बिस्म्मिल्लाह के शहर बनारस में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक साथ साढ़े छह घंटे गुजारेंगे. इस दौरान जिन-जिन सड़कों से वो गुजरेंगे वहां स्कूली बच्चे गुब्बारों के साथ उनका स्वागत करेंगे. शहर के बाद सबसे बड़ा आयोजन बनारस के घाटों पर किया गया है.
बनारस के घाटों को फ्रांस से आए मेहमान के लिये खास तौर पर तैयार किया गया हैं. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेशी मेहमान को अपने संसदीय क्षेत्र काशी की संस्कृति के बारे में बताएंगे. घाटों को बनारस की थीम पर तैयार किया गया है. जिसके जरिए यहां की संस्कृति, कलाकृति और संतों के जीवन चरित्र को दर्शाया गया है.
घाटों से हटाए गए पंडे और नाव
हालांकि, ऊपर से देखने में यह कार्यक्रम बेहद खूबसूरत लग रहा है, लेकिन इस खूबसूरती की कीमत यहां रोज कमाने और खाने वाले नाविकों और पुरोहितों को चुकानी पड़ रही है. जिन्हें सुरक्षा कारणों का हवाला देकर दो दिनों से गंगा की गोद से बाहर कर दिया गया है. अब इन गंगा के घाटों पर मंत्रों की गूंज नही, बल्कि हाईवोल्ट साउंड सिस्टमों की धमक सुनाई दे रही है.
पांडे घाट पर नाव चलने वाले शिवा साहनी ने बताया, ‘हम अपने ही घर में बेगाने हो गये है. हमारे नाव हटा दिये गये. अब बताइये हम कहां ले जाएं अपनी नाव. जहां भी ले जाएंगे रात भर चौकीदारी करनी पड़ रही है. रोजी भी खत्म हो गई.’
अस्सी घाट के विरेंद्र निषाद ने गुस्से में बताया, ‘एक तो तीन दिन से रोजी रोटी बंद है, दूसरे पुलिस के व्यवहार ने और दुखी कर दिया है. हमारी नाव हटा दी. जब से हम पैदा हुये हैं इसी घाट पर हैं और नाव चलाते हैं. आज तक कभी घाट से नाव नहीं हटाई गई, पहली बार ऐसा हो रहा है. लोग यहां नाव देखने आते हैं उसी का फोटो खींचते हैं. यहां उसी को हटा रहे हैं.’
प्रदीप निषाद ने बताया, घाटों का सौंदर्य किनारे बंधी नाव होती है,उसी को हटा रहे हैं. कोई कितना भी खूबसूरत हो, लेकिन कपड़ा उतार दिया जाएगा तो कैसा दिखेगा?
प्रचीन दशाश्वमेघ घाट के पुरोहित राम भरत पांडेय ने बताया, ‘पिछले तीस सालों में इतनी जलालत सुरक्षा के नाम पर मैंने कभी नहीं झेली, जितनी इस बार हो रही है. जब घाट पर बम फटा था तब भी हम लोगों को नहीं हटाया गया था. दिखाने के लिए पंडों का कपड़ा पहना कर लोगों को खड़ा किया जाएगा, लेकिन हम लोग जैसे असली को हटाया जा रहा है.’
घाटों से संगीत, संस्कृति और आध्यात्म दिखाने की पूरी तैयारी गयी है, जिसके कारण पूरे घाट को वहां से लोगों से खाली करा लिया गया है. सांस्कृतिक कार्यक्रम हो या पूजा-पाठ सब इवेंट कंपनियां ही प्लान कर रही है,और वो बेहतर करने के चक्कर में ज्यादा सर्तकता बरत रही हैं. जिससे घाटों पर कमाने खाने वाले नाराज है.
बनारस के घाट होंगे आकर्षण का केंद्र
अस्सी घाट
- 121 ब्राह्मण बटुक शंखनाद के साथ वैदिक ऋचाओं से करेंगे स्वागत
- 21 शहनाई के सुरों और बीन की धुन से बनारस घराने के संगीत का होगा आगाज
- मैक्रों देखेंगे भरत मिलाप
तुलसी घाट
पीएम मोदी और फांसिसी राष्ट्रपति मैक्रों रामचरित मानस का पाठ सुनेंगे और बनारसी महिला पहलवानों के दांव देखेंगे.
प्रभु घाट
बौद्ध धर्म की झलक देखेंगे फ्रांस के राष्ट्रपति
चेतसिंह घाट
भगवान बुद्ध के जीवन पर नाटक का मंचन
निरंजनी घाट
108 साधू,महात्मा दिखाएंगे बनारस की आध्यात्मिकता
केदार घाट
फूलों की होली से सराबोर होंगे मोदी और मैक्रों
मानसरोवर घाट
कबीर के भजनों से गूंजेगा घाट
राजा घाट
कत्थक और भरत नाट्यम
राणामहल घाट
तबला,सरोद,सारंगी के सुरों की जुगलबंदी होगी, जिसे तकरीबन 50 से ज्यादा कलाकार प्रस्तुत करेंगे.
राजेंद्र प्रसाद घाट
नाव और घोड़े के मुख की कलाकृतियां सजाई गईं हैं. इसके माध्यम से लोक कला से परिचित कराया जाएगा.
इमैनुएल मैक्रों की बनारस यात्रा को यादगार बनाने के लिए खास इंतजाम किये गये हैं. मोदी और मैक्रों के संबंधों को प्रगाढ़ करने वाले हर लम्हे को कैमरे में कैद करने का इंतजाम किया गया है. अस्सी से दशाश्वमेध घाट के बीच में तकरीबन पांच किलोमीटर की यात्रा को कवर करने के लिए कैमरों का जाल बिछा दिया गया है. इसका सीधा प्रसारण फ्रांस समेत 52 देशों किया जायेगा. साथ ही सुरक्षा को देखते हुए पूरे घाटों को खाली करा दिया गया है.
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