विपक्ष की ओर से उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी ने याकूब मेमन की फांसी मामले को लेकर सफाई दी है. गोपालकृष्ण ने कहा कि उन्होंने अंबेडकर और गांधी के विचारों से प्रभावित होकर याकूब को फांसी न देने के लिए राष्ट्रपति को खत लिखा था.
उन्होंने कहा कि गांधी की विचारधारा के मुताबिक, फांसी किसी को भी नहीं होनी चाहिए. इसी वजह से उन्होंने तब याकूब को फांसी न दिए जाने को लेकर खत लिखा था और अब पाकिस्तान में फांसी की सजा पा चुके भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को फांसी न दिए जाने की अपील की है.
‘किसी दल का नहीं, जनता का प्रतिनिधि हूं’
कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी ने कहा कि वह किसी राजनैतिक दल के नहीं बल्कि, भारत के नागरिकों के प्रतिनिधि हैं और वह भारतीय राजनीति से आम आदमी के उठते भरोसे को दूर करने का प्रयास करेंगे.
गांधी ने उप राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन भरने के बाद संसद भवन स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा को जाकर नमन किया.
इसके बाद उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा ‘‘मैं एक सामान्य नागरिक हूं और इस चुनाव में नागरिकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक निर्दलीय एवं स्वतंत्र नागरिक की तरह खड़ा हुआ हूं.”
उन्होंने 18 विपक्षी दलों द्वारा उनकी उम्मीदवारी का समर्थन किए जाने के लिए इन दलों का आभार भी जताया.
गांधी ने गिनाईं तीन प्राथमिकताएं
उन्होंने कहा कि वह जनता और राजनीति के बीच बढ़ती खाई को लेकर काफी चिंतित हैं. वह चाहते हैं कि इस खाई को दूर किया जाए. उन्होंने कहा कि उनकी तीन प्राथमिकताएं हैं. पहली - लोगों के मन में यह भरोसा दिलाना कि राजनीति उनके लिए ही है. राजनीति से उनके ध्वस्त हो रहे भरोसे को कायम करना. दूसरा - विभाजनकारी ताकतों से मुकाबला ताकि भविष्य बेहतर बन सके. तीसरा - देश की करीब करीब आधी जनसंख्या युवा होने के बावजूद बेरोजगार और मायूस है. इस वर्ग की समस्याओं की ओर ध्यान दिया जाना.
विचारधारा की वजह से लिखा था याकूब को क्षमादान देने के लिए पत्र
यह पूछे जाने पर कि शिवसेना ने गांधी की उम्मीदवारी का इस आधार पर विरोध किया है कि उन्होंने आतंकवादी याकूब मेमन को क्षमादान देने के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिखा था, गांधी ने कहा कि मृत्युदंड के मामले में वह महात्मा गांधी और बी. आर अंबेडकर के विचारों से प्रभावित हैं जिन्होंने सदैव फांसी का विरोध किया था. उन्होंने कहा कि इस मामले में याकूब के लिए उन्होंने एक स्वतंत्र नागरिक के तौर पर पत्र लिखा था क्योंकि वह मृत्युदंड को गलत मानते हैं.
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