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केंद्र की डिजिटल मीडिया रेगुलेशंस पर एडिटर्स गिल्ड ने जताई चिंता

EGI ने कहा कि गाइडलाइन्स बनाते समय सरकार ने स्टेकहोल्डर से बात नहीं की

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केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले सोशल मीडिया और डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म्स के लिए नई गाइडलाइन जारी की थी. इसे इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइन्स एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स 2021 नाम दिया गया था. अब एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) ने कहा है कि ये गाइडलाइन्स डिजिटल मीडिया पर 'अकारण प्रतिबंध' लगाएंगी.

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6 मार्च को EGI ने कहा कि ये रेगुलेशंस डिजिटल मीडिया को 'मूल रूप से बदल' देगी और सरकार से इन नियमों को वापस लेने की अपील की. एडिटर्स गिल्ड ने कहा, "निरंकुश सोशल मीडिया को नियंत्रित करने के नाम पर सरकार फ्री मीडिया के संवैधानिक बचाव को कुचल नहीं सकती है."

“नए नियम इंटरनेट पर न्यूज ऑपरेट करने के पब्लिशर्स के तरीकों को मूल रूप से बदल देंगे और भारत में मीडिया की आजादी को कमजोर कर सकते हैं.” 
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI)

सरकार को मिली ताकत पर गिल्ड की चिंता

एडिटर्स गिल्ड ने गाइडलाइन्स से सरकार को मिलने वाली ताकत पर भी चिंता जताई. गिल्ड ने अपने बयान में कहा, "रेगुलेशंस केंद्र सरकार को बिना किसी न्यायिक देखरेख के देश में कहीं भी न्यूज पब्लिश, ब्लॉक और डिलीट करने की ताकत देती हैं और सभी पब्लिशर्स के लिए ग्रीवांस रिड्रेसल मैकेनिज्म बनाना अनिवार्य करती हैं."

EGI ने कहा कि नई गाइडलाइन्स बनाते समय सरकार ने स्टेकहोल्डर से बात नहीं की और इसलिए इन नियमों को ‘रोक दिया जाए. इसके लिए सभी स्टेकहोल्डर से बातचीत करनी चाहिए.’
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इन गाइडलाइन्स के दायरे में Facebook, Twitter, instagram जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्‍स, Netflix, Amazon Prime, Hotstar जैसे OTT प्‍लेटफॉर्म्‍स और क्विंट, द वायर, न्यूज क्लिक, न्यूज लॉन्ड्री, इंडिया टुडे का तक, लल्लनटॉप जैसी डिजिटल न्यूज वेबसाइट आएंगी.

केंद्र ने गाइडलाइन्स ऐसे समय में जारी की हैं, जब देश में अमेजन प्राइम जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को रेगुलेट करने की मांग उठ रही है. सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर केस भी चल रहा है.

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