वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 24 फरवरी को भारत आने वाले हैं. इस दौरे को लेकर वह लगातार सुर्खियों में है, इसकी बड़ी वजह है उनके चौंकाने वाले बयान. इन बयानों ने उस संभावना पर सवाल उठा दिए हैं, जिसके तहत ट्रंप के दौरे से भारत-अमेरिका के रिश्तों में नए मुकाम की उम्मीद की जा रही थी. सवाल उठ रहे हैं कि क्या वाकई ट्रंप अपने दौरे पर भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देना चाहते हैं या उनकी मंशा कुछ और है?
चलिए इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए ट्रंप के कुछ बयानों को देखते हैं. अपने भारत दौरे से पहले ट्रंप कहते हैं कि भारत ने उनके देश के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया. इसी के साथ वो संकेत देते हैं कि उनके इस दौरे पर शायद भारत के साथ कोई बड़ी ट्रेड डील न हो.
इसके बाद ट्रंप लास वेगास में ‘होप फॉर प्रिजनर्स ग्रेजुएशन सेरमनी’ कार्यक्रम की शुरुआत में कहते हैं, ''हम भारत जा रहे हैं, और हम वहां एक जबरदस्त डील कर सकते हैं.'' हालांकि ट्रंप ने कहा कि इस पर बातचीत धीमी हो सकती है अगर उन्हें अच्छी डील नहीं मिली. उन्होंने कहा,‘‘हो सकता है कि हम इसे धीमा करें या इसे चुनाव के बाद करें. मेरा मानना है कि ऐसा भी हो सकता है. इसलिए हम देखेंगे कि क्या होता है.’’
ट्रंप ने कहा, ‘‘हम तभी डील तभी करेंगे, जब यह अच्छी होगी क्योंकि हम अमेरिका को पहले रख रहे हैं. लोगों को यह पसंद आए या नहीं, हम अमेरिका को आगे रख रहे हैं.’’
मतलब साफ है, ट्रंप भारत पर लंबे समय से अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर भारी टैरिफ लगाने की बात कहके निशाना साध रहे हैं. वो भारत को टैरिफ किंग भी कह चुके हैं. ऐसे में एक तरफ उनकी कोशिश है कि भारत में अमेरिकी चीजों पर टैरिफ घटे और यहां के बाजार में चीनी प्रोडक्ट्स का दबदबा घटे. दूसरी तरफ ट्रंप एक बार फिर अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी पर जोर देकर अपने दोनों हाथों में लड्डू लेकर चलने की कोशिश में हैं.
इसे ऐसे समझिए कि अगर भारत ने ट्रेड को लेकर ट्रंप की शर्तें मानीं तो ट्रंप इसे अपनी जीत के तौर पर भुनाएंगे, भारत ने ऐसा नहीं किया और वो संकेत देंगे कि उन्होंने अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी से समझौता नहीं किया और इस तरह वो अपने देश में राष्ट्रवाद की भावना के साथ अपनी इमेज और मजबूत करने की कोशिश करेंगे.
याद हो तो ट्रंप ने अपने पिछले चुनाव प्रचार के दौरान भी व्यापारिक साझीदारों के साथ अपने तरीके से नेगोशिएशन करने, ट्रेड डेफिसिट घटाने, ज्यादा रोजगार पैदा करने और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने का वादा किया था.
ट्रेड के अलावा एक और चीज को लेकर ट्रंप के बयान सुर्खियों में हैं. वो हैं उनके स्वागत में जुटने जा रही भीड़ की संख्या को लेकर. दरअसल ट्रंप ने पहले दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बताया है कि अहमदाबाद में उनके रोडशो के दौरान 70 लाख लोग मौजूद रहेंगे. इसके बाद उन्होंने इस संख्या के 60 लाख से 1 करोड़ तक होने का दावा किया.
