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दिल्ली:अधिकारियों ने किया कबूल,रिश्वत से चलती हैं अवैध फैक्ट्रियां

कई अथॉरिटी होने से अनाज मंडी अग्निकांड जैसे हादसों में ब्लेम गेम खेलना आसान हो जाता है

Published
भारत
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दिल्ली में अनाज मंडी इलाके की फैक्ट्री में लगी आग में 43 लोगों के मारे जाने के बाद यहां गैरकानूनी ढंग से चल रही फैक्ट्रियां सवालों के घेरे में है. इलाके के लोगों का कहना है यहां सुरक्षा की अनदेखी कर गैरकानूनी ढंग से फैक्ट्रियां चलाई जा रही हैं. एक सीनियर पुलिस अफसर ने 'द क्विंट’ से बातचीत में यह बात मानी कि यहां रिश्वत देकर गैरकानूनी ढंग से फैक्टरियां चलाई जा रही हैं.

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दिल्ली पुलिस के एक सीनियर अफसर ने ‘द क्विंट’ से कहा-

जब तक पुलिस को शिकायत न मिले तब तक वह किसी गैरकानूनी फैक्ट्री को बंद नहीं करवा सकती. पुलिस वालों की तो यहां दादागीरी चलती है. इस डर से फैक्ट्री मालिक उन्हें हफ्ता देते हैं. इलाके के थाने का एसएचओ इस मामले में संज्ञान लेकर गैरकानूनी फैक्ट्रियों को बंद करने की प्रोसेस शुरू करवा सकता है. लेकिन अगर एसचओ बगैर शिकायत मिले कोई कदम उठाएगा तो उसके सीनियर उसे रोक देंगे. जाहिर है उन्हें कुछ मिलता होगा. 
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इस पुलिस अफसर का कहना है कि कई अथॉरिटी के होने की वजह से भी इस तरह के हादसे होते हैं. अफसर का कहना है कई अथॉरिटी होने से इस तरह के हादसे के बाद ब्लेम गेम खेलना आसान हो जाता है.

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इस अफसर ने कहा

फैक्ट्री के पास सही लाइसेंस है या नहीं यह देखना एमसीडी के फैक्ट्री लाइसेंस डिपार्टमेंट का काम है. अगर लाइसेंस नहीं है तो उन्हें फैक्ट्री मालिक को कारण बताओ नोटिस जारी करना चाहिए. फैक्ट्री में नाबालिग तो नहीं काम कर रहे हैं यह देखना श्रम विभाग का काम है. बिजली विभाग को यह जांच करना चाहिए था कि आखिर फैक्ट्री के मालिक ने कॉमर्शियल मीटर कैसे हासिल किया. लेकिन किसी ने अपना काम नहीं किया.  
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पुलिस अफसर ने फैक्ट्री मालिकों, सरकारी अफसरों और पुलिस वालों के गठजोड़ की भी बात की. अफसर ने कहा

फैक्ट्री मालिकों से हर किसी को कट मिलता है. पुलिस से लेकर, एमसीडी कर्मचारियों, फायर डिपार्टमेंट और लेबर डिपाटर्मेंट तक हर किसी को पैसा पहुंचाया जाता है. इसलिए हर कोई खुश है. किसी को कोई परवाह नहीं है.  
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रेजिडेंट्स की सुनने वाला कोई नहीं

रानी झांसी रोड घनी आबादी वाला इलाका है. यहां कई रेजिडेंशियल बिल्डिंग्स हैं. फिर लोग इलाके में गैरकानूनी फैक्ट्री चलाए जाने की शिकायत क्यों नहीं करते. इस सवाल पर दिल्ली पुलिस अफसर ने कहा

यहां रहने वाले ज्यादातर लोगों को फैक्ट्री मालिकों का एमसीडी कर्मचारियों, पुलिस और दूसरे लोगों से गठजोड़ के बारे में पता है. उन्हें पता है कि शिकायत करने पर भी कुछ नहीं होगा. अगर कोई साहस करके शिकायत भी करता है तो फैक्ट्री मालिक पुलिस की मदद से मामला सुलटा लेते हैं. 
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इस पूरे सिस्टम से हताश इस पुलिस अफसर ने बताया क्यों कोई बिल्ली के गले में घंटी नहीं बांधना चाहता. उन्होंने बताया-

