तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने शुक्रवार को अपने इस बयान के लिए माफी मांगी कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू आत्म केंद्रित (self-centred) थे. बीते बुधवार को दलाई लामा ने कहा था कि भारत का पहला प्रधानमंत्री बनने के लिए नेहरू का रवैया ‘‘आत्मकेंद्रित'' था, जबकि महात्मा गांधी उस वक्त मोहम्मद अली जिन्ना को प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे.
दलाई लामा ने ये दावा भी किया था कि अगर जिन्ना को प्रधानमंत्री बनाने की महात्मा गांधी की इच्छा पूरी हो गई होती तो भारत का बंटवारा नहीं हुआ होता.
मैं माफी मांगता हूं: दलाई लामा
दलाई लामा से जब पूछा गया कि नेहरू को आत्म केंद्रित कहने के पीछे आपका क्या मतलब था, इस पर दलाई लामा ने कहा, ‘‘मेरे बयान ने विवाद पैदा कर दिया है. अगर मैंने कुछ गलत कहा है तो मैं माफी मांगता हूं.'' उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने सुना कि महात्मा गांधी विभाजन के खिलाफ थे तो मुझे दया आई, पाकिस्तान से ज्यादा मुसलमान तो भारत में हैं. लेकिन अतीत तो अतीत है.''
बुधवार को सांखालिम में गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दलाई लामा ने कहा था,
‘‘मेरा मानना है कि पंडित नेहरू का रवैया थोड़ा आत्मकेंद्रित था कि उन्हें ही प्रधानमंत्री बनना चाहिए, अगर महात्मा गांधी की सोच पर अमल हुआ होता तो भारत और पाकिस्तान एक होते.’’
कभी-कभी गलतियां हो जाती है: लामा
उन्होंने कहा, ‘‘मैं अच्छी तरह जानता हूं कि पंडित नेहरू काफी अनुभवी शख्स थे, बहुत समझदार थे, लेकिन कभी-कभी गलतियां भी हो जाती हैं.'' शुक्रवार को तिब्बत की निर्वासित सरकार के 60 साल पूरे होने के अवसर पर ‘शुक्रिया कर्नाटक' नाम के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए 83 साल के दलाई लामा ने कहा कि नेहरू ने तिब्बती बस्ती बनाने का पूरा समर्थन किया था.
दलाई लामा ने कहा कि नेहरू ने जोर देकर कहा था कि तिब्बती मुद्दे के संरक्षण के लिए अलग तिब्बती स्कूल होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘तत्काल उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया.....उस वक्त हमने कुछ जमीन आवंटित करने के लिए अलग-अलग राज्यों को चिट्ठी लिखी. सबसे अच्छी प्रतिक्रिया मैसूर से आई. एक अहम कारक निजलिंगप्पा थे, जिन्होंने तिब्बती मुद्दे को लेकर असाधारण चिंता दिखाई. उन्होंने मुझसे वादा किया कि वो तिब्बती मुद्दे का समर्थन करेंगे.''
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