मायापुरी इंडस्ट्रियल ऐरिया वो जगह जहां पूरे दिल्ली की कारों को नष्ट किया जाता है. वो कारें जिनका रजिस्ट्रेशन खत्म हो चुका है. डीजल कारें जो 10 साल पूरानी हों और वो पेट्रोल कारें जो अगले पांच साल और इस्तेमाल की जा सकती हों उन्हें यहां कबाड़ में बेच दिया जाता है.
यहां मैंने कबाड़ में बिकी कार देखी जो कि हरजीत सिंह नाम के एक शख्स को 17,000 हजार में बेची गई थी. हरजीत ये मार्केट 90 के दशक से चला रहे हैं. उन्होंने बताया रोजना यहां कई कारें बिकने के लिए आती हैं. अमूमन चार-पांच कारें रोज बिकने आती हैं.
23 साल के विनोद कुमार महज 15 साल के थे, तब से वो मायापुरी के जंकयार्ड में दिहाड़ी मजदूरी करते हैं.उन्हें इस काम को सीखने में तीन महीने लगे.
कार के सभी पार्टस निकालने के बाद कार की मेटल बॉडी को धर्म-कांटा ले जाया जाता है जहां उसका वजन लिया जाता है. विनोद ने बताया कि कार की बॉडी को 10 रूपये किलो के हिसाब से बेचा जाता है.
जो सेंट्रो कार मेरे सामने पड़ी थी उसका वजन 574किलो था.
कार को प्रेस करके उसे क्यूब में बदल दिया जाता है
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