छह सदी से लगातार जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर पद पर नियुक्त किए जाने वाले पहले दलित संत महंत कन्हैया प्रभुनंद गिरी सरकार से नाराज चल रहे हैं. उनका आरोप है कि सरकार ने राम मंदिर ट्रस्ट में उनको सम्मिलित नही किया है. उन्होनें पिछले साल सदियों पुरानी जाति व्यवस्था की परंपरा को तोड़ते हुए कुंभ के दौरान संगम में ऐतिहासिक डुबकी लगाई थी.
उन्होनें सरकार पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उनका ये ऊंची पदवी अब 'मात्र औपचारिकता' भर बनकर रह गई है, क्योंकि सरकार ने इस तथ्य को आसानी से नजरअंदाज कर दिया है कि एक दलित सदस्य को भी ट्रस्ट में शामिल किया जाना चाहिए.
“आप एक दलित को ऊंची पदवी देते हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर उस पर विश्वास नहीं करते हैं या कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं देते हैं.”दलित संत महंत कन्हैया प्रभुनंद गिरी
प्रभुनंद गिरी ने कहा, "अयोध्या यूपी में है, राम मंदिर यूपी में होगा और मैं यूपी के आजमगढ़ से हूं. मुझसे सलाह लेना चाहिए था और ट्रस्ट का हिस्सा बनाया जाना चाहिए था. औपचारिकता न कीजिए, विश्वास कीजिए."
उन्होंने आगे कहा, "प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दोनों ने कुंभ का दौरा किया और अनुष्ठान किया, लेकिन दोनों में से किसी ने भी मुझसे मुलाकात नहीं की या मेरे बारे में पूछताछ नहीं की, भले ही मैंने 'शाही स्नान' करके इतिहास रचा था."
दलित महामंडलेश्वर ने कुंभ के दौरान दावा किया था कि उनका मिशन एससी, एसटी और ओबीसी की वापसी सुनिश्चित करना था, जिन्होंने एक जाति व्यवस्था में बधनें के बाद ‘सनातन धर्म' को छोड़ दिया था. मंदिर ट्रस्ट के गठन पर विवाद अब जातिवादी रंग ले रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी मंदिर ट्रस्ट में ओबीसी के किसी शख्स को शामिल करने की मांग कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए एक ट्रस्ट के गठन की घोषणा की थी, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के लिए अपने फैसले में निर्देश दिया था.
अयोध्या में संतों ने ट्रस्ट के गठन पर गुरुवार को नाराजगी जताई थी, लेकिन बाद में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने उन्हें शांत किया.
(इनपुट-IANS)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)