जर्नलिस्ट प्रिया रमानी के खिलाफ एमजे अकबर के मानहानि के केस में दिल्ली ट्रायल कोर्ट ने प्रिया रमानी को बरी कर दिया है.
कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि 'किसी महिला को दशकों के बाद भी अपनी शिकायत रखने का अधिकार है.' कोर्ट ने कहा कि ये देखा गया है कि सोशल स्टेटस वाला शख्स भी यौन उत्पीड़न करने वाला हो सकता है.
बता दें कि जर्नलिस्ट प्रिया रमानी ने #MeToo मूवमेंट के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर पर सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोप लगाए थे. अकबर ने इन आरोपों से इनकार करते हुए रमानी पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा किया था.
क्या है पूरा मामला?
जर्नलिस्ट प्रिया रमानी ने साल 2018 में #MeToo मूवमेंट के दौरान अकबर पर सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाया था. रमानी ने 2017 में वोग मैगजीन के लिए एक आर्टिकल लिखा था, जिसमें उन्होंने पूर्व बॉस पर सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाया था. रमानी ने अपने आर्टिकल में लिखा था कि कैसे शख्स ने इंटरव्यू के दौरान उन्हें असहज महसूस कराया था.
वोग के आर्टिकल के एक साल बाद, साल 2018 में #MeToo मूवमेंट के दौरान, रमानी ने खुलासा किया था कि उनके पूर्व बॉस एमजे अकबर थे. घटना तब की है जब एमजे अकबर द एशियन ऐज के एडिटर थे. प्रिया रमानी ने साल 1994 में जनवरी से अक्टूबर इस कंपनी में काम किया था.
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