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J&K: आतंकी संगठनों का काला इतिहास,29 साल में 14,768 लोगों की मौत

हिजबुल मुजाहिदीन, जैश-ए-मोहम्मद समेत कश्मीर में सक्रिय तमाम आतंकी संगठनों के बारे में खास जानकारी

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भारत
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जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले ने घाटी के हालात को एक बार सामने ला दिया है. पिछले 29 सालों में कश्मीर में हुए कई आतंकी हमलों में 14,768 नागरिकों ने अपनी जान गंवा दी है.

ऐसे में जम्मू-कश्मीर में फैले आतंकवाद और इसे फैलाने वाले आतंकी संगठनों पर एक नजर डालते हैं.

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29 सालों में 6,314 जवान शहीद

कश्मीर में आतंक तो साल 1947 में बंटवारे के बाद से ही शुरू हो गया था. लेकिन राज्य में आतंक को पाकिस्तान ने साल 1989 के बाद बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया. पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक और वाशिंगटन डीसी के हडसन इंस्टीट्यूट में साउथ और सेंट्रल एशिया के निदेशक हुसैन हक्कानी अपनी किताब में लिखते हैं:

जाहिर तौर पर जम्मू-कश्मीर में आतंक की शुरुआत 1989 में हुई, उस दौरान राज्य में विधानसभा चुनाव हुए थे. सत्ताधारी गठबंधन नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का था. चुनाव में इस गठबंधन को पाकिस्तान समर्थक अलगाववादियों के मोर्चे मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट ने चुनौती दी. सत्ताधारी पार्टी को बहुमत हासिल किया, लेकिन कश्मीर घाटी में चुनाव को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.

ऐसे में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने मौके का फायदा उठाते हुए बड़े पैमाने पर कश्मीरी युवकों और दूसरे 'बाहरी' आतंकियों की भर्ती की. यहीं से जिहाद के नाम पर आतंक फैलाने का कारोबार शुरू हुआ, जिसमें साल-दर-साल लोग अपनी जान गंवाते रहे.

साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के आंकड़ों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों में साल 1988 से लेकर 9 जुलाई 2017 तक:

  • 14,768 नागरिकों ने अपनी जान गंवा दी है.
  • 6,314 सुरक्षाबल शहीद हुए हैं.
  • 23,228 आतंकी मार गिराए गए हैं.

आंकड़ों से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि औसतन हर 3 आतंकी को ढेर करने में देश का 1 सुरक्षाबल शहीद हुआ है. जाहिर है कि इससे देश को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है.

कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठन

पोर्टल के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में फिलहाल 10 से ज्यादा संगठन आतंक फैला रहे हैं. इनमें से ज्यादातर का सीधा संबंध पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी से है:

1. हिजबुल मुजाहिदीन, 1989

हिजबुल मुजाहिदीन कश्मीर के सबसे बड़े आतंकी संगठनों में से एक है. जून, 2017 में इसके सरगना सैयद सलाउद्दीन को अमेरिका ने ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया था.

इस आतंकी संगठन का हेडक्वॉर्टर PoK के मुजफ्फराबाद में है. घाटी में साल 1989 में ये संगठन सक्रिय हुआ.

पोर्टल के मुताबिक ISI ने हिजबुल मुजाहिदीन को एक और आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) को काउंटर करने के लिए शुरू किया. JKLF के भी कई आतंकी बाद में हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गए.

इस आतंकी संगठन को पाकिस्तान समेत कई जगहों से आतंक के लिए फंडिंग मिलती है.

2. जैश-ए-मोहम्मद, 2000

13 दिसंबर, 2001 में संसद भवन पर हुए आतंकी हमले को इसी आतंकी संगठन ने अंजाम दिया था. 31 जनवरी, 2000 में आतंकी मौलाना मसूद अजहर ने इस संगठन को पाकिस्तान के कराची में बनाया था. बता दें कि मसूद अजहर वही आतंकी है, जिसे इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट को हाइजैक करके साल 1999 में आतंकियों ने छुड़ाया था. ये आतंकी संगठन अधिकतर आत्मघाती हमलों को अंजाम देता है.

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3. लश्कर-ए-तैयबा, 1993

लश्कर-ए-तैयबा का सरगना हाफिज मोहम्‍मद सईद है. इस आतंकी संगठन को अफगानिस्तान में साल 1990 में बनाया गया था. साल 1993 में इसकी पहली धमक जम्मू-कश्मीर में दिखी. लश्कर-ए-तैयबा को जमात-उद-दावा के तौर पर भी जाना जाता है. अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले में इसी संगठन का नाम सामने आ रहा है.

