लोकसभा चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि देश में मोदी लहर बरकरार है. 7 चरणों में हुए 17वीं लोकसभा के चुनावों के नतीजों में बीजेपी-NDA ने अपने पिछले आंकड़े को भी पार कर दिया. महाराष्ट्र में भी गठबंधन ने अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराया है और करीब 42 सीटों पर आगे चल रहे हैं.
2014 के चुनाव में बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन ने 41 सीटें जीती थीं.
महाराष्ट्र में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की स्थिति बुरी है.
नांदेड़ से महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को हार का सामना करना पड़ा है, जबकि सुशील शिंदे जैसे अनुभवी नेता भी पीछे चल रहे हैं. हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुई अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर को भी उत्तर मुंबई से हार का मुंह देखना पड़ा है.
हालांकि, NCP का प्रदर्शन पहले से बेहतर रहा है और 4 सीटों पर पार्टी को जीत मिली है.
बीजेपी और शिवसेना ने राष्ट्रीय सुरक्षा, हिंदुत्व और विकास के मुद्दे को जोड़कर चुनाव की रणनीति बनाई. इसका नतीजा अब दिख भी गया है और बीजेपी-शिवसेना ने एक बार फिर महाराष्ट्र में पूरे विपक्ष को धराशायी कर दिया.
दरअसल, चुनाव से कुछ हफ्तों पहले तक शिवसेना के विरोधी तेवरों को झेल रही बीजेपी ने आखिरकार सही वक्त पर अपने पुराने सहयोगी को मनाया. इसका असर इस बार के चुनाव पर भी दिखा है. चुनाव से पहले तक राष्ट्रीय सुरक्षा, राम मंदिर समेत तमाम मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेर रही शिवसेना के सुर बदलने से बीजेपी को बड़ी राहत मिली.
इस नतीजे से एक बात और स्पष्ट है कि जनता ने चौकीदार चोर है के नारे को ठुकरा दिया. इतना ही नहीं, किसानों के मुद्दे और मराठा समाज के मुद्दे भी फेल हो गए हैं. इसके अलावा मोदी लहर के खत्म होने की विपक्ष की थ्योरी को महाराष्ट्र ने नकार दिया है.
शिवसेना नेता संजय राउत ने भी कहा कि राहुल गांधी का 'चौकीदार चोर है’ का नारा उनकी पार्टी पर ही बूमरैंग कर गया.
इन नतीजों से अब आने वाले विधानसभा चुनाव पर भी असर पड़ना तय है. हालांकि, इसके लिए ये जानना भी जरूरी है, कि क्या बीजेपी और शिवसेना पिछले चुनावों जैसा ही वोट शेयर बरकरार रख पाएंगे. अगर ऐसा हो पाता है, तो आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन एक बार फिर राज्य में सरकार बना सकता है.
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