अगर कोई अफसर गैरकानूनी फैक्ट्रियों को बंद करवाना चाहता है तो उसे नियम के हिसाब से लेबर डिपार्टमेंट, एमसीडी, बिजली विभाग और फायर डिपार्टमेंट को लिखना पड़ता है. फिर उसे इस बात का इंतजार करना पड़ता है कि संबंधित विभाग पुलिस के पास शिकायत भेजे. जब तक पुलिस के पास शिकायत नहीं आती है वह कुछ नहीं कर सकती. 
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एमसीडी कर्मचारियों ने पुलिस पर फोड़ा ठीकरा

द क्विंट ने एमसीडी के एक फील्ड इंस्पेक्टर से बात की. उन्होंने कहा कि पुलिस गैरकानूनी फैक्ट्रियों पर छापे मारने के वक्त सहयोग नहीं करती. उसने कहा '' फैक्ट्री मालिक एक दूसरे का पूरा समर्थन करते हैं. इसलिए एमसीडी कर्मचारी अकेले छापे मारने से डरते हैं. जहां तक पुलिस का सवाल है तो वह ज्यादा मदद नहीं करती. ईस्ट दिल्ली में तो एक बार ऐसे ही मामले में एमसीडी कर्मचारियों और फैक्ट्री मालिकों के बीच हाथापाई हो गई थी. उस दौरान पुलिस तमाशा देखती रही.

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अनाज मंडी में चल रही हैं दो दर्जन गैरकानूनी फैक्टरियां: पार्षद

सदर बाजार इलाके के बीजेपी पार्षद और उत्तरी दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति के चेयरमैन जय प्रकाश ने कहा सिस्टम करप्ट होने की वजह से फैक्ट्री मालिक गैरकानूनी काम करके भी बच निकलते हैं. उन्होंने कहा-

पूरा सिस्टम करप्ट है. मैं इससे इनकार नहीं करता. लेकिन यह भी कहना चाहता हूं कि यह करप्ट सिस्टम पिछले कई सालों से चला आ रहा है. मैं रिश्वत देने और लेने वालों, दोनों को दोषी ठहराता हूं. हम इस सिस्टम को साफ करने की कोशिश कर रहे हैं. 
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जय प्रकाश ने कहा कि कुछ दिनों पहले ही एमसीडी के इंस्पेक्टरों ने अनाज मंडी में सर्वे किया था. इसके आधार पर एमसीडी 15-20 फैक्ट्रियों को नोटिस जारी करने वाला था. लेकिन इससे पहले अनाज मंडी की फैक्ट्री में आग लग गई.

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जब हमने पार्षद से यह पूछा कि अनाज मंडी इलाके की जिस फैक्टरी में आग लगी वह पिछले सात-आठ से चल रही थी. इतने दिनों तक वह एमडीसी के सर्वे से कैसे बची रही. इस पर उन्होंने कहा, '' मैं इस पर कमेंट नहीं कर सकता क्योंकि मैं दो साल पहले ही पार्षद बना हूं. '' जय प्रकाश कहते हैं कि दिल्ली सरकार का बिजली विभाग बगैर लाइसेंस वाली इन फैक्ट्रियों कॉमर्शियल मीटर लगा देता है. उन्होंने कहा कि इस तरह हादसे न हों अब इसका ध्यान रखा जाएगा.

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साफ है कि एमसीडी और दूसरे विभाग एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल कर पल्ला झाड़ लेना चाहते हैं. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आग लगने की इतनी बड़ी घटना के बाद भी क्या गैरकानूनी फैक्ट्रियों का यहां इसी तरह चलना जारी रहेगा? क्या हजारों लोग यहां ऐसे ही किसी बड़े हादसे का इंतजार करते रहेंगे?

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