीटर की कमी.
- इसी तरह घी का आधा लीटर का पैकेट भी 5 रुपए सस्ता हो गया है. अब तक 232 रुपए का मिलेगा पहले यह 237 रुपये का था.
- इसी तरह दही 55 रुपए लीटर के बजाए 50 रुपए लीटर में मिलेगा.
अमूल ने अभी दूसरे उत्पादों और पैंकिग पर कीमतें नहीं घटाई हैं.
दूध का उत्पादन बढ़ने से कम हुई कीमतें
जीसीएमएमएफ के मैनेजिंग डायरेक्टर आरएस सोढी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कीमतों में कटौती सिर्फ गुजरात में की गई है ताकि दूध की खपत और खरीद को बढ़ाया जा सके.
सोढ़ी के मुताबिक अमूल गुजरात में बल्क दूध की बिक्री तीन गुणा तक बढ़ाना चाहती है. उन्होंने बताया कि होटल और रेस्त्रां बल्क में दूध खरीदते हैं जो अभी सिर्फ 70 से 80 हजार लीटर है और इसकी बिक्री बढ़ाने के लिए ही दाम घटाए गए हैं. उनके मुताबिक जहां गुंजाइश है वहां दाम घटाने का फैसला किया गया है.
वैसे पूरे गुजरात में हर दिन अमूल करीब 55 लाख लीटर दूध बेचती है.
दूध की कीमतों में कटौती की एक वजह ये भी है कि जीसीएमएमएफ और इसकी मेंबर यूनियन के पास गुजरात में भारी मात्रा में दूध आ रहा है. फेडरेशन राज्य में हर रोज करीब 255 लाख लीटर दूध खरीदती है. पिछले साल के मुकाबले ये 22 फीसदी ज्यादा है.
कई जिलों की दुग्ध यूनियन दूध की खरीद पर पहले ही दाम कम कर चुकी हैं. पिछले दो महीनों में डेयरी किसानों की दूध सप्लाई ज्यादा हुई है. दरअसल, इम महीनों में पशु ज्यादा दूध देते हैं, जबकि रिटेल मार्केट में दूध की खपत नहीं बढ़ती.
दूध में पाए जाने वाले फैट के हिसाब से मानें तो कीमतों में कमी 50 से 90 रुपये किलो कमी आई है. या फिर दूध की मात्रा से समझें तो प्रति लीटर के हिसाब से दो रुपए तक दाम घटे हैं.
कुछ यूनियनों ने तो गांव की दूध सोसायटी के भी रजिस्ट्रेशन फिलहाल बंद कर दिए हैं. फिलहाल, पहले से ही रजिस्टर्ड सोसाइटी से ही दूध की खरीद की जा रही है.
(इनपुट- इंडियन एक्सप्रेस)
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