दिल्ली के एक कोर्ट ने 2 सितंबर को दिल्ली पुलिस को 2020 के फरवरी में राजधानी के उत्तर-पूर्वी हिस्सों में हुए दंगों (Delhi Riots) की जांच के लिए फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि बंटवारे के बाद दिल्ली के इतिहास में सबसे बुरे सांप्रदायिक दंगों को 'ठीक से जांच न होने' के लिए याद रखा जाएगा.
कड़कड़डूमा जिला कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने ये टिप्पणी की. बार एंड बेंच के मुताबिक, जस्टिस यादव ने दंगे के तीन आरोपियों के खिलाफ प्राइमा फेसी सबूत न मिलने का आदेश पास करते हुए ये बात कही.
"मैं खुद को ये कहने से रोक नहीं पा रहा हूं कि इतिहास जब दिल्ली में बंटवारे के बाद हुए सबसे खराब सांप्रदायिक दंगों को देखेगी, तो आधुनिक साइंटिफिक तरीकों के इस्तेमाल से जांच एजेंसी की ठीक से जांच करने की नाकामी लोकतंत्र को परेशान करेगी."एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव
अपने आदेश में कोर्ट ने शाह आलम, राशिद सैफी और शादाब को डिस्चार्ज किया है. कोर्ट ने कहा कि 'मामले में जांच का असल इरादा न रखते हुए ये टैक्स पेयर के मेहनत से कमाए पैसे का नुकसान करना है.'
कोर्ट ने कहा कि जांच में 'सिर्फ कोर्ट के सामने झूठ पेश कर उसे छलने की कोशिश हुई है और कुछ नहीं.'
जस्टिस विनोद यादव ने कहा कि कई आरोपी पिछले डेढ़ साल से जेल में सड़ रहे हैं क्योंकि पुलिस सप्लीमेंटरी चार्जशीट दाखिल नहीं कर रही है.
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