आंध्र प्रदेश विधानसभा ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में संशोधन के लिए 13 नवंबर को एक विधेयक पारित किया है. इस संशोधन से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की जल्द जांच का प्रावधान किया गया है. विधेयक में इन अपराधों और खास कर यौन अपराधों के मामलों की तेजी से जांच और सुनवाई होगी और दोषी को मौत की सजा दी जा सकेगी.
प्रस्तावित नए कानून का नाम ‘आंध्र प्रदेश दिशा अधिनियम आपराधिक कानून (आंध्र प्रदेश संशोधन) अधिनियम, 2019’ रखा गया है. हाल ही में पड़ोसी राज्य तेलंगाना में एक वेटरनरी डॉक्टर से बलात्कार के बाद उसकी हत्या का मामला सामने आया था. ये विधेयक वेटरनरी डॉक्टर को दी गई श्रद्धांजलि है.
गृह राज्य मंत्री एम सुचरिता ने ये विधेयक विधानसभा में पेश किया. इसे सत्तारूढ़ पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने ‘क्रांतिकारी’ बताया.
नए कानून के प्रावधान
नए कानून के तहत यौन अपराध मामलों की जांच केस दर्ज होने के सात कामकाजी दिन के भीतर पूरी होगी. आरोपपत्र दाखिल किए जाने के 14 कामकाजी दिन के भीतर मुकदमे की सुनवाई पूरी करनी होगी. इसके तहत दी गई सजा के खिलाफ अपील का निपटारा छह महीने के भीतर करना होगा.
आईपीसी में तीन नई धाराएं 354 ई, 354 एफ और 354 जी शामिल की जाएंगी. इन धाराओं के तहत क्रमश: महिलाओं के उत्पीड़न, बच्चों के यौन उत्पीड़न और बच्चों पर बढ़ रहे यौन हमले की व्याख्या की गई है.
विधानसभा ने एक और विधेयक पारित किया है जिसके तहत महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का गठन होगा.
प्रस्तावित नए कानून के जरिए महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की तेजी से सुनवाई के लिए हर जिले में एक या उससे ज्यादा विशेष अदालतों का गठन हो सकेगा. इन अपराधों की जांच के लिए उपाधीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में पुलिस की विशेष टीम बनाने का भी अधिकार होगा.
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