ADVERTISEMENTREMOVE AD

भारत बंद से पहले कृषि मंत्री बोले-आधी रात को भी चर्चा के लिए तैयार

25 सितंबर किसानों के भारत बंद से पहले नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा- गुमराह होने की जरूरत नहीं

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

कृषि बिलों को लेकर देशभर के किसानों में नाराजगी है. विपक्षी नेताओं के अलावा हजारों किसान भी प्रदर्शन कर रहे हैं. इस मुद्दे को लेकर शुक्रवार 25 सितंबर को भारत बंद बुलाया गया है. लेकिन इस बंद से ठीक पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि किसानों को गुमराह होने की जरूरत नहीं है. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर कई आरोप लगाए और कहा कि कांग्रेस अपने ही घोषणा पत्र के खिलाफ बोल रही है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कांग्रेस के घोषणा पत्र में ये तीनों बिल

मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, पहले कांग्रेस को अपने घोषणा पत्र से मुकरने की घोषणा देश के सामने करनी चाहिए. क्योंकि उन्होंने 2019 के अपने घोषणा पत्र में कहा कि एपीएमसी कानून को बदलेंगे, किसान के ट्रेड पर कोई टैक्स नहीं होगा और अंतरराज्यीय व्यापार को बढ़ावा देंगे. यही चीज बिल में है. यहां तक कि एसेंसिशियल कमोडिटी एक्ट को खत्म करने की पैरवी मुख्यमंत्रियों की उच्चाधिकार समिति की बैठक में कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने की थी.

उन्होंने कहा कि, कांग्रेस के दांत खाने के कुछ और हैं और दिखाने के कुछ और हैं. कांग्रेस में अच्छे और विचारशील लोग पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं. वो लोग किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. राहुल गांधी के किसानों को लेकर किए गए ट्वीट पर कृषि मंत्री ने कहा,

“अगर राहुल गांधी को बिल का विरोध करना है तो वो सामने आकर कहें कि उनके घोषणा पत्र में गलत बात लिखी थी. हम बिल पर आधी रात को भी चर्चा करने को तैयार हैं. अगर कोई किसान नेता हमसे चर्चा करना चाहें तो उनका स्वागत करेंगे.”

जमाखोरी का मतलब ही नहीं बनता

आरोप लग रहा है कि केंद्र सरकार के नए कानून से जमाखोरी बढ़ेगी. इस पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा,

“आज हर चीज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, जिससे जमाखोरी का कोई मतलब ही नहीं बनता है. क्योंकि फसलों को रखने के लिए जगह ही नहीं है. इन रिफॉर्म के जरिए जो सबसे बड़ा काम होने वाला है वो ये है कि अब निजी निवेश गांव के नजदीक पहुंचेगा. अब तक जिला स्तर पर ये होता था. किसान अपने माल को स्टोर नहीं कर सकता था. लेकिन अब गांव में ही वेयर हाउस बनाए जाएंगे और सीधा फायदा किसान को होगा.”

बुआई से पहले किसानों को उचित मूल्य

उन्होंने कहा कि एसेंसिशियल कमोडिटी एक्ट के तहत सरकार अपना अधिकार कम कर रही है, जिसका स्वागत होना चाहिए. केंद्रीय मंत्री ने एमएसपी को लेकर कहा,

“एमएसपी भारत सरकार का प्रशासकीय निर्णय है. ये निर्णय पहले भी था और आने वाले कल में भी रहेगा. खरीफ की एमएसपी हमने पहले घोषित कर दी है. अक्टूबर में खरीफ की फसल आने वाली है. उसकी खरीद की प्रक्रिया उपभोक्ता मंत्रालय करने जा रहा है. इन विधेयकों के माध्यम से किसान नई तकनीक से भी जुड़ेगा. इसके कारण किसान अपनी उपज का सही मूल्य बुआई से पूर्व भी प्राप्त कर सकेगा.”

ADVERTISEMENTREMOVE AD

किसानों को नहीं गुमराह होने की जरूरत

केंद्रीय मंत्री ने आखिर में भारत बंद को देखते हुए किसानों से अपील करते हुए कहा कि उन्हें गुमराह होने की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा,

"मैं किसानों से कहना चाहता हूं कि मोदी सरकार खेती और किसानों के लिए प्रतिबद्ध है. यूपीए की सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को स्वीकार नहीं किया. लेकिन मोदी जी ने आकर एमएसपी बढ़ाई. दुनिया में ऐसी कोई योजना नहीं है जो एक साल में सरकार की जेब से 75 हजार करोड़ रुपये निकालकर किसानों पर खर्च करे. मोदी जी ने पीएम किसान योजना से ऐसा कर दिखाया. पिछले 6 सालों में 7 लाख करोड़ रुपये किसानों को देने का काम किया गया है. किसानों को गुमराह होने की जरूरत नहीं है."

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×