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सोने की तस्करी पुरानी बात,अब नेपाल से पेट्रोल-डीजल की स्मगलिंग

उत्तर प्रदेश और नेपाल में पेट्रोल की कीमत में 11 रुपये और डीजल की कीमत में 13 रुपये का अंतर

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भारत
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शराब और सोने की तस्करी ओल्ड फैशन हो गई है, अब जमाना आ गया है पेट्रोल-डीजल की स्मग्लिंग का.

नेपाल-भारत सीमा पर इन दिनों पेट्रोल-डीजल की तस्करी का गंदा धंधा बड़े जोरों से चल रहा है. भारत में पेट्रोल और डीजल के दामों में भारी उछाल ने तेल की स्मग्लिंग को भारी कमाई वाला बना दिया है.

पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार बढ़ोतरी की वजह से दोनों देशों में डीजल-पेट्रोल के दामों में काफी फर्क आ गया है. नेपाल से सटे उत्तर प्रदेश के महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच, लखीमपुर और पीलीभीत जिलों के लोगों ने सस्ते पेट्रोल और डीजल का तरीका निकाल लिया है, नेपाल से खरीदकर भारत में बेचना.

नेपाल में पेट्रोल और डीजल दोनों भारत के मुकाबले करीब 10 रुपए लीटर सस्ता है.

सबसे खास बात है कि नेपाल को ज्यादातर पेट्रोल और डीजल की सप्लाई भारत से ही होती है.

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नेपाल में भारत से सस्ता पेट्रोल- डीजल

नेपाल में भारत की तुलना में दोनों काफी सस्ते हैं. पेट्रोल भारत के मुकाबले करीब 11 रुपए लीटर सस्ता है जबकि डीजल दोनों देशों के बीच दाम में 13 रुपए से ज्यादा का फर्क है.

उत्तर प्रदेश और नेपाल में पेट्रोल की कीमत में 11 रुपये और डीजल की कीमत में 13 रुपये का अंतर
पेट्रोल के दाम
फोटो:क्विंट हिंदी
उत्तर प्रदेश और नेपाल में पेट्रोल की कीमत में 11 रुपये और डीजल की कीमत में 13 रुपये का अंतर
डीजल के दाम
फोटो:क्विंट हिंदी
उत्तर प्रदेश में पेट्रोल की कीमत 78.97 रुपये और डीजल की कीमत 69.64 रुपये है. मतलब उत्तर प्रदेश और नेपाल में पेट्रोल की कीमत में करीब 11 रुपये और डीजल के दाम में करीब 13 रुपये का अंतर है.

इस लिहाज से प्रति 1000 लीटर डीजल पर कम से कम 13 हजार रुपये का मुनाफा है. यह बड़ी रकम है. इसलिए तस्करी भी बड़े पैमाने पर चल रही है.

ये भी पढ़ें- पेट्रोल-डीजल के दाम घटाने के लिए इस फॉर्मूले पर हो रहा है काम

उत्तर प्रदेश और नेपाल में पेट्रोल की कीमत में 11 रुपये और डीजल की कीमत में 13 रुपये का अंतर
नेपाल से गाड़ियों में भरकर पेट्रोल और डीजल ला रहे हैं सीमा के आसपास के लोग
(फोटोः क्विंट हिंदी)
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सुविधा पास लेकर पहुंच जाते हैं नेपाल

भारत से नेपाल में घुसने के लिए कोई भी सुविधा पास लेकर 3-4 घंटे नेपाल में घूमकर वापस लौट सकता है. गाड़ियों के लिए भंसार (सीमा शुल्क) कटाना पड़ता है. लेकिन सीमा से सटे इलाकों के लोग तो बिना भंसार दिए ही पगडंडियों से नेपाल चले जाते हैं और 50 से 100 लीटर तेल गैलन में भरकर साइकिल पर लादकर वापस लौट आते हैं.

छोटे वाहन के लिए सीमा में शुल्क 350 रुपये, मिनी बस के लिए 400 रुपये और बड़े वाहन के लिए ये 1000 रुपये प्रति दिन के हिसाब से लगता है. ऐसे में तस्करी करने वाले बड़ी आसानी से नेपाल पहुंच जाते हैं और पेट्रोल-डीजल लेकर वापस आ जाते हैं.
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उत्तर प्रदेश और नेपाल में पेट्रोल की कीमत में 11 रुपये और डीजल की कीमत में 13 रुपये का अंतर
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सीमा से सटे पेट्रोल पंपों पर तस्करी का असर

महाराजगंज के राजीव मिश्रा के मुताबिक स्थानीय पेट्रोल पंपों पर आने वाली गाड़ियों में भारी कमी देखने को मिल रही है. ज्यादातर लोग नेपाल का सस्ता पेट्रोल-डीजल भरा रहे हैं.

सोनौली बॉर्डर के पास स्थित पेट्रोल पंप के मैनेजर सुरेश तिवारी का कहना है कि अगर ऐसे ही कुछ दिन और चला तो जो लोग उनके पास आ रहे हैं वो भी नेपाल का ही सस्ता पेट्रोल-डीजल खरीदकर अपना काम चलाएंगे. बहराइच जिले के रहने वाले वीरेंद्र कुमार का कहना है कि वो मजबूरी में नेपाल का सस्ता पेट्रोल डीजल इस्तेमाल कर रहे हैं. उनके मुताबिक 400-500 रुपये बड़ी बचत है.

तस्करी कितने बड़े पैमाने पर हो रही है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सीमा से सटे पेट्रोल पंप सूने पड़े हुए हैं. वहीं सीमा के दूसरी तरफ यानी की नेपाल में पेट्रोल पंपों पर सुबह से लेकर शाम तक भारतीय नंबर के गाड़ियों की भीड़ दिखाई देती है.

पिछले कुछ दिनों से भारतीय सीमा से सटे पेट्रोल पंपों पर बिक्री में तकरीबन 50 प्रतिशत की गिरावट आ गई है. जबकि नेपाल के पेट्रोल पंपों पर बिक्री बढ़ गई है.
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उत्तर प्रदेश और नेपाल में पेट्रोल की कीमत में 11 रुपये और डीजल की कीमत में 13 रुपये का अंतर
नेपाल से डीजल-पेट्रोल की तस्करी आसान
(फोटोः क्विंट हिंदी)
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सीमा पर भ्रष्टाचार एक बड़ी वजह

भारत और नेपाल दोनों की सीमा पर तैनात सुरक्षाकर्मियों और कस्टम अधिकारियों का भ्रष्टाचार इस तस्करी की बड़ी वजह है. लोगों के मुताबिक सीमा पर तैनात कर्मचारियों को पैसे देकर तस्कर बड़ी आसानी से पेट्रोल-डीजल भारत ले आते हैं.

जानकार यह भी बताते हैं कि दोनों मुल्कों के बीच पेट्रोल-डीजल की कीमतों में थोड़ा अंतर रहता है और इसी वजह से पहले भी ये काम पहले भी होता था. लेकिन जब भी दामों में अंतर ज्यादा बढ़ जाता है, तस्करी संगठित और बड़े स्तर पर होने लगती है. इस बार भी वही हो रहा है.

ये भी पढ़ें- बैंकों का 3 माह का NPA पेट्रोल-डीजल को 10 रुपए लीटर सस्ता कर देता

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