2006 के आखिर में हुए निठारी कांड ने पूरे देश को सहमा दिया था. कई महीनों से नोएडा में बच्चे और महिलाएं गायब हो रही थीं. 29 दिसंबर, 2006 को पुलिस ने नोएडा के निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर नाम के शख्स के घर पर छापा मारा. छापे में मोनिंदर के घर के पिछवाड़े से करीब 19 लाशों के कंकाल मिले. इतनी बड़ी संख्या में एक घर से नरकंकाल मिलने से हर कोई हैरान था.
19 मौतों में 16 केस दर्ज किए गए. तीन मौतों के बारे में सबूतों की कमी के चलते केस दर्ज नहीं किए गए. एक-दो को छोड़ मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली के ज्यादातर शिकार नाबालिग थे. पायल और पिंकी सरकार जैसी कुछ बालिग लड़कियां भी उसका शिकार हुईं.
मोनिंदर पंढेर और सुरेन्द्र कोली को पहली बार रिम्पा हालदार के केस में फांसी की सजा हुई.
4 मई 2010 को 7 साल की बच्ची आरती प्रसाद के मर्डर केस में दूसरी बार कोली को फांसी की सजा दी गई. तीसरी बार 27 सितंबर 2010 को रचना लाल , चौथी बार 12 साल की दीपाली सरकार और पांचवी बार एक 5 साल की बच्ची छोटी कविता के मर्डर केस में सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई गई.
कोली को पिंकी सरकार के मामले में छठवीं बार मौत की सजा सुनाई गई है. यह दूसरा केस है जिसमें पंढेर को फांसी हुई. लेकिन रिम्पा सरकार के मर्डर केस में 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंढेर को बरी कर दिया था.
किस तरह सामने आया मामला
निठारी कांड का पहला अंदेशा पंढेर के पड़ोसियों को ही हुआ था. दो लोग जिनकी बेटियां गुम गईं थीं, उन्हें पंढेर के नौकर सुरेंद्र कोली के वारदात में शामिल होने पर शक हुआ. उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस के पास भी की. लेकिन पुलिस से उन्हें खास सहयोग नहीं मिला.
बाद में उन्होंने रेसीडेंट्स वेलफेयर के सदस्यों की मदद से पंढेर के घर की टंकी की तलाशी ली. एक रहवासी के दावे के मुताबिक उन्हें इसमें एक सड़ा हुआ हाथ भी मिला. पुलिस के सामने कोली ने मर्डर की वारदात कबूल की. इसके बाद ने पंढेर के घर की खुदाई की गई. करीब 15 खोपड़ियां और कई हड्डियां मिलीं, बाद में डीएनए मैचिंग से पता चला वहां करीब 19 लोगों को गाड़ा गया था.
कैसे हुई इन सब की शुरुआत
ऐसा नहीं है सुरेंद्र कोली पर पहले से कोई मुकदमा दर्ज रहा हो. उसके मुताबिक उसका मालिक (पंढेर) कई वेश्याएं घर पर लाया करता था. उन्हें आते-जाते देखते हुए उसके मन में सेक्स और ह्यूमन बॉडीज को काटने की प्रबल इच्छा पैदा होने लगी.
हिंदुस्तान टाइम्स के एक आर्टिकल में कोली के कबूलनामे का जिक्र किया है.
इसके मुताबिक कोली अपने शिकारों को पहले फंसाता था. हर केस में पहले वो पीड़ित को मार कर बेहोश कर देता था. उसके बाद रेप की कोशिश करता था. इसके बाद वो पीड़ित को मारकर उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर देता था. फिर उन्हें गाड़ देता था या ड्रेनेज में बहा देता था.
कोर्ट ने अलग-अलग मामलों में कोली को फांसी की सजा सुनाई. जैसा कि ऊपर बताया गया है कि पंढेर को केवल रिम्पी हालदार के केस में फांसी हुई थी, लेकिन वो भी 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दी. अब पिंकी सरकार के केस में दोनों को फांसी हुई है.
अपीलों के चलते बार-बार रुक रही है फांसी
दोनों को 2009 में स्पेशल सेशन कोर्ट गाजियाबाद ने फांसी की सजा सुनाई. फरवरी 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी सजा बरकरार रखी. 2014 में प्रेसीडेंट ने भी उनकी दया याचिका रद्द कर दी. 3 सितंबर 2014 को कोली के खिलाफ कोर्ट ने डेथ वारंट भी जारी कर दिया. 4 सितंबर को कोली को डासना जेल से मेरठ जेल फांसी के लिए ट्रांसफर भी कर दिया गया.
लेकिन उन्होंने रिव्यू पेटीशन डाल दिया. यह खारिज हुई लेकिन बाद की कई तकनीकी वजहों से फांसी टलती रही. इस तरह यह पूरा मामला आज पिंकी सरकार केस में सुनवाई तक आ पहुंचा है.
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