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वीरप्पन के ‘जंगलराज’ का अंत करने वाले IPS विजय कुमार पहुंचे कश्मीर

जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली के लिए बुलाए गए ये चर्चित अफसर

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जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने के बाद राज्य में शांति बहाली के लिए देश के कुछ चर्चित अफसरों को तैनात किया जा रहा है. इन्हीं अफसरों में छत्तीसगढ़ के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी बीवीआर सुब्रमण्यम और पूर्व आईपीएस अफसर के. विजय कुमार का नाम शामिल है.

सुब्रमण्यम को नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति बहाली के लिए जाना जाता है. वहीं, पूर्व आईपीएस के. विजय कुमार वही अफसर हैं, जिनकी अगुवाई में कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन का खात्मा किया गया था.

सुब्रमण्यम को राज्यपाल ने मुख्य सचिव और पूर्व आईपीएस अफसर विजय कुमार को राज्यपाल का सलाहकार नियुक्त किया गया है.

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विजय कुमार ने किया था वीरप्पन का खात्मा

राज्यपाल एनएन राव के सलाहकार नियुक्त किए गए पूर्व आईपीएस अफसर के. विजय कुमार जंगलों में एंटी टेररिस्ट ऑपरेशन चलाने में माहिर माने जाते हैं. तमिलनाडु काडर के 1975 बैच के आईपीएस अफसर रहे विजय कुमार 1998 से 2001 तक बीएसएफ के आईजी के तौर पर कश्मीर घाटी में अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

उस दौरान घाटी में एंटी टेररिस्ट ऑपरेशन काफी सक्रिय थे. साल 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 75 जवानों के शहीद होने के बाद कुमार को सीआरपीएफ का डीजी बनाया गया था. इसके बाद इस इलाके में नक्सली गतिविधियों में भारी कमी आई थी. इसके अलावा कुमार की अगुवाई में ही साल 2004 में कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन का एनकाउंटर किया गया था.

सुब्रमण्यम ने नक्सलियों पर कसी थी नकेल

छत्तीसगढ़ काडर के आईएएस अफसर बीवीआर सुब्रमण्यम को बीबी व्यास की जगह जम्मू-कश्मीर का मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है. सुब्रमण्यम फिलहाल छत्तीसगढ़ में अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) हैं. सुब्रमण्यम को आंतरिक सुरक्षा मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है. साल 2004 से 2008 के बीच वह पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निजी सचिव के तौर पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

छत्तीसगढ़ के गृह सचिव के पद पर रहते हुए सुब्रमण्यम ने नक्सल प्रभावित इलाकों में उल्लेखनीय काम किया है. खासतौर पर उन्हें छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास कार्यों को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए जाना जाता है. नक्सल प्रभावित इलाके बस्तर में सुब्रमण्यम ने मुख्य सचिव रहते हुए सही रणनीति से 700 किलोमीटर लंबी सड़क बनवाने में सफलता हासिल की. इसके अलावा साल 2017 में इस इलाके में 300 नक्सली मारे गए और 1000 से ज्यादा नक्सलियों ने सरेंडर किया.

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