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मिलिए, इन दो जांबाजों से, जिन्होंने लड़ी कठुआ में इंसाफ की लड़ाई 

कठुआ कांड में साहस और प्रतिबद्धता की मिसाल बन गए ये लोग 

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जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसके बाद हत्या की घटना की गूंज देश भर में पहुंचने में महीनों लग गए. आज कठुआ में हुई भयावह घटना के लिए देश में कैंडल मार्च हो रहे हैं. लोग सरकार से सवाल कर रहे हैं कि एक मासूम के साथ हुई बर्बरता और उसके बाद दोषियों को बचाने की शर्मनाक कोशिशों के लिए कौन जिम्मेदार है.

आज दो महीने बाद हमारी अंतरात्मा जागी है. लेकिन ये मामला शायद कभी हमारे सामने ही ना आ पाता अगर दो जांबाजों ने हिम्मत न दिखाई होती. ये दो जांबाज हैं, जम्मू-कश्मीर क्राइम ब्रांच के एसएसपी रमेश कुमार जल्ला और बच्ची का केस लड़ने वाली वकील दीपिका राजावत.

तमाम दबावों के बावजूद इस मामले को सामने लेकर आए पुलिस इंस्पेक्टर रमेश कुमार जल्ला. उन्हीं की वजह से आठ साल की बच्ची के बलात्कार और हत्या में चार्जशीट दाखिल हो पाई. 
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कौन हैं रमेश कुमार जल्ला?

जम्मू कश्मीर क्राइम ब्रांच के SSP रमेश जल्ला की टीम के ऊपर जिम्मा था 8 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म करने और उसे बेदर्दी से मारने वाले गुनहगारों का पता करने का, जिसके लिए उनके पास 90 दिनों की समय सीमा थी. लेकिन उन्होने रिकॉर्ड टाइम में तफ्तीश पूरी कर ली और 9 अप्रैल यानी वक्त से 10 दिन पहले ही चार्जशीट दायर कर दी. जल्ला की टीम के जुटाए हुए सबूतों की वजह से ही उस मासूम की वो दर्दनाक कहानी सामने आ पाई जिसने देश भर में लोगों को झकझोर दिया. तफ्तीश के दौरान जल्ला को कई स्थानीय समूहों से विरोध का सामना करना पड़ा, यहां तक की उन्हें धमकियां भी मिलीं पर इससे उनके काम पर कोई असर नहीं पड़ा.

जहां एक तरफ कुछ लोग धर्म के आधार पर आरोपियों के बचाव में नारे लगा रहे थे, वहां ये जानना भी जरूरी है कि जल्ला एक कश्मीरी पंडित हैं और उनका परिवार भी उन हजारों परिवारों में से है जिन्हें कट्टरपंथियों के डर से अपना घर और प्रॉपर्टी छोड़कर कश्मीर से जाना पड़ा था. लेकिन उन्होने ऐसे वक्त में अपना काम बखूबी निभया जब ये केस धर्म के आधार पर अलग नजरों से देखा जा रहा था.

केस लड़ने वाली वकील दीपिका राजावत को भी लगातार धमकियां मिल रही हैं. लेकिन उनका कहना है कि वो इस केस को बिलकुल नहीं छोंड़ेंगी.
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कौन हैं दीपिका राजावत?

दीपिका वकील हैं जो मानवआधिकारों के लिए काम करती हैं. बच्ची के परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण जब उनके पास वकील नहीं था तब दीपिका ने उनके केस की जिम्मेदारी ली. जब उन्हें इस केस की खबर लगी तो उन्होने खुद पीड़ित के माता-पिता को संपर्क किया और केस लड़ने की पेशकश की. लेकिन दीपिका के लिए इस केस को लड़ना आसान नहीं रहा. उन्हें लगातार कई लोगों से धमकीयां मिल रही है. जम्मू बार असोसिएशन ने भी हाल ही में उन्हे इस केस से दूर रहने की हिदायत दे दी जिसका जिक्र दीपिका ने ANI से किया.

दीपिका ने उनके साथ हो रहे बर्ताव का जिक्र अपने फेसबुक अकाउंट पर भी किया.

लेकिन इस सब के बावजूद उनका कहना है कि वो इस केस को नहीं छोड़ेंगी. दीपिका अब चाहतीं हैं कि इस केस को जम्मू से बाहर ले जाया जा सके ताकि बिना किसी दबाव के बच्ची को इंसाफ मिले.

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