ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) के नए आंकड़ों से पता चलता है कि अंडरग्रैजुएट, पोस्टग्रैजुएट और डिप्लोमा लेवल पर इंजीनियरिंग (Engineering) सीटों की संख्या घटकर 23 लाख 28 हजार रह गई हैं, जो 10 सालों में सबसे कम है.
हालांकि ये गिरावट साल 2015-16 से ही देखने को मिल रही है. इंडियन एक्स्प्रेस के मुताबिक, संस्थानों के बंद होने और एडमिशन की क्षमता में कमी के कारण इस साल इंजीनियरिंग में 1.46 लाख सीटें कम हुई हैं.
इतने बड़े गिरावट के बावजूद, इंजीनियरिंग अभी भी देश में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र (आर्किटेक्चर, मैनेजमेंट, होटल मैनेजमेंट और फार्मेसी) में सबसे ज्यादा एडमिशन वाला कोर्स है. फिलहाल टेक्निकल एजुकेशन में इंजीनियरिंग की सीट करीब 80 फीसदी जगह बनाए हुए है.
साल 2014-15, जब इंजीनियरिंग कोर्स अपने चरम पर था, तब सभी एआईसीटीई-स्वीकृत संस्थानों में इंजीनियरिंग शिक्षा में लगभग 32 लाख सीटें थीं. लेकिन गिरावट का कारण सात साल पहले शुरू हुए एकीकरण को माना जा रहा है, जिसके बाद से लगभग 400 इंजीनियरिंग कॉलेज बंद कर दिए गए. पिछले साल कोविड काल को छोड़ दें, तो साल 2015-16 से हर साल कम से कम 50 इंजीनियरिंग संस्थान बंद हुए हैं. और इस साल भी 63 कॉलेजों को बंद करने के लिए एआईसीटीई की मंजूरी मिली चुकी है.
नए इंजीनियरिंग कॉलेजों को मंजूरी-निचले स्तर पर
नए इंजीनियरिंग संस्थान को स्थापित करने के लिए तकनीकी शिक्षा नियामक की मंजूरी भी पांच साल के निचले स्तर पर है. 2019 में, AICTE ने 2020-21 से शुरू होने वाले नए संस्थानों पर दो साल की मोहलत की घोषणा की थी. यह आईआईटी-हैदराबाद के अध्यक्ष बीवीआर मोहन रेड्डी की अध्यक्षता वाली एक सरकारी समिति की सिफारिश पर किया गया था.
एकेडमिक ईयर 2021-22 के लिए एआईसीटीई ने 54 नए संस्थानों को मंजूरी दी है. अध्यक्ष अनिल सहस्रबुद्धे ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि ये एप्रूवल पिछड़े जिलों में इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित करने के लिए मिले हैं, जो पहले से ही पाइपलाइन में थे और राज्य सरकारें भी नया संस्थान शुरू करना चाहती हैं. साल 2017-18, 143 कॉलेज, 2018-19 में 158 और और 2019-20 में 153 नए संस्थानों को मंजूरी दी थी.
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