पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा का निधन हो गया, सुंदर लाल बहुगुणा कोरोना से संक्रमित थे, वह चिपको आंदोलन के प्रणेता थे. सुंदर लाल बहुगुणा को पहले कोरोना हुआ था, कोरोना के साथ ही उनको निमोनिया भी हो गया था. पिछले कई दिनों से वो अस्पताल में भर्ती थे.
कोरोना संक्रमित होने के बाद 8 मई को उन्हें एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था.
पीएम मोदी ने सुंदरलाल के निधन पर शोक जताते हुए लिखा है- सुंदर लाल जी का निधन देश के लिए बड़ी क्षति है.
सीएम नीतीश कुमार ने शोक जताते हुए ट्वीट किया-
चिपको आंदोलन के प्रणेता एवं वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध सुंदरलाल बहुगुणा जी का निधन अत्यंत दुखद है पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उनके द्वारा महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है. उनके निधन से पर्यावरण के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें
उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत ने भी सुंदरलाल के निधन पर शोक जताते हुए लिखा-
कौन थे सुंदरलाल?
सुंदरलाल बहुगुणा का जन्म 9 जनवरी 1927 को टिहरी जिले में में हुआ था, उनके पिता अंबादत्त बहुगुणा टिहरी रियासत में वन अधिकारी थे. 13 साल की उम्र में अमर शहीद श्रीदेव सुमन के संपर्क में आने के बाद उनकी जिंदगी बदल गई.
सुंदर लाल ने चिपको आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. पर्यावरण सुरक्षा के लिए 1970 में शुरू हुआ आंदोलन देश में फैल रहा था, तब सुंदरलाल ने कुछ लोगों के साथ मिलकर जंगल बचाने के लिए चिपको आंदोलन की शुरुआत की. 1980 में सुंदरलाल ने हिमालय की 5000 किलोमीटर की यात्रा की, उन्होंने सैकड़ों गांवों में जा-जाकर लोगों की बीच सुरक्षा का संदेश फैलाया.
सुंदरलाल बहुगुणा ने टिहरी बांध निर्माण का भी विरोध किया था और 84 दिन लंबा अनशन भी रखा था. एक बार उन्होंने विरोध स्वरूप अपना सिर भी मुंडवा लिया था.
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