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छोटा राजन से क्या चाहती है खुफिया एजेंसियां ?

भारत लाया जा रहा है छोटा राजन, क्या चाहती है उससे खुफिया एजेंसिया?

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अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को भारत ले आया गया है और उसके स्वागत के लिए पुलिस और सीबीआई ने अपनी-अपनी तैयारी कर रखी है. लेकिन क्या छोटा राजन की गिरफ्तारी किसी बड़े मकसद के लिए पहला कदम है? या ये मामला है सिर्फ एक ऐसे डॉन का है जो खराब तबीयत से जूझ रहा है और अपनी बेहतरी के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह की तलाश में भारत आया है?

इंटेलिजेंस ब्यूरो के उच्च सूत्रों ने द क्विंट को बताया है कि भारत सरकार का पूरा जोर दाऊद इब्राहिम को पाकिस्तान से जिंदा वापस लाने पर है.

हमें ये भी पता चला कि जब छोटा राजन ऑस्ट्रेलिया में था तब भी उसने दाऊद से बचने के लिये भारत सरकार के सामने आत्मसमर्पण की पेशकश की थी.

बाद में ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने छोटा राजन की मौजूदगी के चलते किसी संभावित आतंकी हमले की आशंका को भांपकर भारत से प्रत्यर्पण का आग्रह किया था.

पर इस बार सीबीआई के इशारे पर छोटा राजन को बाली पुलिस के सामने समर्पण के लिये इंडोनेशिया लाया गया था.

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क्या चाहता है छोटा राजन ?

दरअसल छोटा राजन भी दिल्ली में सीबीआई की हिरासत में रहना चाहता है. वो मुंबई पुलिस की हिरासत में नहीं जाना चाहता क्योंकि उसे लगता है कि मुंबई पुलिस के कुछ अधिकारी दाऊद से मिले हुए हैं जिससे उसकी जान को खतरा है.

‘हिन्दू डॉन’ के नाम से भी चर्चित राजन के वर्तमान सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से पुराने संबंध रहे हैं. जुलाई 2005 में डोभाल को दिल्ली के अशोका होटल में राजन के आदमियों के साथ देखा गया था, जहां वो कथित तौर पर दुबई में दाऊद की हत्या की योजना बना रहे थे.

कहा जा रहा है कि राजन ने समर्पण से पहले भारत सरकार से समझौता किया है कि दाऊद के बारे में जानकारी देने से पहले उस पर लगे कुछ आरोप हटा दिए जाएं.

राजन पर लगे 80 से अधिक आरोपों में से कई आतंकवाद से भी संबंधित हैं.

जांच एजेंसियां क्या चाहती हैं ?

चाहे वो सीबीआई हो, दिल्ली पुलिस हो या फिर मुंबई पुलिस, सभी कुख्यात हिंदू डॉन को हिरासत में लेना चाहती हैं. खास बात ये है कि इस बार ये तीनों एजेंसियां बिल्कुल खुफिया तरह से एक-दूसरे के साथ मिलकर काम कर रही हैं.

जाहिर है कि ये एजेंसियां राजन की सुरक्षा को लेकर डरी हुई हैं. मुंबई और दिल्ली, दोनों ही जगह राजन की सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं.

मुंबई पुलिस ने राजन के खिलाफ 75 मामले दर्ज किए हैं लेकिन उन्हें राजन को सौंपे जाने की संभावना कम ही है. सीबीआई कम से कम एक महीने तक राजन को अपनी हिरासत में ही रखेगी. हो सकता है कि सीबीआई फिर एक बार राजन का बयान रिकॉर्ड करेगी और राजन भी अपने बयान के समर्थन में सबूत पेश करेगा.

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