जम्मू-कश्मीर में पैलेट गन का शिकार हुई महज 18 महीने की मासूम बच्ची हिबा निसार को दाईं आंख की सर्जरी के बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई है. लेकिन डॉक्टरों को अभी यह नहीं पता है कि उसकी आंखों की रोशनी पूरी तरह से वापस आएगी भी या नहीं.
बीते रविवार को शोपियां में सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के दौरान हिबा की दाहिनी आंख में पैलेट लग गई थी. इसके बाद उसे श्री महाराजा हरि सिंह हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी सर्जरी हुई. हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि चोट गंभीर है और हीबा के एक आंख की रोशनी जा सकती है.
‘हम तो घर में बैठे थे, तभी तेज आवाज हुई और पैलेट हिबा की आंख में आकर लगी’
शोपियां की रहने वाली हिबा की मां मर्सला जान कहती हैं कि जब सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई, उस समय उनकी बच्ची घर के अंदर खेल रही थी. यह झड़प रविवार को एक मुठभेड़ में छह आतंकवादियों के मारे जाने के विरोध में हुई थी.
मर्सला जान बताती हैं-
‘‘मुठभेड़ वाली जगह यूं तो हमारे घर से काफी दूर है लेकिन यह झड़प हमारे घर के पास हुई. मैं अपने दोनों बच्चों के साथ घर में थी, जब बाहर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच संघर्ष शुरू हुआ. हम अपने घर के अंदर थे और बाहर आंसू गैस के गोले दागे जा रहे थे. घर के आस-पास, यहां तक कि अंदर भी धुंआ भर गया था. तभी मेरे पांच साल के बेटे ने कहा कि उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही है. मैंने सोचा कि बच्चों को थोड़ा बाहर की हवा में ले जाऊं. ऐसे में जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, सुरक्षाकर्मियों ने सीधे हम पर पैलेट गन चला दी.
बच्चों को बचाने के दौरान हिबा की मां के हाथों में भी पैलेट लग गई. उन्होंने कहा, ‘मैंने हिबा को बचाने के लिए उसके चेहरे पर हाथ रख दिया था, नहीं तो उसका पूरा चेहरा बर्बाद हो जाता.’
हिबा की आंख की सर्जरी के बाद मर्सला ने कहा, ‘मेरी बच्ची की हालत ठीक नहीं है. उन्होंने इस छोटे बच्ची को भी नहीं छोड़ा. हम बस दुआ कर रहे हैं कि उसकी आंख बच जाए. उसकी क्या गलती थी? उसे तो क्या चल रहा है, इसकी समझ तक नहीं है.’
डॉक्टरों ने आंख की रोशनी लौटने पर जताया संशय
एसएमएचएस अस्पाल के चिकित्सकों ने बताया कि हिबा की आंख गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई थी और उसकी सर्जरी की गई थी. हिबा का उपचार करने वाले चिकित्सक ने बताया,
इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि उसकी आंखों की पूरी रोशनी लौट आएगी.
उनका कहना है कि इस उपचार की प्रक्रिया काफी लंबी है और हिबा के माता-पिता को बहुत एहतियात बरतने पड़ेंगे, जिससे उसे किसी प्रकार की जटिलता नहीं हो.
दो मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से संपर्क किया है ताकि वह हिबा के मामले पर संज्ञान ले. कार्यकर्ता सैयद मुजतबा हुसैन और मिर्जा जहानजेब बेग ने पीड़ित के लिए 10 लाख रूपए के मुआवजे की भी मांग की है.
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