एनफोर्समेंट डॉयरेक्टोरेट (ईडी) ने शनिवार को पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के कई ठिकानों पर छापेमारी की. छापेमारी एयरसेल-मैक्सिस के लिए 2006 में क्लियर की गई FDI अनुमति और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए की गई है. पूरी कार्रवाई दिल्ली और चेन्नई के ठिकानों पर की गई है.
पिछले साल एक दिसंबर को भी सीबीआई ने ऐसी ही कार्रवाई की थी. उस वक्त कार्ति के रिश्तेदारों के अलावा कुछ दूसरे लोगों के ठिकानों पर भी छापे मारे गए थे.
क्या है मामला?
ताजा छापे फॉरेन इंवेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड (FIPB) द्वारा 2006 में एयरसेल-मैक्सिस को FDI की अनुमति की जांच के लिए मारे गए हैं. उस वक्त पी चिदंबरम वित्तमंत्री थे.
एजेंसी का दावा है कि FIPB के पास 2006 में 600 करोड़ तक के एफडीआई को एप्रूव करने की अनुमति थी. इसके ऊपर के एफडीआई के लिए कैबिनेट कमेटी ऑन इकनॉमिक अफेयर्स की परमीशन जरूरी होती थी.
एयरसेल-मैक्सिस के केस में ED का कहना है कि चिदंबरम ने उस वक्त 800 मिलियन डॉलर (करीब 3500 करोड़ रुपये) के एफडीआई को क्लियर किया था. इसमें कैबिनेट कमेटी ऑन इकनॉमिक अफेयर्स की अनुमति नहीं ली गई थी.
एयरसेल-मैक्सिस का यह मामला कथित 2G घोटाले का ही हिस्सा था. कार्ति चिदंबरम पर एयरसेल-मैक्सिस के ट्रांजेक्शन में ‘डील’ कराने के आरोप हैं.
चिदंबरम ने दी प्रतिक्रिया
छापों पर प्रतिक्रिया देते हुए पी चिदंबरम ने कहा कि ईडी ने यह बड़े ही हास्यास्पद तरीके से यह सोचते हुए उनके दिल्ली के घर पर छापा मारा कि कार्ति वहां रहते हैं.
चिदंबरम ने आगे कहा, ‘चूंकि ईडी को अपने एक्ट को सही ठहराना था इसलिए वे अपने साथ फालतू के कागज उठाकर ले गए. इनमें वे कागज तक शामिल हैं जिनमें कई साल पहले सरकार द्वारा पार्लियामेंट में दिए गए स्टेटमेंट थे. ईडी के पास प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत जांच करने का न्यायक्षेत्र ही नहीं है.’
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