कथित भड़काऊ भाषण के मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) की कार्रवाई की जद में आए डॉक्टर कफील खान को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 7 महीने से जेल में बंद कफील खान के खिलाफ रासुका हटाने का आदेश दिया है. साथ ही कफील खान को हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है और तुरंत रिहा करने के भी आदेश दिए हैं.
फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा,
हमें यह निष्कर्ष निकालने में कोई संकोच नहीं है कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 के तहत हॉक्टर कफील खान को हिरासत में लेना और हिरासत को बढ़ाना कानून की नजर में सही नहीं है.
कोर्ट ने कहा- NSA लगाना गैरकानूनी
चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह की बेंच ने डॉक्टर कफील के खिलाफ एनएसए के आरोपों को रद्द कर दिया है. फिलहाल कफील खान मथुरा जेल में बंद हैं. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसले में कहा कि अलीगढ़ डीएम की ओर से 13 फरवरी, 2020 को पारित आदेश (एनएसए की कार्रवाई) गैरकानूनी है.
यह आदेश डॉक्टर कफील की मां द्वारा दायर एक याचिका पर आया है, जिसमें जिन्होंने आरोप लगाया था कि उनके बेटे को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था.
मुंबई से कफील खान को UP एसटीएफ ने किया था गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (यूपी एसटीएफ) ने कफील खान को 29 जनवरी को मुंबई से गिरफ्तार किया था. जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.
गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज के निलंबित प्रवक्ता डॉक्टर कफील खान पर आरोप है कि उन्होंने 12 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में चल रहे विरोध प्रदर्शन में भड़काऊ बयान दिया था.
डॉक्टर कफील के खिलाफ 13 दिसंबर को अलीगढ़ के सिविल लाइंस पुलिस थाने में IPC की धारा 153-ए (धर्म, भाषा, नस्ल के आधार पर लोगों में नफरत फैलाना) के तहत मामला दर्ज किया गया था. एफआईआर के मुताबिक, डॉक्टर कफील ने अपने भाषण में कहा था,
“मोटा भाई सभी को हिंदू या मुसलमान बनाना सिखा रहे हैं, लेकिन इंसान बनाना नहीं. आरएसएस के अस्तित्व में आने के बाद से वह संविधान पर यकीन नहीं रखते हैं. नागरिकता कानून (सीएबी) मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बना रहा है और इसके बाद उन्हें एनआरसी के जरिए परेशान किया जाएगा.”
बता दें कि कफील खान को 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के मामले में सस्पेंड कर दिया गया था. जिसके बाद उन्हें 8 महीने से ज्यादा जेल में भी रहना पड़ा था. हालांकि उनके खिलाफ कोई भी पुख्ता सबूत कोर्ट में नहीं दिया गया.
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