ट्रंप के इन बयानों ने इसलिए सुर्खियां बटोरीं क्योंकि जिस अहमदाबाद में उन्होंने अपने रोडशो में 1 करोड़ तक लोगों के जुटने का दावा किया, उसकी जनसंख्या ही 70 से 80 लाख है. खुद अहमदाबाद प्रशासन के अधिकारी कह चुके हैं कि ट्रंप के रोडशो में करीब 1 लाख लोगों के जुटने की संभावना है.
खैर, भीड़ कितनी भी जुटे, लेकिन अमेरिका में नवंबर में होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव से पहले ट्रंप तो सुर्खियों में हैं ही, और शायद यही उन्हें चाहिए भी. इसके अलावा ट्रंप को उम्मीद होगी कि दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में होने जा रहे उनके मेगा इवेंट नमस्ते ट्रंप की वजह से भी उनको भारत और अमेरिका के साथ-साथ दुनियाभर के मीडिया में भारी भरकम कवरेज मिलेगी. ये इवेंट पिछले साल सितंबर महीने में अमेरिका में हुए पीएम मोदी के मेगा इवेंट हाउडी मोदी की तर्ज पर बताया जा रहा है. इस इवेंट में पीएम मोदी के साथ ट्रंप भी दिखे थे. हाउडी मोदी इवेंट को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारी कवरेज मिली थी, उस दौरान पीएम मोदी और ट्रंप ने दुनियाभर में सुर्खियां बटोरी थीं. राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले ट्रंप एक बार फिर से उसी तरह सुर्खियों में आने के लिए बेकरार होंगे.
इसके अलावा माना जा रहा है कि ट्रंप के दौरे पर भारत अमेरिका से MH-60 रोमियो मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर्स खरीदने की डील फाइनल कर सकता है. अगर यह डील हुई तो ट्रंप इसे भुनाने की भी पूरी कोशिश करेंगे क्योंकि इस डील से ना सिर्फ रक्षा क्षेत्र में अमेरिका के संबंध भारत के साथ और आगे बढ़ेंगे, बल्कि कूटनीतिक तौर पर भी अमेरिका को फायदा होगा. दरअसल भारत कभी रक्षा खरीद के लिए पूरी तरह रूस पर निर्भर हुआ करता था लेकिन पिछले कुछ सालों में उसने अमेरिका से हाई टेक्नोलॉजी वाले रक्षा उत्पाद खरीदने शुरू किए हैं. ऐसे में अमेरिका लगातार भारत के रक्षा क्षेत्र में रूस का दबदबा कम करने की कोशिश में जुटा हुआ है.
रोमियो हेलिकॉप्टर की संभावित डील को चीन को साधने के तौर पर भी देखा जा रहा है. दरअसल हिंद महासागर में चीन का बढ़ता दखल भारत के साथ-साथ दुनिया में अमेरिका की बादशाहत के लिए भी खतरे की घंटी है. चीन लगातार हिंद महासागर में अपनी पनडुब्बियां तैनात कर रहा है. माना जा रहा है कि चीन हिंद और प्रशांत महासागर के बीच तेल और गैस सप्लाई के रूट पर कब्जा जमाना चाहता है.
ऐसे में अगर भारत को रोमियो हेलिकॉप्टर जैसे संसाधन मिलते हैं, तो उसकी नौसेना की ताकत भी बढ़ेगी. मल्टी रोल रोमियो हेलिकॉप्टर्स को छिपी हुई पनडुब्बियों पर हमला करने और हवा से जमीन पर हमला करने में काफी कारगर माना जाता है. इस तरह भारत को ये हेलिकॉप्टर बेचकर अमेरिका हिंद महासागर में चीन के दबदबे को साधना चाहेगा.
ये तो हुई ट्रंप के हिसाब से बात, जो लगातार अमेरिका को पहले रखने की बात कर रहे हैं, लेकिन ट्रंप के भारत दौरे पर इस बात को देखना भी काफी दिलचस्प होगा कि इस दौरान पीएम मोदी भारत को कितना आगे रख पाते हैं.
ये भी देखें: ट्रंप से पहले भारत आए 6 US राष्ट्रपति, किस दौरे का क्या नतीजा रहा?
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)