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ED ने सत्येंद्र जैन को जिस एक्ट के तहत अरेस्ट किया उसके बारे में जानिए सब कुछ

PMLA कानून के तहत Satyendra Jain को गिरफ्तार किया गया था.

Published
भारत
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सोमवार 30 मई को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के सीनियर लीडर सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया. पिछले महीने कथित तौर पर सत्येंद्र जैन से जुड़ी करीब 4.81 करोड़ रूपए की संपत्ति को कुर्क कर दी गई थी. सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के आपराधिक प्रावधानों के तहत 'हवाला लेनदेन' मामले में उनकी कथित संलिप्तता के संबंध में हुई है.

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आइए जानते हैं PMLA अधिनियम क्या है और इसके तहत किस तरह से अपराध सिद्ध किए जाते हैं.

क्या है PMLA एक्ट?

PMLA 2002 में अधिनियमित किया गया और 2005 में लागू हुआ था. इस कानून का मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग, यानी काले धन को सफेद करने की प्रक्रिया से लड़ना है. धनशोधक निवारण अधिनियम सरकारी अधिकारियों को अवैध स्रोतों से और मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से अर्जित संपत्ति और को जब्त करने में सक्षम बनाता है.

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PMLA के तहत कौन से अपराध शामिल किए गए हैं?

इस अधिनियम की अनुसूची के भाग ए और सी के तहत विभिन्न प्रवाधानों के तहत अपराध बताए गए हैं.

पार्ट ए में भारतीय दंड संहिता, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, नारकोटिक्स ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम, पुरावशेष और कला खजाना अधिनियम, ट्रेडमार्क अधिनियम, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, कॉपीराइट अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत अपराध शामिल किया गया है.

पार्ट बी में ऐसे अपराध शामिल हैं, जिनका उल्लेख पार्ट ए में किया गया है, लेकिन वे 1 करोड़ रुपये या उससे अधिक मूल्य के हैं.

पार्ट सी में सीमा पार के अपराध शामिल हैं.

कौन-सी एजेंसियां कर सकती हैं जांच ?

भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग में ईडी पीएमएलए के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के अपराधों की जांच के लिए जिम्मेदार है.

फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट- भारत (FIU-IND) राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय के तहत एक स्वतंत्र निकाय है, जो सीधे वित्त मंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक खूफिया परिषद (EIC) को रिपोर्ट करता है. FIU-IND केंद्रीय राष्ट्रीय एजेंसी है, जो संदिग्ध वित्तीय लेनदेन से संबंधित जानकारी प्राप्त करने, संसाधित करने, विश्लेषण करने और प्रसारित करने के लिए जिम्मेदार है.

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अपराध सिद्ध होने पर क्या कार्रवाई की जाती है?

अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ पीएमएलए के तहत अपराध सिद्ध होता है तो एजेंसियां ​​​​संपत्ति और रिकॉर्ड को जब्त कर सकती हैं और अपराध की आय से प्राप्त संपत्ति की कुर्की कर सकती हैं.

कोई भी व्यक्ति जो मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध करता है, उसे कम से कम तीन साल जेल की सजा का प्रावधान है और इसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है.

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