रक्षा मंत्री और बीजेपी नेता राजनाथ सिंह ने 15 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ‘उत्तराखंड जन संवाद रैली’ को संबोधित किया. इस रैली में उन्होंने नेपाल को लेकर कहा, ''भारत-नेपाल का रिश्ता 'रोटी-बेटी' का है. दुनिया की कोई भी ताकत इस रिश्ते को तोड़ नहीं सकती.''
राजनाथ ने कहा, ''हमारे यहां गोरखा रेजिमेंट ने समय-समय पर अपने शौर्य का परिचय दिया है. उस रेजिमेंट का उद्घोष है कि “जय महाकाली आयो री गोरखाली”. महाकाली तो कलकत्ता, कामाख्या और विंध्यांचल में विद्यमान हैं. तो कैसे भारत और नेपाल का रिश्ता टूट सकता है?''
नेपाल के साथ सीमा विवाद के बीच रक्षा मंत्री ने कहा, ‘’मैं विश्वास के साथ कहना चाहता हूं कि भारतीयों के मन में कभी भी नेपाल को लेकर किसी भी प्रकार की कटुता पैदा हो ही नहीं सकती है, इतना गहरा संबंध हमारे साथ नेपाल का है. हम मिल बैठकर इन सब समस्याओं का समाधान करेंगे.’’
राजनाथ ने अपनी रैली में कहा
- मानसरोवर यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए भारत सरकार ने एक सुविधा उपलब्ध कराई है. पहले मानसरोवर जाने वाले यात्री सिक्किम के नाथुला का रूट लेकर जाते थे, जिससे अधिक समय लगता था
- बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने लिपुलेख तक एक लिंक रोड का निर्माण किया, जिससे मानसरोवर जाने के लिए एक नया रास्ता खुल गया. पहले यात्रा के मुकाबले अब 6 दिन कम समय में मानसरोवर की यात्रा होगी
- हमारे पड़ोसी देश नेपाल में इस सड़क को लेकर कुछ गलतफहमियां पैदा हुई हैं. नेपाल के साथ हमारे केवल सामाजिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्ते ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक रिश्ते भी हैं
बता दें कि नेपाल की संसद के निचले सदन ने हाल ही में देश के नए नक्शे से संबंधित संविधान संशोधन बिल को पास किया है. इस बिल के जरिए नेपाल सरकार का मकसद संविधान की अनुसूची 3 में शामिल देश के राजनीतिक नक्शे में संशोधन करना है.
नए नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है. भारत इस पर कड़ी आपत्ति जता चुका है, उसने कहा है कि ये तीनों उसके हिस्से हैं.
नए नक्शे से जुड़े बिल के संसद के उच्च सदन से पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा.
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