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जब अपने परिवार को बचाने ड्यूटी छोड़ घर आया दिल्ली पुलिस ASI

शिव विहार इलाके के लोगों का कहना है कि जब ये सब हो रहा था तो पुलिस, फायर ब्रिगेड, मीडिया कोई नहीं आया

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दिल्ली के शिव विहार इलाके में 24 और 25 जनवरी को भारी हिंसा देखने को मिली. उपद्रवियों के सामने रास्ते में दुकान, मकान, मोटरसाइकिल, गाड़ी जो मिला उसने हर चीज को तहस-नहस कर दिया और आग के हवाले कर दिया. इसी बीच दिल्ली पुलिस का एक एएसआई अपने परिवार को बचाने के लिए ड्यूटी छोड़कर घर दौड़ पड़ा. उसका घर भी शिव विहार इलाके में था, जहां हिंसा भड़क रही थी.

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शिव विहार इलाके के लोगों का कहना है कि जब ये सब हो रहा था तो पुलिस, फायर ब्रिगेड, मीडिया कोई नहीं आया, सभी ने आने में देर कर दी. करीब 30-35 घंटे से ज्यादा गुटबाजी होती रही.

पेट्रोल बम, तेजाब, पिस्तौल का हुआ इस्तेमाल

शिव विहार के ही एक निवासी ने बातचीत में बताया कि हिंसा की घटनाएं 24 जनवरी से शुरू हुईं. पहले एक तरफ से पथराव हुआ, फिर दूसरी तरफ से भी लोग आ गए. लोगों ने घरों के ऊपर चढ़कर पथराव किया. पेट्रोल बम, तेजाब, पिस्तौल तक का इस्तेमाल किया गया. लेकिन 30 घंटे तक हमारी मदद करने कोई नहीं आया. 4-5 पुलिसवाले आए उन्होंने कहा हमारे पास आदेश नहीं है.

शिव विहार इलाके के लोगों का कहना है कि जब ये सब हो रहा था तो पुलिस, फायर ब्रिगेड, मीडिया कोई नहीं आया
पेट्रोल बम, तेजाब, पिस्तौल का हुआ इस्तेमाल
(फोटो: शादाब मोइजी)

अगर पुलिस वक्त पर आ जाती...

शिव विहार के ही रहने वाले मुकेश शर्मा ने बताया कि उनका कम से कम 70 लाख रुपये का नुकसान हो गया. जब हमने उनसे जानना चाहा कि जो उन्मादी भीड़ आई थी क्या वो इनके जानने वाले लोग थे. लोगों ने बताया कि वो पड़ोसी ही थे. वो टारगेट बना कर आए थे. समय पर अगर फोर्स आती तो नुकसान बचाया जा सकता था.

लोगों ने बताया कि अगर पुलिस सही वक्त पर आती तो सब कुछ बच सकता था. पुलिस और फायर ब्रिगेट आती तो काफी कुछ नुकसान होने से बचाया जा सकता था. 
शिव विहार इलाके के लोगों का कहना है कि जब ये सब हो रहा था तो पुलिस, फायर ब्रिगेड, मीडिया कोई नहीं आया
लोगों ने बताया कि अगर पुलिस सही वक्त पर आती तो सब कुछ बच सकता था
(फोटो: शादाब मोइजी)

दिल्ली पुलिस के ASI ने अपना दर्द बताया

दिल्ली पुलिस में सेवा देने वाले ASI श्रीपाल अपना दर्द बताते हैं. उनका मकान भी इसी शिव विहार इलाके में है. श्रीपाल बताते हैं कि वो अपनी नौकरी की परवाह किए बिना अपने परिवार वालों को बचाने आ गए.

मैं इस इलाके में आ गया. मेरे साले की यहां दुकान है. मैंने अपने साले, अपनी पत्नी और बच्चों को बचा लिया. नौकरी की परवाह किए बगैर इस इलाके में आ गया.

बता दें कि नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हिंसा से 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है.

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