ADVERTISEMENTREMOVE AD

दिल्ली मेट्रो चल पड़ी है उल्टी, अरे भाई कोई तो रोको!

वसुंधरा एनक्लेव में रहने वाले शक्ति सिंह ने मेट्रो से दफ्तर जाना बंद कर दिया है मजबूरी में उन्हें कार खरीदनी पड़ी

Updated
भारत
4 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

दिल्ली के लोग हैरान हैं क्योंकि मेट्रो अचानक उल्टी चल पड़ी. पूर्वी दिल्ली के वसुंधरा एनक्लेव में रहने वाले शक्ति सिंह ने इसी वजह से मेट्रो से दफ्तर जाना बंद कर दिया है. मजबूरी में उन्हें कार खरीदनी पड़ी. बात सुनने में अजीब है लेकिन कई दिल्ली वाले मेट्रो की वजह से अपनी खुद की कार या बाइक लेने की तैयारी कर रहे हैं. दिल्ली शायद ये अपने आप में अनोखा मामला होगा जहां मेट्रो के ताजे फैसले से शायद ऑटो कंपनियों की लॉटरी निकल पड़े.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
स्नैपशॉट

दिल्ली मेट्रो का अर्थशास्त्र

  • दिल्ली गरीब लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट महंगा
  • दिल्ली मेट्रो का किराया 5 माह में दोगुना
  • दिल्ली में रोजाना मिनिमम मजदूरी औसतन 300 रु
  • सालाना ऑपरेशन की लागत (2015-16) 2199 करोड़ रु
  • सालाना आय करीब (2015-16) 1491 करोड़
  • नुकसान 708 करोड़ रु
  • औसतन रोजाना यात्री संख्या करीब 28 लाख
0

दिल्ली में सफर का हिसाब किताब

शक्ति बताते हैं पांच महीने पहले पूर्वी दिल्ली के वसुंधरा एन्क्लेव से कनॉट प्लेस के पास जयसिंह रोड तक दफ्तर पहुंचने के लिए हर रोज 144 रुपए खर्च होते थे. लेकिन अब 180 रुपए खर्च करने पड़ते हैं. यानी हर दिन का ट्रांसपोर्ट खर्च में 36 रुपए बढ़ोतरी. वजह है मेट्रो के किरायों में भारी बढ़ोतरी. लेकिन शक्ति ने इस खर्च को कम करने की जो तरकीब निकाली है वो दिल्ली में रहने वाले हर किसी के लिए फिक्र की वजह बन गई है.

वसुंधरा एनक्लेव में रहने वाले शक्ति सिंह ने  मेट्रो से दफ्तर जाना बंद कर दिया है मजबूरी में उन्हें कार खरीदनी पड़ी
ADVERTISEMENTREMOVE AD

सड़कों पर बढ़ेगा ट्रैफिक

दुनियाभर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का मतलब ही है प्रदूषण और ट्रैफिक कम करना. लेकिन जानकारों के मुताबिक दिल्ली मेट्रो का उल्टा फैसला पहले से ही परेशान दिल्ली को और दमघोंटू बना देगा. शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का मुख्य मकसद ही इससे फेल हो सकता है. पांच माह में दिल्ली मेट्रो के किराए करीब दोगुने हो चुके हैं. ऐसे में लोगों को बाइक और कार का सफर सस्ता पड़ने लगा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

दुनिया की सबसे महंगी मेट्रो!

कमाई के मामले में दिल्ली दुनिया के दिग्गज शहरों से बहुत पीछे है. लेकिन ट्रांसपोर्ट खर्च के मामले में सबसे आगे है. जब मध्यम वर्ग जब मेट्रो किरायों से इतना परेशान है तो गरीबों या उन लोगों की हालत क्या होगी जिनकी आमदनी 15 हजार रुपए के आसपास है उनकी कमाई का आधा हिस्सा तो आने-जाने में खर्च हो रहा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कमाई में कम, खर्च में निकला दम

वसुंधरा एनक्लेव में रहने वाले शक्ति सिंह ने  मेट्रो से दफ्तर जाना बंद कर दिया है मजबूरी में उन्हें कार खरीदनी पड़ी

दुनिया के 6 बड़े शहरों पेरिस, न्यूयॉर्क, बीजिंग, सिंगापुर और टोक्यो के मुकाबले दिल्ली में ट्रांसपोर्ट का खर्च सबसे ज्यादा है. पेरिस इस मामले में सबसे सस्ता है. पेरिस में न्यूनतम कमाई रोजाना 84 यूरो है और मेट्रो का अधिकतम किराया 3.8 यूरो है. यानी रोजाना कमाई का 4.5 परसेंट हिस्सा. जबकि दिल्ली में न्यूनतम कमाई का 21 परसेंट मेट्रो और ट्रांसपोर्ट में खर्च हो जाता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मेट्रो ने बड़ी पिक्चर नहीं देखी

पूरी दुनिया में सरकारें ज्यादा खर्च करके ये तरकीब निकालने में जुटी हैं कि कैसे लोगों को अपनी कार निकालने से रोका जाए, जिससे प्रदूषण भी कम हो और ट्रैफिक भी. सिंगापुर ने तो अगले दो साल के लिए गाड़ियों की संख्‍या फ्रीज करने का फैसला किया है. ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट एक साल में 11 परसेंट सस्ता हो गया है.

वसुंधरा एनक्लेव में रहने वाले शक्ति सिंह ने  मेट्रो से दफ्तर जाना बंद कर दिया है मजबूरी में उन्हें कार खरीदनी पड़ी

प्रदूषण से बेपरवाह दिल्ली

लेकिन दिल्ली की अलग ही दुनिया है, जहां 5 माह में मेट्रो का किराया करीब दोगुना हो गया है. यानी पब्लिक ट्रांसपोर्ट के बेसिक सिद्धांत को ही खारिज कर दिया गया है. एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली मेट्रो की वजह से सड़कों में गाड़ियां कम होने से 2002 से 2014 के बीच करीब 30 लाख टन कार्बन डायआक्साइड को पर्यावरण में आने से रोका गया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जानकारों के मुताबिक प्रदूषण कम करना और सड़कों पर प्राइवेट गाड़ियां कम से कम रखना सरकार की जिम्मेदारी है. अमेरिका के 20 बड़े शहरों में केंद्र और राज्य सरकार मिलकर पब्लिक ट्रांसपोर्ट में 50 परसेंट सब्सिडी देती हैं. बीजिंग में भी मेट्रो सिस्टम के लिए सब्सिडी दी जाती है ताकि लोग कार लेकर ना निकलें. दिल्ली मेट्रो को करीब 700 करोड़ रुपए की भरपाई केंद्र और राज्य सरकार आसानी से कर सकती हैं. भारत में भी सरकारों को अमेरिका या चीन की तरह ऐसा तरीका निकालना पड़ेगा जिससे मेट्रो के किराए कम से कम रखे जाएं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×