Delhi Flood: दिल्ली में यमुना नदी में बढ़े जलस्तर के कारण आई बाढ़ से राजधानी में लोगों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. लोग अपना घर छोड़कर रिलीफ कैंप में गुजर-बसर करने को मजबूर हो गए. इस बीच, सत्तारूढ़ दल आम आदमी पार्टी (AAP) ने बाढ़ को लेकर बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया है.
AAP के क्या आरोप?
AAP नेता और दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री गोपाल राय ने कहा, बीजेपी दिल्ली को डुबाने का षड्यंत्र कर रही थी. गृहमंत्री को पत्र लिखने के बावजूद हिमाचल या उत्तराखंड का पानी, हथिनी कुंड के रास्ते सारा पानी दिल्ली की तरफ भेजा गया!
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने शनिवार (15 जुलाई) को कहा, "Delhi में प्राकृतिक नहीं, BJP और केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित आपदा है. Modi-BJP का एक ही मकसद है दिल्ली वालों को परेशान करो, केजरीवाल को बदनाम करो. दिल्ली में 6 दिन से बारिश नहीं हुई लेकिन बाढ़ इसलिए आ गयी क्योंकि BJP ने हथिनीकुंड बैराज की Eastern-Western Canal में पानी की जगह सारा पानी दिल्ली की तरफ छोड़ा, जब हमने इस साजिश का भंडाफोड़ किया तो कल Western Canal और आज Eastern Canal में पानी छोड़ा गया."
क्यों चर्चा में है हथिनीकुंड बैराज?
दिल्ली में आई बाढ़ की वजह AAP हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी को बता रही है. हथिनीकुंड बैराज हरियाणा के जिला यमुनानगर में हिमाचल प्रदेश के बॉर्डर के पास यमुना नदी पर बना हुआ है.
प्रोफेसर एमेरिटस और सेंटर फॉर एनवायरमेंट मैनेजमेंट ऑफ डिग्रेडेड इकोसिस्टम्स (CMEDE) के निदेशक सीआर बाबू ने एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए कहा, "हरियाणा और उत्तराखंड में नदी के ऊपर में कई बांध/बैराज हैं, जो जलग्रहण क्षेत्रों (कैचमेंट बेल्ट) में भारी बारिश होने पर भारी मात्रा में पानी छोड़ते हैं."
हिमाचल-उत्तरखंड की बारिश का हथिनीकुंड पर क्या असर?
हिमाचल और उत्तराखंड के पहाड़ों को यमुना नदी की कैचमेंट बेल्ट कहा जाता है. मानसून में इन पहाड़ों पर अधिक बारिश होने से पानी सैलाब बनकर सबसे पहले यहीं (हथिनीकुंड) उतरता है, जिससे पानी का जलस्तर बढ़ जाता है और हथिनीकुंड बैराज की दीवारों से टकराता है.
क्या हथिनीकुंड बैराज में नहीं रोका जा सकता पानी?
जलस्तर को नियंत्रित करने के लिए अधिक पानी छोड़ा जाता है, जिससे यमुना के तट पर बसे दिल्ली समेत कई शहरों में बाढ़ आ जाती है. जानकारी के अनुसार, हथिनीकुंड बैराज में स्टोरेज क्षमता नहीं है. वह सिर्फ पानी को डायवर्ट करने का काम करता है. यहां हर घंटे गेज की मदद से पानी को नापा जाता है.
बैराज की कितनी क्षमता?
हथिनीकुंड बैराज की पानी की क्षमता एक लाख क्यूसेक है. बैराज में इससे अधिक पानी होने की स्थिति में यह पश्चिमी यमुना नहर और पूर्वी यमुना नहर में जाता है. इसी बैराज से यह दोनों नदियां निकलती हैं.
पश्चिमी यमुना नहर के रास्ते हथनीकुंड बैराज का यह पानी हरियाणा से होते हुए दिल्ली की तरफ बढ़ता है, जो करीब 200 किलोमीटर की दूरी तय कर 72 घंटे में दिल्ली पहुंचता है.
जानकारों की मानें तो, अगर पानी एक लाख क्यूसेक से कम है तो उसे यहां से निकलने वाली तीन नहरों में राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में सिंचाई के लिए डायवर्ट कर दिया जाता है. अगर पहाड़ों से पानी एक लाख क्यूसेक से ज्यादा आ जाता है तो यमुना में मिनी फ्लड और ढाई लाख क्यूसेक आने पर हाई फ्लड घोषित कर दिया जाता है.
कम बाढ़ घोषित होने के बाद उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में सिंचाई के लिए जाने वाली नहरों को बंद कर दिया जाता है, क्योंकि पानी के ज्यादा दबाव से इन नहरों के टूटने का डर बना रहता है. अधिक बाढ़ के बाद हथिनीकुंड बैराज पर लगे सभी 18 फ्लड गेटों को खोल दिया जाता है और सारा पानी यमुना नदी में डायवर्ट कर दिया जाता है.
कई मीडिया रिपोर्ट्स में केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों के अनुसार बताया गया है कि, "इस साल हथिनीकुंड बैराज से अधिकतम 3.59 लाख क्यूसेक पानी ही छोड़ा गया है. वहीं, 2019 और 2013 दोनों में हथिनीकुंड से 8 लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया था. 2019 में यमुना बढ़कर 207.25 मीटर हो गई थी."
एक बयान में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के सलाहकार (सिंचाई) देवेंद्र सिंह ने कहा कि हथिनीकुंड एक ऐसा बैराज है जिसका डिजायन पानी को रास्ता बदलने या उसे विनयमित/रेगुलेट करने के लायक है. देवेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग की सिफारिशों का 'हथिनीकुंड बैराज की रक्षा' के लिए पालन किया जा रहा है.
बैराज और बांध में क्या अंतर?
बांध और बैराज में सबसे बड़ा अंतर यह है कि बांध में पानी का भंडार किया जा सकता है, जबकि बैराज में ऐसा संभव नहीं है. यह केवल पानी को डायवर्ट कर सकता है.
हरियाणा में नहीं रोका जा सकता पानी?
हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल ने शुक्रवार (14 जुलाई) को कहा कि हथिनीकुंड बैराज से अतिरिक्त पानी नहीं छोड़ने से 'बहुत बड़ा नुकसान' हो सकता था. मंत्री ने कहा कि 'जब बाढ़ आ जाए या भारी वर्षा हो जाए जैसा कि पिछले कुछ दिनों में हमने हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में भी में देखा है, तो पानी छोड़ने के सिवा कोई विकल्प नहीं होता है. अगर हम पानी रोक लेते हैं तो स्थिति बहुत खतरनाक होती.'
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