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Dalit और भारतीय सिनेमा: सुजाता, सैराट से जय भीम तक... जाति से जूझती फिल्में
Casteism and Indian Cinema: 1946 में चेतन आनंद की फिल्म नीचा नगर को कान फिल्म फेस्टिल का बेस्ट फिल्म अवार्ड मिला
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हर हफ्ते कई फिल्में थिएटर में रिलीज की जाती हैं, जिनमें से कुछ मसाला फिल्में होती हैं, जो लोगों के एंटरटेनमेंट के लिए बनाई जाती हैं. कई फिल्में सोशल मैसेज के साथ आती हैं और समाज को आईना दिखाती हैं. वैसे हमारे देश में कम ही फिल्में महिला अधिकारों और जातिवाद पर बनती हैं. आज हम आपको जातिवाद पर बनी ऐसी ही कुछ शानदार फिल्मों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो जातीय भेदभाव पर खुलकर बात करती हैं.
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