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दलितों ने दिल्ली में रैली कर PM मोदी और RSS पर साधा निशाना

दलितों पर हुई अत्याचार और भेदभाव की तमाम वारदातों के खिलाफ किया गया था दलित रैली का आयोजन.

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नई दिल्ली के संसद मार्ग पर शुक्रवार को दलित स्वाभिमान संघर्ष समि‍ति के बैनर तले बड़ी रैली का आयोजन किया गया.

बीते कुछ महीनों में दलितों पर हुईं अत्याचार और भेदभाव की तमाम वारदातों के खिलाफ इस रैली का आयोजन किया गया था. सुबह 11.30 बजे शुरू हुई इस रैली में बड़ी संख्या में दलित एकजुट हुए. साथ ही रैली में उन कार्यकर्ताओं का जमावड़ा भी देखा गया, जो लंबे समय से दलितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाते रहे हैं.

इनमें भारतीय संविधान के शिल्पकार बाबा साहब अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर भी शामिल थे.

360 view of the Dalit Swabhiman Sangharsh Rally, held at the Parliament Street. Seen on the podium: politician Prakash Ambedkar flanked by CPI(M) leaders Subhashini Ali and Sitaram Yechury. - Spherical Image - RICOH THETA

यह एक 360 डिग्री फोटो है. इसे घुमाकर आप दलित रैली का पूरा माहौल देख सकते हैं. (फोटो: एषा पॉल)

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दलितों की मोर्चाबंदी का कारण

रैली में दलितों के मुद्दे पर बोलते हुए प्रकाश अंबेडकर ने एक नए शब्द का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि दलितों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ से छुटकारा चाहिए. इस मुद्दे के साथ अपनी बात शुरू करते हुए प्रकाश ने रैली के बाकी उद्देश्यों के बारे में भी बताया.

  1. दलितों का यह संघर्ष समाज में आत्म निर्धारण को लेकर है.
  2. उन सभी खाप पंचायतों के खिलाफ है, जो ऑनर किलिंग को जायज ठहराती हैं.
  3. दलित समाज जमीन के पुनर्विभाजन की ऐसी स्कीम की मांग करता है, जिसके जरिए हर भूमिहीन दलित परिवार को 5 एकड़ जमीन मिल सके. इस मांग को लेकर गुजरात के दलित आंदोलन का मुख्य चेहरा रहे जिग्नेश मेवानी ने 1 अक्टूबर को रेल रोको आंदोलन का ऐलान किया.
  4. दलितों को प्राइवेट सेक्टर में रिजर्वेशन दिए जाने की मांग.
  5. इन मांगों और मुद्दों को जिंदा रखने के लिए 27 नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में दलित रैली का आह्वान करना.
  6. ‘रोहित एक्ट’ को लागू किया जाए, ताकि शैक्षणिक संस्थानों में जाति आधारित भेदभाव को रोका जा सके.
  7. शिक्षा को बिजनेस बनने से रोकने और उस पर साम्प्रदायिक रंग न चढ़ने देने का प्रयास.
  8. अंतरजातीय विवाहों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार से अगुआई करने की मांग.
  9. दलितों पर हुए हमलों के आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग.
Blue and red flags unite at the Dalit Swabhiman Sangharsh Rally, where a resolution is being presented to ramp up the Dalit movement and nationalise it. - Spherical Image - RICOH THETA

यह एक 360 डिग्री फोटो है. इसे घुमाकर आप दलित रैली का पूरा माहौल देख सकते हैं. (फोटो: एषा पॉल)

‘अंबेडकरवादी पीएम क्यों नहीं दिला पाए रोहित को इंसाफ?’

देश में आज भी कई रोहित मौजूद हैं. मैं यहां उन सभी मांओं का प्रतिनिधित्व करने आई हूं, जिन्होंने जाति‍गत भेदभाव के चलते अपना ‘रोहित’ खोया है. मुझे खुशी है कि जेएनयू में राष्ट्रवादी ताकतों की हार हुई. अब जरूरत है तो लेफ्ट और दलित संगठनों के एक होने की. तभी सदियों से शोषित दलितों का भला हो सकता है. मैं पीएम मोदी से सवाल करना चाहती हूं कि खुद को अंबेडकरवादी बताने वाले नरेंद्र मोदी क्यों आज तक रोहित को इंसाफ नहीं दिला पाए.
राधिका वेमुला, रोहित वेमुला की मां

‘भीम के रथ के लिए रेल रोको’

भीम के रथ को आगे बढ़ाने के लिए हमें रेल रथ को रोकना होगा. इसलिए ‘ऊना चलो’ के बाद अब वक्त है 1 अक्टूबर को रेल रोकने का. सभी प्रदर्शनकारी रेल टिकट लें और फिर चेन खींचकर ट्रेनें रोकें.
जिग्नेश मेवानी, दलित एक्टिविस्ट

‘मोदी जी का मनुवादी मन’

मोदी जी का मन मनुवादी है. उनका मन रिलायंस में है. दलितों के बारे में सोचने का वक्त उन्हें कहां. दलितों के भरोसे पर उन्होंने फर्जी स्वच्छ भारत अभियान शुरू कर रखा है. लेकिन उनके अधिकारों के बारे में बात करने से वो हमेशा बचते हैं. 
कन्हैया कुमार, पूर्व जेएनयू अध्यक्ष

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