हाफिज सईद ही इस संगठन को पाकिस्तान से ऑपरेट करता है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस संगठन के तार पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसी ISI, तालिबान और अलकायदा से भी जुड़े हैं.

4. जमीयत उल मुजाहिदीन, 1990

हिजबुल मुजाहिदीन का पहला बिखराव साल 1990 में आतंकी संगठन जमीयत उल मुजाहिदीन के तौर पर हुआ. उस दौरान आतंकी नसीरुल इस्लाम ने हिजबुल के आतंकी अहसान डार से बगावत की और नया संगठन बनाया. इसका पहला चीफ बना अब्दुल बासित.

इस संगठन ने अपने शुरुआती दिनों में राज्य के सूचना निदेशक मोहम्मद सईद की हत्या की. बाद में कई आतंकी घटनाओं से जमीयत उल मुजाहिदीन का नाम जुड़ा.

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5. हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (HUJI)

ये आतंकी संगठन कब अस्तित्व में आया था, इसका ठीक-ठीक कोई अनुमान नहीं है. इसकी जड़ें पाकिस्तान से जुड़ी हुई है, बांग्लादेश में भी इसका पूरा नेटवर्क है. रिपोर्ट के मुताबिक सोवियत-अफगान वार के दौरान ही ये हरकत में आया. उस दौरान पाकिस्तान के कराची में छात्र रहे कारी सैफुल्लाह अख्तर और उसके दो साथियों ने इस संगठन को खड़ा किया था.

कुछ सालों पहले तक इस आतंकी संगठन का नेटवर्क भारत, ईरान, चेचेन्या समेत 20 देशों तक फैला हुआ था.

6. हरकत-उल-मुजाहिदीन, 1985

हरकत-उल-मुजाहिदीन को साल 1985 में बनाया गया था. 1997 में अमेरिका ने इस आतंकवादी संगठन के कैटेगरी में डालते हुए बैन किया था, जिसके बाद इसने अपना नाम बदलकर हरकत-उल-अंसार रख लिया है.

पाकिस्तानी इंटेलीजेंस एजेंसी की मदद से कश्मीर में ये इसी नाम से आतंक को फैला रहा है. इस आतंकी संगठन के तार ओसामा बिन लादेन और अल कायदा से भी जुड़े हुए हैं.
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7. दुख्तरान-ए-मिल्लत, 1987

इस आतंकी संगठन को बाकी आतंकी संगठनों के मुकाबले थोड़ा कम नुकसान पहुंचाने वाला माना जाता है. इसकी सरगना है आसिया आंद्राबी, जो अक्सर अपने बेतुके बयानों के कारण चर्चा में रहती है. ये संगठन कभी पाकिस्तान का झंडा फहराकर, कभी शांति वार्ता के बीच बेतुके बयान देकर कश्मीर के माहौल को बदतर करने में जुटा रहता है.

8. अल-उमर-मुजाहिदीन, 1989

आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) में विवादों के बाद इस संगठन को बनाया गया. मुश्ताक अहमद जरगार नाम के आतंकी ने साल 1989 में खड़ा किया था. शुरुआती दौर में ये संगठन घाटी के युवाओं को आतंक के लिए बहकाता था और अपने संगठन से जोड़ता था.

बता दें कि जरगार को को भी कांधार प्लेन हाइजैक मामले में साल 1999 में छोड़ा गया था.

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9. अल बद्र, 1998

ये आतंकी संगठन फिलहाज कश्मीर में सक्रिय है. इसे खड़ा करने में PoK में रहने वाले आतंकी लुकमान का बड़ा हाथ था. फिलहाल आतंकी बख्त जमां इस संगठन का चीफ कमांडर है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, इस संगठन को पाकिस्तान के इंटेलिजेंस एजेंसी का पूरा समर्थन मिलता है.

जन्नत का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में आतंक के इन ‘राक्षसों’ के अलावा भी कुछ छोटे संगठन सक्रिय है.

कहा जा सकता है कि जब तक पाकिस्तान जैसे कुछ देश आतंक को बढ़ावा देना, उनकी फंडिंग करना नहीं रोकेंगे, तब तक ये संगठन न सिर्फ कश्मीर के लिए, बल्कि दुनियाभर के लिए सबसे बड़ा खतरा बने रहेंगे.

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