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आखिर लड़कियां पढ़ाई की रेस में लड़कों से आगे कैसे निकल जाती हैं?

चलो लड़कों, इस बार साथी की खुशी सेलिब्रेट कर लो..अगले एग्जाम के लिए आॅल द बेस्ट!

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CBSE ने 12वीं के रिजल्ट जारी कर दिए हैं. एमिटी इंटरनेशनल स्‍कूल, नोएडा की रक्षा गोपाल ने 99.6 फीसदी मार्क्‍स के साथ टॉप किया है. 99.4 फीसदी मार्क्स के साथ दूसरे पोजिशन पर भूमि सावंत रहीं. अब इसे एक तरह का ट्रेडिशन ही मान लीजिए कि लड़कियां पिछले कुछ बरसों से हर एग्जाम में आगे ही रहती हैं!

एक नजर दौड़ाइये, शायद आप भी इन वजहों से इत्तफाक रखते हों:

ये स्‍थापित तथ्य तो नहीं, लेकिन लड़कियां अक्‍सर आगे की योजना, एकेडमिक गोल पहले ही सेट कर चुकी होती हैं. वो इन्हें प्लानिंग के साथ पूरा करने की कोशिश में लग जाती हैं. नोट्स, होमवर्क, असाइनमेंट- ये सारी चीजें समय के साथ शुरू कर ली जाती हैं.

लड़कियों पर लास्ट टाइम प्रेशर जैसी चीज नहीं होती और इससे कन्संट्रेसन कैपेसिटी बढ़ती है, जिसका फायदा एग्जाम के समय उन्हें मिलता है.

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घर का माहौल भी इसमें बड़ी भूमिका निभाता है. अमूमन अब देखा जाता है कि पेरेंट्स, खासकर मां अपनी बेटियों को लेकर ये सोचती हैं कि शादी-ब्याह और बेटी को अच्छा लड़का मिल जाए, इसके लिए पढ़ाई जरूरी है. यही वजह है कि वो बेटियों को घर में पढ़ाई करने का अच्छा माहौल देती हैं.

अलग-अलग लाइफस्टाइल और टाइम मैनेजमेंट भी एक कारण है. लड़के पढ़ाई के अलावा खेलकूद, पार्टी, मस्ती ज्यादा करते हैं, जबकि लड़कियों को हिदायत दी जाती है कि वो घर से स्कूल और स्कूल से सीधा घर ही आएं. लड़कियां अक्सर सड़क किनारे देर तक गाॅसिप या मीटिंग से कतराती हैं. ऐसे में लड़कियों के पास पर्याप्त समय होता है, जो वो पढ़ाई में लगा सकती हैं.

भाग-दौड़ या अन्‍य तरह के काम में लड़कों को आगे देख एक काॅम्प्लेक्स भी होता है. ऐसे में लड़कियां पढ़ाई को सबसे ज्यादा तवज्जो देती हैं, ताकि वो ये सिद्ध कर सकें कि वो किसी से कम नहीं.

साथ ही उन रिश्तेदारों को जवाब भी देना होता है, जो ये कहते हैं कि लड़कियों की पढ़ाई-लिखाई पर ज्यादा पैसे खर्च नहीं करने चाहिए. ये भी एक वजह है कि वो ज्यादा इंट्रेस्ट के साथ पढ़ाई करती हैं और अच्छे मार्क्स लाकर ये बताना चाहती हैं कि उन पर खर्च किए गए पैसे बेकार नहीं जा सकते.

लड़का-लड़की बराबर हैं, इसे लेकर आम समझ बन गई है. लेकिन लड़कों के सिर पर घर के सारे एडिशनल काम हमेशा टंगे दिखते हैं. भले ही भाई-बहन की उम्र लगभग बराबरी की हो, लेकिन गेहूं पिसवाने, सब्‍जी लाने से लेकर एलपीजी के लिए भागदौड़ करने के लिए लड़कों को ही लगा दिया जाता है.

अब इतना भार लेकर पढ़ाई करना किसी के लिए भी मुश्किल है!

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हालांकि, एग्जाम के मार्क्स किसी के बेस्ट होने का पैमाना नहीं होता, इसलिए इसे अपने जीवन पर हावी नहीं होने देना चाहिए. और ऐसा भी नहीं है कि ये सारे गुण सिर्फ लड़कियों में ही होते हैं.

चलो लड़कों, इस बार साथी की खुशी सेलिब्रेट कर लो..अगले एग्जाम के लिए आॅल द बेस्ट!

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