पिछले कुछ सालों से नवंबर-दिसंबर-जनवरी महीने में दिल्ली पॉल्यूशन से बेहाल हो जाती है. बाहर निकलने पर दिल्ली वालों का दम घुटने लगता है. पॉल्यूशन से बचने के लिए लोगों को मास्क लगाकर घर से निकलना पड़ता है. इस बार भी पॉल्यूशन का खौफ ऐसा छाया था कि लोगों ने मॉर्निंग वॉक पर जाना छोड़ दिया था और दिल्ली के स्कूलों में छुट्टी तक कर दी गई थी.
इस पॉल्यूशन से पूरी दिल्ली के साथ पीएमओ भी प्रभावित हुआ. लेकिन पीएमओ ने इस समस्या से निजात पाने के लिए रास्ता निकाल लिया. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार ने पीएमओ और अन्य छह विभागों के लिए 140 एयर प्यूरीफायर खरीदे थे. रॉयटर्स के मुताबिक, यह जानकारी सरकार की ओर से अप्रकाशित आंकड़ों से मिली है.
CM केजरीवाल ने दिल्ली को बताया था ‘गैस चेंबर’
दिल्ली में एयर क्वालिटी इस कदर खराब हो गई थी कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शहर को ‘गैस चेंबर’ तक कह दिया था. बीते साल एयरबोर्न पीएम 2.5 के स्तर पर पहुंच गया था.
पिछले कुछ सालों से नवंबर से जनवरी तक तीन महीनों में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. बीते साल धुंध इस कदर बढ़ गई थी कि राजधानी के स्कूलों में छुट्टी का ऐलान करना पड़ा था. साथ ही लोगों को मॉर्निग वॉक पर न जाने और मास्क का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई थी.
स्कूलों के लिए नहीं खरीदा गया एयर प्यूरीफायर
राजधानी के लगभग 45 सरकारी स्कूलों का संचालित करने वाले केंद्रीय विद्यालय संगठन का कहना है कि पॉल्यूशन लेवल बढ़ने के बाद भी किसी भी स्कूल के लिए कोई भी प्यूरीफायर नहीं खरीदा गया. इतना ही नहीं फिलहाल संगठन का स्कूलों के लिए प्यूरीफायर खरीदने का इरादा भी नहीं है.
केंद्रीय विद्यालय संगठन के कमिश्नर संतोष कुमार मल्ल ने बताया, 'समान्यतः दफ्तरों में एयर कंडीशनर लगा होता है, तो वहां एयर प्यूरीफायर कारगर है. लेकिन हमारे स्कूल एयर कंडीशन नहीं है. खिड़कियों के दरवाजे खुले रहते हैं ऐसे में एयर प्यूरीफायर का कोई असर नहीं होगा.'
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने भी कहा था कि अगर पॉल्यूशन लेवल ज्यादा हो तो खिड़कियों को बंद ही रखना चाहिए. डब्ल्यूएचओ ने पॉल्यूशन बढ़ने के दौरान एयर कंडिशन ना चलाने की सलाह दी थी, क्योंकि एयर कंडीशन बाहर से हवा खींचता है तो ऐसे में उसे चलाने से बचना ही उचित होगा.
मल्ल से जब यह पूछा गया कि पॉल्यूशन लेवल बढ़ने के दौरान स्कूलों के लिए क्या उपाय किए गए, तो उन्होंने कहा, 'जब पॉल्यूशन लेवल बढ़ा था, तब मुझे नहीं लगता कि कोई उपाय किया गया. हां, स्कूलों को कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया गया था.
सरकार ने साफ हवा के लिए खर्च किए 3.6 करोड़ रुपये
स्कूलों के लिए भले ही एयर प्यूरीफायर न खरीदे गए हों. लेकिन रॉयटर्स के मुताबिक, केंद्र की मोदी सरकार ने अपने दफ्तर में हवा साफ रखने के लिए साल 2014 से 2017 के बीच पीएम ऑफिस और छह अन्य विभागों के लिए 3.6 करोड़ रुपये खर्च कर एयर प्यूरी फायर खरीदे.
जिन विभागों के लिए एयर प्यूरीफायर खरीदे गए. उनमें संसद भवन में प्रधानमंत्री कार्यालय के अलावा, नीती आयोग, स्वास्थ्य, कृषि, पर्यटन, गृह मामलों और विदेशी मामलों के मंत्रालय शामिल थे.
गृह मंत्रालय ने पिछले तीन सालों में 44 एयर प्यूरीफायर खरीदने के लिए करीब 13 लाख रुपये खर्च किए, जबकि संसद में पीएम ऑफिस के लिए करीब सात लाख रुपये से 25 प्यूरीफायर खरीदे गए. नीति आयोग ने भी प्यूरीफायर खरीदने पर करीब 7 लाख रुपये खर्च किए. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मिली की कि इन उपकरणों को 'संयुक्त सचिव स्तर या उनके बराबर और उनसे वरिष्ठ अधिकारियों को दिए गए.'
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