अमेरिका में बाहर देशों से आकर काम करने वालों के लिए अच्छी खबर है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा के कुछ नियमों में बदलाव कर दिया है. इस फैसले से एच-1बी वीजा धारकों को अमेरिका में एंट्री करने की अनुमति मिल सकेगी, जो वीजा प्रतिबंध की वजह से नौकरी छोड़कर गए थे. मतलब जिन लोगों के पास एच-1बी वीजा है उन्हें अमेरिका आने की इजाजत मिल गई है.
यूएस स्टेट डिपार्टमेंट के मुताबिक अगर कोई एच-1बी वीजा होल्डर अपनी पुरानी नौकरी पर अमेरिका लौटता है, तो उसे अमेरिका आने की इजाजत होगी. वीजा धारक की पत्नी और बच्चों को भी प्राइमरी वीजा के साथ अमेरिका में आने की इजाजत होगी. हालांकि इसके लिए कुछ शर्ते भी होंगी जिसे पूरा करना होगा. नोटिफिकेशन के मुताबिक,
H-1B पर बैन से पहले जो लोग जहां भी काम करते थे तो वो अब चाहें तो अपनी पहले की कंपनी या नौकरी पर लौट सकते हैं. साथ ही टेक्निकल स्पेशलिस्ट, सीनियर लेवल मैनेजर और बाकी वर्कर को अमेरीका यात्रा की इजाजत दी है.
ट्रंप के इस फैसले के पीछे अमेरिका की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाना की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
जून में ट्रंप ने किया था H1-B वीजा को निलंबित
बता दें कि इसी साल जून में डोनाल्ड ट्रंप ने H1-B वीजा को ये कहते हुए निलंबित करने का ऐलान किया था कि ये फैसला लाखों अमेरिकियों के लिए जरूरी है, जिन्होंने मौजूदा आर्थिक संकट की वजह से नौकरियां गंवा दी हैं. ट्रंप के इस फैसले की वजह से भारत समेत दुनियाभर के आईटी प्रोफेशनल को झटका लगा था.
क्या है H-1B वीजा?
एच-1बी वीजा एक नॉन इमिग्रेंट मतलब गैर-प्रवासी वीजा है. इस वीजा की वैलिडिटी छह साल की होती है. इसके तहत अमेरिका में कंपनियां विदेश से पेशेवर लोगों को अपने यहां काम पर रखती है. ये वीजा सिर्फ उन लोगों को मिलता है जिन्होंने उच्च शिक्षा हासिल की है.
भारतीय आईटी कंपनियां कथित तौर पर अमेरिका के H-1B वीजा सिस्टम की सबसे बड़ी लाभार्थी हैं. 2020-2021 के लिए करीब दो-तिहाई H-1B एप्लीकेशन भारत से हैं. भारत से कुल 184,000 एप्लीकेशन गई हैं.
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